मोदी-शाह का हर कदम हिटलर की नकल के सिवाय और कुछ नहीं, प्रणब मुखर्जी और हिंडनबर्ग की साम्यता
मोदी-शाह का हर कदम हिटलर की नकल के सिवाय और कुछ नहीं, प्रणब मुखर्जी और हिंडनबर्ग की साम्यता
मोदी-शाह का हर कदम हिटलर की नकल के सिवाय और कुछ नहीं, प्रणब मुखर्जी और हिंडनबर्ग की साम्यता
हिटलर के लोग घर-घर जाकर हिटलर की आत्म-कथा और जर्मन नस्ल की श्रेष्ठता का झूठा बखान करने वाले नाजी साहित्य को बांटा करते थे। हूबहू उसी की नकल करते हुए अमित शाह ने लोगों के घरों में जाकर संघ के झूठ पर टिके हिंदुत्व की श्रेष्ठता के साहित्य के वितरण का अभियान शुरू कराया है। कहना न होगा, मोदी-शाह का हर कदम हिटलर और नाजियों की कार्यनीति की नकल के सिवाय और कुछ नहीं होता है। यह तस्वीर बर्लिन वाल के सामने लगी हिटलर के आतंक की चित्र प्रदर्शनी से ली गई है।
प्रणब मुखर्जी और हिंडनबर्ग की साम्यता
बर्लिन की दीवार के सामने शैतान हिटलर के आतंक राज की कहानी की चित्र प्रदर्शनी में एक चित्र यह भी था। तत्कालीन राष्ट्रपति हिंडनबर्ग से मुलाकात के वक्त विनम्रता की भावमूर्ति दिखाई देते हिटलर का चित्र। हिंडनबर्ग को धोखा दे कर हिटलर ने जब जर्मनी पर अपना एकक्षत्र राज कायम किया, उसके बाद हिंडनबर्ग को विदा करते समय का यह चित्र। इसे देख हमारे दिमाग में प्रणब मुखर्जी के स्वागत में पलक पावड़े बिछाये हुए आरएसएस के नेताओं की विनम्रता के मिथ्याचार का चित्र कौंध गया।
हिटलर और गोयेबल्स ने सरे- बाजार होली जलाई थी महान साहित्य की किताबों की
घर-घर घूम कर नाजी प्रचार की किताबें बंटवाने वाले हिटलर और गोयेबल्स ने जर्मनी के वास्तविक महान साहित्य की किताबों की सरे- बाजार होली जलाई थी। उन्होंने नाजी प्रचार के अलावा बाकी सारी किताबों को गैर-जर्मन गंदा साहित्य कहा था जैसे आरएसएस के लोग अपने अलावा बाकी हर आदमी को हिंदू-विरोधी और जघन्य बताते हैं।
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