Is it mouse friendship or rat friendship? Are you surrounded by enemies?

फेसबुक यूजर नई समस्याओं के समाधान रामायण,महाभारत, हनुमान चालीसा ,शिवचालीसा आदि में क्यों खोजता है ? अतीत के बोझ को त्यागे बिना आधुनिक नहीं बन सकते फेसबुक यूजर।

क्या सच बोलने से कतराता है फेसबुक यूजर ? | Do Facebook users shy away from telling the truth?

फेसबुक यूजर अपनी वर्तमान इमेज के एक अंश मात्र को अभिव्यक्त करता है। वह अपना अतीत छिपाता है। सच बोलने से कतराता है, फलतः जो मित्रता बनती है वह खोखली होती है। यह माउस मित्रता है या मूषक मित्रता है।

फेसबुक में डिसलाइक क्यों नहीं है ? | Why Is There No Dislike Button On Facebook ?| Facebook Pe Dislike Button Kyon Nahi Hota?

फेसबुक में एनीमि यानी शत्रु की केटेगरी नहीं है, फलतः यही लगता है कि यह मीडियम शत्रु रहित है लेकिन अजातशत्रु युधिष्ठिर का हश्र हम देख चुके हैं, उनका कोई शत्रु नहीं था लेकिन घर में 100 कौरव शत्रु निकले, क्या आप शत्रुओं से घिरे हैं ? फेसबुक में लाइक है, डिसलाइक नहीं है। मित्रता के लिये मित्र की कठोर बात को भूलने की जरूरत होती है, सम्भवतः इसी कारण डिसलाइक का विकल्प नहीं है।

फेसबुक पर नकली उदारता के जरिए मित्रगण मित्रता का दावा करते हैं। इस मित्रता में कोई सामाजिक बंधन और जिम्मेदारी नहीं है।

फेसबुक पर नकली उदारता का प्रदर्शन अन्ततः हिप्पोक्रेसी है। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो नकली उदारता की बाढ़ का प्रत्येक वॉल पर सहज ही प्रदर्शन देख सकते हैं। नकली उदारता को बुद्धिमत्तापूर्ण अभिव्यक्ति समझने की भूल न करें। फेसबुक पर हिप्पोक्रेसी वही करते हैं जो आम जीवन में भी हिप्पोक्रेट हैं। हिप्पोक्रेट बड़े महत्वाकाँक्षी होते हैं। लेकिन फेसबुक तो महत्वाकाँक्षाओं का अन्त है।

कलात्मक अभिव्यक्ति के लिये हिप्पोक्रेसी का निषेध हर स्तर पर किया जाना चाहिये। जो कलात्मक अभिव्यक्ति में अक्षम हैं वे ही नकली अस्मिता का इस्तेमाल करते हैं। हमें इस सवाल पर विचार करना चाहिये कि फेसबुक आने के बाद हिप्पोक्रेसी बढ़ी है या घटी है ? जो लोग सामने मिलने पर अच्छे से बात नहीं करते वे फेसबुक पर भद्रभाव से बातें करते हैं, यह नकली कम्युनिकेशन का आदर्श प्रमाण है।

फेसबुक में जो नकली नाम से सक्रिय है वे मूलतःवे लोग हैं जिनका स्वयम् के प्रति कोई श्रद्धा और सम्मान नहीं है। नकली लोग और नकली नाम अन्ततः हिप्पोक्रेसी का वातावरण बनाते हैं और यह कु-कम्युनिकेशन की कोटि में आता है।

फेसबुक में नकली नामों का जमघट है यह फेसबुक यूजर की हिप्पोक्रेसी है और हिप्पोक्रेट समाज नहीं बदल सकते। हिप्पोक्रेसी के कारण शब्द और अर्थ व्यक्ति के विचार और कर्म के बीच फाँक नजर आती है। इस दरार को फेसबुक ने और भी चौड़ा किया है। फेसबुक यूजर को कलाकार-लेखक की कोटि में नहीं रख सकते। इसका प्रधान कारण है लेखक-कलाकार को कम्युनिकेशन में अन्ततः सफलता मिलती है लेकिन फेसबुक में कम्युनिकेशन के कु-कम्युनिकेशन में रूपान्तरित होने का खतरा हमेशा बना रहता है। पता नहीं आपकी लिखी पंक्तियाँ किसे कष्ट दे रही हो ? या कौन गलत ढँग से पढ़ रहा हो ?

फेसबुक पर हिप्पोक्रेसी खूब दिखती है। हिप्पोक्रेसी के कारण ही मित्रगण कुछ भी वायदा करते हैं, क्योंकि वायदा करने में कोई क्षति नहीं है। नया कम्युनिकेशन युग मनुष्य की संप्रेषण क्षमताओं का विस्तार है। साथ ही कम्युनिकेशन तकनीकी मनुष्य की संवेदनशीलता का विस्तार है। इंटरनेट कम्युनिकेशन के विभिन्न रूपों के आने के साथ ही प्राइवेसी का नया पैराडाइम सामने आया है।

फेसबुक में सवारी कोई नहीं सब ड्राइवर हैं।

फेसबुक वस्तुतः ऑटोमेशन युग का कम्युनिकेशन है इसमें जब भी आप कम्युनिकेट करेंगे अपने आप कम्युनिकेट करना होगा। आप क्या हैं और किस तरह कम्युनिकेट करना चाहते हैं यह निजी तौर पर खोज करनी पड़ेगी।

जगदीश्वर चतुर्वेदी