युवा भारत की है ललकार! रोजगार बने मौलिक अधिकार!
युवा भारत की है ललकार! रोजगार बने मौलिक अधिकार!
आज बेरोजगारी एक बड़ा सवाल है जो हमारे करोड़ों देशवासियों विशेषकर समाज के सबसे चिरंज़ावान तबके युवाओं को प्रभावित कर रही है। आज हमारे देश में 66 फीसदी आबादी 35 वर्ष से कम के युवाओं की है जिसका बहुत बड़ा हिस्सा बेरोजगार है। जाहिर है, विरासत मानव संपदा की उत्पादन की क्षमता से वंचित रह जाना हमारे देश और समाज की भी अपार क्षति है। यह भी अत्यंत महत्वपूर्ण है कि बेरोजगारी नौजवानों की एक अद्भुत खाद्य, अर्ध-खाद्य, और धात्रीयता का आधारशिला बनते हैं।
देश में आज बेरोजगारी की दर 9.4 फीसदी, जो यूरोप को छोड़कर पूरी दुनिया में सर्वाधिक है। आज हमारे देश में 35.5 फीसदी युवा सनातक बेरोजगार है, देश में हर साल पैदा होने वाले 4 लाख इंजीनियरों में 2 लाख बेरोजगार हो जाते हैं। बेरोजगारी की भयावहता का अंदाजा हाल ही में प्रकाशित रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है, जिसके अनुसार अगले 7 साल में एक करोड़ लोग काम के अभाव में शहरों से कृषि क्षेत्र की ओर लौटने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
शहर से गांव की ओर उलटे पलायन की यह अभूतपूर्व त्रासदी होगी। जाहिर है यह देश में गिरती विकास दर और रोजगारविहीनता के रास्ते का नतीजा है।


