मोहम्मद रफी के पुत्र शाहिद रफी बोले मोदी राज में असुरक्षित हैं मुसलमान
मोहम्मद रफी के पुत्र शाहिद रफी बोले मोदी राज में असुरक्षित हैं मुसलमान
आगरा, 28 फरवरी। प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी के पुत्र शाहिद रफी का कहना है कि नरेंद्र मोदी के शासनकाल में अल्पसंख्यक, खास तौर से मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने अपने पिता को मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग भी दोहराई।
प्रतिष्ठित समाचारपत्र देशबन्धु में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक तीसरे ताज साहित्य महोत्सव से इतर शाहिद रफी ने कहा कि देश की मौजूदा स्थिति तकलीफदेह है।
शाहिद रफी ने कहा,
"वर्तमान शासनकाल में देश के मुसलमान भयभीत हैं। चाहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के खिलाफ कार्रवाई हो या अल्पसंख्यकों पर हमला, कुल मिलाकर स्थिति निराशाजनक है।"
शाहिद रफी ने बीते महीने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के टिकट पर मुंबादेवी क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। शाहिद रफी ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस को इसलिए चुना क्योंकि यह धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक पार्टी है।
देशबन्धु में प्रकाशित खबर के मुताबिक शाहिद रफी ने कहा,
"एआईएमआईएम के साथ मैं कुछ ही समय तक था। उसके बैनर तले चुनाव लड़ा और मुझको 16000 वोट मिले। मैं अपने आप को सीमित नहीं रखना चाहता, इसलिए कांग्रेस में में शामिल हो गया ताकि देश की सेवा बेहतर ढंग से करूं। कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी है।"
उन्होंने कहा कि देश में वह कहीं भी जाते हैं उनके पिता के प्रशंसक उन्हें काफी प्यार देते हैं। रफी का पुत्र होने की वजह से वह खुद को खुशनसीब समझते हैं।
उन्होंने कहा,
"हालांकि मेरे पिता तो भारत के रत्न थे ही, फिर भी अगर उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाता है तो उनके प्रशसंक काफी खुश होंगे।"
अपने पिता को याद करते हुए शाहिद ने कहा कि वह एक स्नेही, नेक और ध्यान रखने वाले पिता थे। वह एक पूर्ण पारिवारिक व्यक्ति थे।
शाहिद रफी स्टेज शो करने के अलावा कपड़े का व्यवसाय भी करते हैं।
शाहिद रफी ने कहा कि रफी के साथ गाने वाले गायक-गायिकाएं, तथा उस समय के फिल्मी हीरो जैसे देवानंद, दिलीप कुमार और शम्मी कपूर और कई अन्य उन्हें बड़ा सम्मान देते थे। फिल्म जगत में वह सम्मानीय थे।
उन्होंने कहा कि रफी साहब नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे उनके पदचिन्हों पर चलें। वह अक्सर कहते थे,
"अगर तुम गायक बनना ही चाहते हो तो मेरे जैसा या मुझसे बड़ा बनो। कभी मुझसे दोयम दर्जे का नहीं बनना।"


