मुहावरों का राष्ट्रवाद : 'इन वाक्यों में बार-बार पाकिस्तान ही क्यों आता है?' क्योंकि इसी घृणा से हमारी देशभक्ति खाद-पानी प्राप्त करती है
मुहावरों का राष्ट्रवाद : 'इन वाक्यों में बार-बार पाकिस्तान ही क्यों आता है?' क्योंकि इसी घृणा से हमारी देशभक्ति खाद-पानी प्राप्त करती है

#मुहावरोंकाराष्ट्रवाद
- खेत आना (युद्ध में शहीद होना) —भारत-पाकिस्तान-युद्ध में हमारे अनेक वीर खेत आये।
- नाकों दम करना (परेशान करना)—पिछली लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को नाकों दम कर दिया।
- मुंह की खाना (पहल करके हार जाना) —पाकिस्तान को पिछली लड़ाई में मुंह की खानी पड़ी।
- लोहे के चने चबाना (बहुत कठिनाई झेलना)—भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।
उपरोक्त सारे मुहावरे और उनसे बने वाक्य वासुदेव नन्दन प्रसाद की किताब 'सरल हिंदी व्याकरण और रचना' (भारती भवन), 2017, पृष्ठ 99-101 से हैं।
इन मुहावरों से गुजरते हुए छठी कक्षा में पढ़ रहे भतीजे ने जिज्ञासा प्रकट की- 'इन वाक्यों में बार-बार पाकिस्तान ही क्यों आता है?' मैंने कहा, 'क्योंकि इसी घृणा से हमारी देशभक्ति खाद-पानी प्राप्त करती है।'
देशभक्त लोग घृणा का प्रचार करते हुए कहते हैं, 'जब तक पाकिस्तान नाम का यह राज्य विद्यमान रहेगा, तब तक ये रोज-रोज के झगड़े समाप्त नहीं हो सकते।' (गोलवलकर, 'विजय के लिए संघर्ष' (संपादन व संकलन : वचनेश त्रिपाठी), नीलकंठ प्रकाशन, दिल्ली,2004, पृष्ठ 26)
भारत में 'राष्ट्रवाद' की जड़ें यूँ हीं इतने अंदर तक नहीं जमी हैं।
आदिम काल से हमारे बच्चे भाषा और व्याकरण की किताबों में इन मुहावरों से ऐसे ही घृणा के प्रचारक रटे-रटाये वाक्य लिखते-पढ़ते आ रहे हैं। दुर्भाग्य कि आज 2017 में भी हम उन्हें यही पढ़ा रहे हैं। ये महज मुहावरे होते तो और बात थी।
- पीठ दिखाना- 'भारतीय सेना की वीरता देखकर पाकिस्तानी सेना पीठ दिखाकर भाग गई।' (मधुरिमा, अनुपम हिंदी व्याकरण, भाग 5, ब्राइट किड्स पब्लिकेशन, दिल्ली, पृष्ठ 100)
- छक्के छूटना- 'शिवाजी की वीरता को देखकर मुगलों के छक्के छूट गये।' (वही, पृष्ठ 101)
डॉ. राजू रंजन प्रसाद की एफबी टिप्पणी


