यूपी को गुजरात बनाने के यज्ञ में आहुतियाँ जारी,खालिद के वकील पर हमले की निन्दा
यूपी को गुजरात बनाने के यज्ञ में आहुतियाँ जारी,खालिद के वकील पर हमले की निन्दा
साम्प्रदायिक ताकतों से मिलीभगत करके खालिद के हत्यारों को
बचाने का प्रयास कर रही है राज्य सरकार-सुमन
लखनऊ/ फैजाबाद/ बाराबंकी/ नई दिल्ली। सीरियल बम विस्फोटों के कथित अभियुक्त खालिद मुजाहिद की पुलिस स्कॉर्ट में हत्या के बाद एक तरफ जहाँ साम्प्रदायिक ताकतें खुली गुण्डई करके प्रदेश का माहौल खराब करना चाहती हैं वहीं लगता है कि प्रदेश सरकार की नीयत भी इस मसले पर साफ नहीं है। खालिद मुजाहिद की हत्या के विरोध में 23 मई को दिल्ली में यूपी भवन पर प्रदर्शन किया जायेगा।
फैजाबाद में गुण्डई करते हुये खालिद मुजाहिद के वकील एडवोकेट जमाल अहमद के सहयोगी एडवोकेट सलीम अहमद पर आज जानलेवा हमला किया गया। अधिवक्ता शकीलुर रहमान, जमाल अहमद व नदीम अहमद के चेम्बरों में तोड़-फोड़ की गयी। इस हमले के बाद फैजाबाद को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
फै़ज़ाबाद जनमंच व रिहाई मंच ने साझा तौर पर एडवोकेट मोहम्मद सलीम पर हुये जानलेवा हमले की कटु निन्दा की है। मंच के फै़ज़ाबाद संयोजक दिनेश सिंह ने इस घटना को आपराधिक व साम्प्रदायिक करार दिया। उन्होंने कहा कि, दोषियों को तत्काल गिरफ़्तार किया जाये।
श्री सिंह ने कहा कि बार एसोसिएशन व वकीलों को जहाँ लोकतन्त्र, संविधान एवं उसके दिशा-निर्देशों को आगे बढ़ाने का कर्तव्य निभाना चाहिये था, वहीं कुछ वकीलों की जमात ने बार एसोसिएशन के निर्णयों पर कब्ज़ा कर आपराधिक कृत्य करना शुरू कर दिया है। ऐसे वकीलों को जो इस हमले की साजि़श के जिम्मेदार हों, उनकी बार की सदस्यता व वकालत का लाईसेन्स रद्द होना चाहिये।
उधर लखनऊ में रिहाई मंच ने फैजाबाद में सपा, बजरंगदल, हिन्दू युवा वाहिनी, भाजपा जैसे हिन्दुत्ववादी संगठनों के गुण्डों द्वारा अधिवक्ता सलीम पर जानलेवा हमला व अधिवक्ता शकीलुर रहमान, जमाल अहमद व नदीम अहमद के चेम्बरों में तोड़-फोड़ की घटना की निन्दा करते हुये तत्काल दोषियों को गिरफ्तार करने की माँग की है।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि समाजवादी पार्टी शहीद खालिद मुजाहिद को लेकर हो रहे प्रदर्शनों और भारी विरोध को रोकने के लिये कुण्ठा में साम्प्रदायिक तत्वों को बढ़ावा देकर हिंसा करवा रही है। लेकिन सपा को समझ लेना चाहिये कि उसकी उल्टी गिनती शुरु हो गयी है। यह वही साम्प्रदायिक तत्व हैं जिन्हें दंगे से सम्बंधित अनेकों एफआईआर में कई को नामजद अभियुक्त किया गया है परन्तु उनकी गिरफ्तारी सपा सरकार ने अब तक नहीं करवायी।
दूसरी तरफ बाराबंकी में मानवाधिकार कार्यकर्ता और खालिद मुजाहिद के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने समाजवादी पार्टी और मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव को कठघरे में खड़ा करते हुये आरोप लगाया कि राज्य सरकार साम्प्रदायिक ताकतों से मिलीभगत करके खालिद के हत्यारों को बचाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो नामजद एफआईआऱ दर्ज होने के बाद भी कातिल अधिकारी सरकार के संरक्षण में खुले घूम रहे हैं दूसरी तरफ सरकार सुबूतों को मिटाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि जब राज्य सरकार ने सीबीआई जाँच की सिफारिश कर दी है तब वह किस अधिकार से बिसरे की जाँच करा रही है और मुख्यमन्त्री किस आधार पर राज्य सरकार द्वारा समानान्तर जाँच कराये जाने की बात कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि फैजाबाद में अधिवक्ता सलीम पर कातिलाना हमला और राज्य सरकार की उदासीनता साबित करती है कि मुख्यमन्त्री यूपी को गुजरात बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं।
श्री सुमन ने कहा कि एटीएस और एसटीएफ लखनऊ और बाराबंकी में भी खालिद मुजाहिद और अन्य बेगुनाहों का मुकदमा लड़ रहे वकीलों पर जानलेवा हमले कराने की योजना बना रही है।
खालिद मुजाहिद की हत्या के विरोध में 23 मई को दिल्ली में यूपी भवन पर प्रदर्शन किया जायेगा। आइसा नेता सुचेता डे के मुताबिक जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय के गंगा ढाबा पर प्रातः 10 बजे प्रदर्शनकारी इकट्ठा होंगे।
लखनऊ में भी कल यानी 22 मई से विधान सभा के सामने रिहाई मंच अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल प्रारम्भ करने जा रहा है। मंच की माँग है कि खालिद मुजाहिद की हत्या में आरोपी पुलिस कर्मियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये।


