युग बदलाव का मार्ग प्रशस्त करती है कविता - प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल
युग बदलाव का मार्ग प्रशस्त करती है कविता - प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल

Poetry paves the way for era change - Prof. Shriprakash Shukla
संभावना का ‘‘कविता और जीवन’’ विषयक व्याख्यान
बनास जन के विशेषांक ‘‘फिर से मीरा’’ का विमोचन
डॉ. कनक जैन
चित्तौड़गढ़ 13 अक्टूबर। कविता अपने जीवन में सत्ता से हमेशा टकराती है क्योंकि कविता ही वह विधा है जो युग बदलाव की संरचना का मार्ग प्रशस्त करती है। कविता संवेदना से ही चलती है और जीवित मनुष्यता को रेखांकित करती हैं। बिना औचित्य के कविता सामाजिक नहीं हो सकती।
विख्यात कवि और आलोचक प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने संभावना संस्था द्वारा विजन स्कूल ऑफ मैनेजमेंन्ट में आयोजित ‘‘कविता और जीवन‘‘ विषयक व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता उक्त बात कही।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर शुक्ल ने कहा कि कविता भूगोल से अनिवार्यत: जुड़ी हुई है इसके बिना वो इतिहास में दर्ज नहीं हो सकती। कविता में स्थानीयता की समझ ही उसे वैश्विक बना सकती है। कोई भी रचनाकार वर्तमान को समृद्ध किए बिना अतीत और भविष्य की रचना नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि अलक्षित को लक्षित करते हुए कविता जीवन के पूनर्नवता की खोज है और बेहतरीन कवि वो ही है जो संस्कृति के निकट है।
संभावना के अध्यक्ष डॉ. के सी शर्मा ने कहा कि मूल्यों पर आधारित रचना ही कविता है। समाज के ज्वलंत मुद्दों पर साहित्य और कविता का एक अटूट संबंध है।
कार्यक्रम में देश विदेश में अपने गीतों से प्रसिद्ध गीतकार रमेश शर्मा ने अपने नवीनतम गीत ‘‘ मैं मिट्टी हूँ पहाड़ की मुझे चांद चाहिए’’ को सुनाया वहीं अब्दुल जब्बार ने भी काव्यपाठ किया।
प्रो. शुक्ल ने अपनी कविता ‘‘ तनी हुई विफलता ’’ के जरिए कविता की सार्थकता को श्रोताओं के समक्ष रखा। प्रो. शुक्ल का विजय स्तम्भ की प्रतिकृति भेंट कर अभिनन्दन किया गया।
कार्यक्रम में मीरा स्मृति संस्थान के अध्यक्ष भंवरलाल शिशोदिया, नारायण सिंह राव, पेंशनर समाज के जिलाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण दशोरा, मुन्नालाल डाकोत, अखिलेश चाष्टा, राजेश चौधरी, डॉ. सीमा श्रीमाली, शंभुलाल सोमाणी, नवकुमार दशोरा, फजलु रहमान, पूरण मेनारिया, सुमंत श्रीमाली, संतोष शर्मा, देवीलाल दमामी सहित हिन्दी विषय के शोधार्थी व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अंत में आभार विजन कालेज की ट्रेनिंग हैड चारू पारिक ने ज्ञापित किया तथा संचालन डॉ. कनक जैन ने किया।
‘‘फिर से मीरा’’ का विमोचन
आयोजन में साहित्यिक पत्रिका बनास जन के विशेष अंक ‘‘ फिर से मीरा’’ का विमोचन किया गया । प्रो. शुक्ल ने इस अवसर पर मीरा के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि मीरा ही वो शख्यित है जिसने सामंतवादी मूल्यों से संघर्ष कर नारी चेतना को स्वर दिया। मेवाड़ धरा की मीरा जब जन चेतना की आवाज बनती है तो वो इलाहाबाद में महादेवी वर्मा के रूप में अवतरित होती है।
साहित्य जगत में आधुनिक मीरा किसे कहा जाता है? | Adhunik Yug Ki Mira Kise Kaha Jata Hai?
उल्लेखनीय है कि साहित्य जगत में महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा के नाम से सम्मान दिया जाता है।
चयनित व्याख्याता का सम्मान
कार्यक्रम के दौरान हाल ही में आरपीएससी से चयनित जिले के व्याख्याताओं का संभावना संस्थान की ओर से सम्मान किया गया।
मुख्य वक्ता प्रो. शुक्ल, संभावना के अध्यक्ष केसी शर्मा व कवि अब्दूल जब्बार ने विकास अग्रवाल, गोपाल जाट, संगीता श्रीमाली, पूर्णिमा चारण, मीना तरावत, पूर्णिमा मेहता, विनोद मूंदड़ा, हरीश खत्री, सीताराम जाट को साहित्यिक कृति देकर सम्मानित किया।


