यह अतिशयोक्ति नहीं, सच है! मोदी सरकार के साथ दिनों का संक्षिप्त लेखा-जोखा
अभिषेक श्रीवास्तव
यह बात 1970 की है। नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसवक संघ के कार्यकर्ताओं का तीसरा वर्ष का प्रशिक्षण शिविर चल रहा था। यह वह चरन होता है जिसके बाद कोई व्यक्ति पूर्णकालिक संघ कार्यकर्ता बन जाता है। शिविर का संचालक याज्ञवराव जोशी कर रहे थे जो उस वक्त समुच्चे दक्षिण भारत में संघ कार्यकर्ताओं के प्रमुख हुआ करते थे। एक प्रश्न ने प्रश्नपत्र में जोशी से एक सवाल किया था, ‘हम कहते हैं कि आरएसएस एक हिंदू संघ है। हम कहते हैं कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और भारत हिंदुओं का देश है। उसी संदर्भ में हम यह भी कहते हैं कि मुसलमानों और ईसाइयों को अपना-अपना धर्म मानने की छूट है और वे इसी तरह तब तक रह सकते हैं जब तक उन्हें इस देश से प्यार है।’ आखिर हमें उनको यह रियायत देने की ज़रूरत ही क्यों है? आखिर क्यों नहीं हम स्पष्ट रूप से कह देते कि चूंकि हम हिंदू राष्ट्र हैं, इसलिए उनके लिए यहां कोई जगह नहीं है?’ जोशी ने इसका जवाब यह दिया, ‘आरएसएस और हिंदू समाज अभी इतना सक्षम नहीं हुआ है कि वह मुसलमानों और ईसाइयों से साफ तौर पर कह सके कि अगर आप भारत में रहना चाहते हैं तो आपको अपना धर्म बदलना होगा। लेकिन जब हिंदू समाज इतना मजबूत हो जाएगा, तब हम उनसे साफ-साफ कहेंगे कि अगर वे इस देश में रहना चाहते हैं और इसे प्यार करते हैं, तो उन्हें अपने धर्म को छोड़ना होगा या बदलना होगा। यह कह सकते हैं कि या तो बदल जाओ या खत्म हो जाओ। लेकिन जब हिंदू समाज इतना मजबूत हो जाएगा, तब हम उनसे साफ-साफ कहेंगे कि अगर वे इस देश में रहना चाहते हैं और इसे प्यार करते हैं, तो उन्हें अपने धर्म को छोड़ना होगा या बदलना होगा। यह मान लें कि कुछ पीढ़ियों पहले हिंदू ही थे और इसी तरह तब तक रह सकते हैं जब तक उन्हें इस देश से प्यार है।’

2014 को गोवा के उपमुख्यमंत्री फ्रांसिस डीसूज़ा का दिया यह बयान देखिए, ‘भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की जरूरत क्या है? भारत तो पहले से ही हिंदू राष्ट्र है और हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है। मैं भी हिंदू हूं, ऐसा ही हिंदू।’ यह बयान अचानक नहीं आया है। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेता और नवादा से उम्मीदवार गिरिराज सिंह ने 18 अप्रैल 2014 को कहा था कि जो लोग नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना नहीं चाहते हैं, उनके लिए भारत में जगह नहीं होगी और उन्हें जल्‍द ही पाकिस्तान भेज दिया जाएगा। गिरिराज सिंह का बयान आए सिफारिश तीन महीनेने हुए हैं, लेकिन इस बीच हिंदू इलाकों से मुसलमानों को खदेड़ने (19 अप्रैल, 2014) तथा मुसलमानों को मुजफ्फरनगर दंगों की याद दिलाते हुए उन पर सेरे राह ठुकने (19 जुलाई, 2014) की सलाह हिंदुओं को देने वाले विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीन तोगड़िया से लेकर गोवा के मंत्री दीपक धवलिकर द्वारा नरेंद्र मोदी में जताई गई उम्मीद तक- कि सबके समर्पण से वे भारत को हिंदू राष्ट्र बना देंगे (24 जुलाई, 2014)- हिंदू राष्ट्र का संदर्भ निर्धारित तोर से बार-बार सुखियों में आ रहा है। राष्ट्र्रीय स्वयंसेवक संघ ने अब तक आधिकारिक तोर पर हिंदू राष्ट्र के बारे में अपनी ओर से कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन याददिहानी जोशी की 1970 में कही बात को आज याद करें तो एक सवाल जरूर बनता है क्या हिंदू समाज और आरएसएस ‘प्रयाप्त मजबूत’ हो चुके हैं कि वे कभी भी मुसलमानों और ईसाइयों को धर्म बदलने या खत्म होने का विकल्प दे सकते हैं? सवाल यह है कि जिस हिंदू राष्ट्र का भय लंबे समय से इस देश के बहुलतावादी मानस में जन्मा है, क्या हम उसके बहुत करीब आ चुके हैं? आखिर कितनी करीब आ चुके हैं? यह डर क्या वास्तव में है या सिर्फ संगठनों का बयानबाजी का पैंदा किया हुआ है?

प्रस्तुत लेख का असल उद्देश्य 26 मई, 2014 को इस देश में बनी भारतीय जनता पार्टी की बहुमत वाली सरकार का बस हालचाल लेना था। मंत्रा यह थी कि बीते दो महीनों के दौरान इस सरकार ने जो काम किए हैं या नहीं किए हैं, उन पर बात की जाए और वारदातों के जिस जहाज पर सवाल होकर यह सरकार भारी जनादेश लेकर केेंद्र में आई है, उसके बरक्स आज की तारीख में इस सरकार का पानी नापना जाए। यह लेख जब पिछले दो महीनों के दौरान हुई घटनाओं, विवादों, बयानों, उपलब्धियों, नाकामियों की सूची बनाने बैंठा तो आश्चर्यजनक रूप से दो विरोधी निष्कर्ष निकलकर सामने आएं

- पहला, इस सरकार ने कोई काम नहीं किया है।

इस सरकार ने कोई काम नहीं किया है।