मुसलमानों से नफरत पर मायावती, दिलीप मंडल, और योगेंद्र यादव एक साथ !
भाजपा, आरएसएस, और विभिन्न राजनीतिक दलों की मुस्लिम विरोधी सोच पर मायावती, दिलीप मंडल, और योगेंद्र यादव की प्रतिक्रिया कैसे अलग-अलग नहीं है?

नफरत और विभाजन : मौजूदा राजनीतिक स्थिति और इसके प्रभाव
Hatred and division: The current political situation and its effects
भारत में नफरत और विभाजन की राजनीति का प्रभाव (Impact of the politics of hatred and division in India) समय-समय पर सामने आता है। भाजपा, आरएसएस, और विभिन्न राजनीतिक दलों की मुस्लिम विरोधी सोच पर मायावती, दिलीप मंडल, और योगेंद्र यादव की प्रतिक्रिया कैसे अलग-अलग नहीं है? वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर से जानिए इस विचारधारा का समाज पर असर और समावेशी सोच की महत्वता के बारे में।
“नफरत और विभाजन की तरफ झुकना और न झुकना दोनों का फर्क ही समय-समय पर सामने आता रहता है।
इसे छुपाया नहीं जा सकता।
मुसलमानों पर भाजपा और संघ की नफरत भरी सोच के साथ खड़े होने में मायावती दिलीप मंडल योगेंद्र यादव कोई पीछे नहीं रहा।
मायावती ने अभी लोकसभा हारने के बाद कहा कि अब मुसलमानों के साथ सोच समझ कर संबंध रखा जाएगा।
दिलीप मंडल ने तो भाजपा को खुश करने के लिए मुसलमान के खिलाफ नफरत फैलाने की सारी हदें पार कर दीं थीं। मुगलों तक पहुंच गए थे।
योगेंद्र यादव गजवा-ए-हिंद को ले आए थे जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है।
अब आरक्षण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर तीनों की राय अलग-अलग है। मुसलमान पर एक ही थी।
यही नफरत और विभाजन की सोच का परिणाम होता है। जो इसमें फंसते हैं वह आपसी मतभेदों के बावजूद उस एक के खिलाफ एकजुट हो जाते हैं।
दूसरी तरफ प्रेम भाईचारे और समावेश की सोच होती है। इसमें विभाजन नहीं होता है। किसी के खिलाफ अपने स्वार्थ से प्रेरित आरोप नहीं लगते हैं।
भारत की विविधता में जो एकता बनी रही वह इसी समावेशी सोच का परिणाम है।
मगर अब बांटने और राज करने की राजनीति कहां तक पहुंच गई है यह समाज के उसे वर्ग को सोचना चाहिए जिसे वास्तविक रूप से कुछ नहीं दिया जाता है बल्कि सरकारी नौकरियां बंद करके उसके हिस्से का आरक्षण भी छीन लिया जाता है।
मुसलमानों का विरोध करने वाले लोग उन छीनी हुई नौकरियों पर बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे जिससे आरक्षण प्राप्त वर्ग मजबूत हुआ है।
मूल सवाल देश की उसे बड़ी आबादी को स्ट्रेंथन करना है जो सदियों से सामाजिक व्यवस्था के नाम पर वंचित की जाती रही।
मुसलमान इस मामले में कहीं नहीं है। लेकिन दलितों पिछड़ों को बहकाने के लिए मुसलमान की आड़ ली जाती है।
अभी जैसा कि बताया मायावती सहित बाकी और भी जाने कितने लोग इस खेल में शामिल हो जाते हैं। मगर फिर अचानक हमला उन पर कर दिया जाता है।
दरअसल असली निशाना वही हैं। मुसलमान का तो उनसे या किसी से कोई विरोध नहीं है। लेकिन वे और उनके तथाकथित नेता समर्थक बनने वाले मुसलमान के नाम पर नफरत और विभाजन की सोच के साथ खड़े हो जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अभी प्रभावित पक्षों की ही राय सामने आ रही है।
राजनीतिक दलों की नहीं आई है। बाकी जिनसे कोई सीधा संबंध नहीं है फिलहाल उन्हें इंतजार करना चाहिए।
इंसाफ का पक्ष ही लेना है।
मगर जब समय अंधेरे का होता है जानबूझकर भ्रम और नकली मुद्दे समाज में फैला दिए जाते हैं तब सच भी थोड़ा समझने में सामने आने में समय लेता है।
यह वैसा ही संक्रमण काल है। हर हाल में सत्ता में बने रहने की राजनीति ने देश को बहुत बड़े खतरे की तरफ धकेल दिया है।
ऐसे में जो स्थिर होकर सोचेगा वही देश और समाज के लिए सही योगदान कर पाएगा।
सबसे पहली बात देश और समाज को नफरत और विभाजन की राजनीति से बचाना है।
(वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर की एक्स पर टिप्पणी साभार)
नफरत और विभाजन की तरफ झुकना और न झुकना दोनों का फर्क ही समय-समय पर सामने आता रहता है।
इसे छुपाया नहीं जा सकता।मुसलमानों पर भाजपा और संघ की नफरत भरी सोच के साथ खड़े होने में मायावती दिलीप मंडल योगेंद्र यादव कोई पीछे नहीं रहा।
मायावती ने अभी लोकसभा हारने के बाद कहा कि अब…
— Shakeel Akhtar (@shakeelNBT) August 3, 2024
Mayawati, Dilip Mandal and Yogendra Yadav together on hatred towards Muslims!


