याद रखियेगा, यह लहू इतिहास बन रहा है। देवब्रत मजूमदार को मरा समझ कर चड्ढी वाले नाली में फेंक गये थे। इतिहास देख लेना। आज तक देवब्रत मजूमदार हर जुबान पर है। कितना पीटोगे ?

चंचल

यह है महामना का काशी विश्वविद्यालय।

एक निहत्था लड़का पीटा जा रहा है लबे सड़क। पीछे से खाकी पुलिस है और सामने से सफ़ेद कमीज में अध्यापक, वह भी कानून के। जे पी राय।

राय साहब ! याद रखियेगा, यह लहू इतिहास बन रहा है।

किसी गांव से चल कर आया है यह लड़का, बड़ी ख्वाहिश लेकर आया है यहां। आपकी लाठी में दम नही है कि छात्रों के सच को तोड़ दे।

जोशी के जमाने भी यही कुछ हुआ था। अग्रज अशोक मिश्रा को कुलपति आवास में बुला कर पीटा गया था।

देवब्रत मजूमदार को मरा समझ कर चड्ढी वा

यह उस विश्वविद्यालय का मुख्यद्वार है जहां कभी आचार्य नरेंद्र देव , सर्वपल्ली राधाकृष्णन , डॉ त्रिगुण सेन जैसे कुलपति रहे हों, उस जगह एक चड्ढी वाला बैठा है। लूट खसोट के साथ बहुत कुछ हो रहा है। अब तो लड़कियां भी मैदान में उतर चुकी हैं। पुलिस के घेरे को तोड़ती हुयी लड़कियां बहादुरी का परिचय दे रही हैं। बधाई।

ले नाली में फेंक गये थे। इतिहास देख लेना। आज तक देवब्रत मजूमदार हर जुबान पर है। कितना पीटोगे ?