मोदी की जीत और ईसाईयों पर संघी गुंडई का क्या है कनेक्शन ?
मोदी की जीत और ईसाईयों पर संघी गुंडई का क्या है कनेक्शन ?
संघप्रमुख के पूर्वोत्तर दौरे और ईसाईयों पर संघी लम्पटों के हमलों को साथ रखकर समझना होगा। घृणा, हिंसा और असहिष्णुता के अखिल भारतीय विस्तार की संघी मुहिम को धिक्कारिये।
ईसाई फिर से संघी गुंडई का लक्ष्य हो रहे हैं। मोदी की जीत के शुरुआती दिन याद कीजिये जब चर्चों पर ताबड़तोड़ हमले हुए थे। आदिवासियों (जिन्हें संघी वनवासी नाम देना अधिक पसंद करते हैं ) के बीच सेवा कर्म में लगे मिशनरी तो दशकों से उनका निशाना रहे हैं। स्टीव का बच्चों सहित गाड़ी में जलाया जाना बड़ी घटना थी।
हाल ही में मथुरा में ईसाई धर्म की कुछ पत्र-पत्रिकाओं या बुकलेट्स के साथ ईसा मसीह के संदेशों का वितरण कर रहे कुछ ईसाइयों को संघियों ने पकड़कर पुलिस में बंद करा दिया। उन पर धर्मप्रचार के कथनों के आधार पर ही धर्मों में विद्वेष की धाराएं लगा दीं गयीं। वे अदालतों पर भी दबाब बनाने लगे हैं।
शम्भू रैगर के मामले में कोर्ट पर संघी बंदरों का उत्पात देश ने देखा। मथुरा में संघ समर्थक वकीलों का ऐसे मामलों में गोलबंद होकर जमानत पर बहस में शामिल होना और दबाब बनाना देखा गया। अब खुले आम क्रिसमस न मनाने की धमकियां दीं जा रही हैं।
मोदी सरकार के प्रारंभिक दिनों में चर्च पर हमले तब रुके जब बराक ओबामा जैसे विशिष्ट अतिथि को मोदी जी से भारत के संविधान के 25 वे अनुच्छेद का आदर करने के लिए सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा। अचानक फिर ईसाई निशाने पर हैं।
उधर संघ पूर्वोत्तर के प्रदेशों में पैठ बनाने में लगा है इधर ईसाइयों पर हमले बढ़ने संभावित हैं।
संघप्रमुख के पूर्वोत्तर दौरे और ईसाईयों पर संघी लम्पटों के हमलों को साथ रखकर समझना होगा। घृणा, हिंसा और असहिष्णुता के अखिल भारतीय विस्तार की संघी मुहिम को धिक्कारिये।


