यूजीसी भंग करने का फैसला : शिक्षा के हिंदुत्वकरण का संघ परिवार के एजंडे का क्रमबद्ध हमला
यूजीसी भंग करने का फैसला : शिक्षा के हिंदुत्वकरण का संघ परिवार के एजंडे का क्रमबद्ध हमला

Decision to dissolve UGC: A systematic attack of Sangh Parivar's agenda of Hindutvaisation of education
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भंग करने का सरकार का फैसला भारतीय शिक्षा के हिंदुत्वकरण का संघ परिवार के एजंडे के तहत लगातार विश्वविद्यालयों को खत्म करने के लिए 2014 से जारी केंद्र सरकार और संघ परिवार के क्रमबद्ध हमलों के सिलसिले में देखना समझना चाहिए।
उच्च शिक्षा के भगवाकरण के संघी अभियान का चरमोत्कर्ष है यह
जेएनयू से लेकर जादवपुर तक उच्च शिक्षा के भगवाकरण के संघी अभियान का यह चरमोत्कर्ष है। इसका पुरजोर विरोध न हुआ तो ज्ञान विज्ञान से भावी पीढ़ियां वंचित होकर अंधकार में जीने को मजबूर हो जाएंगी और इसंके जिम्मेदार संघियों से ज्यादा हम होंगे।
उच्च शिक्षण संस्थान को मान्यता देने व नियम बनाने वाली संस्था विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) हो रही है। केंद्र सरकार ने पहली बार यूजीसी को गठित करने वाले यूजीसी एक्ट 1956 को भंग करते हुए उसकी जगह हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) एक्ट 2018 का मसौदा तैयार कर पब्लिक नोटिस के माध्यम से 7 जुलाई तक सुझाव मांगे हैं। एचईसी का काम सिर्फ गुणवत्ता, शोध, पढ़ाई समेत नियम बनाने पर फोकस करना होगा।
यह भी पढ़ें एक तरफ चमकता भारत है दूसरी तरफ तरसता भारत - येचुरी
ख़बरों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission) को ही एकल नियामक संस्था बना दिया है जो केंद्रीय, निजी, डीम्ड-टू-वी यूनिवर्सिटी, निजी यूनिवर्सिटी के लिए सभी प्रकार के नियम तय करेगी। ये सभी काम अभी तक मंत्रालय करता था। एचईसीआई एक्ट 2018 लागू होने के बाद ऑनलाइन रेगुलेशन डिग्री, नैक रिफार्म, विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को स्वायत्तता देना, ओपन डिस्टेंस लर्निंग रेगुलेशन आदि का सारा कामकाज मंत्रालय के बजाय हायर एचईसी करेगा।
यह भी पढ़ें क्या है आरएसएस का शिक्षा एजेंडा?
ख़बरों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय सिर्फ वित्तीय कामकाज संभालेगा, जिसके तहत विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को अनुदान देना, स्कॉलरशिप राशि आदि का भुगतान करना भी शामिल रहेगा। देशभर के छात्र, अभिभावक शिक्षाविद, शिक्षकों व आम जनता से मिले सुझावों के तहत ड्रॉफ्ट बिल में बदलाव होगा। उसके बाद इस बिल को कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट में पास होने के बाद मानसून सत्र में संसद में पास होने के लिए भेज दिया जाएगा।


