नई दिल्ली, 20 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का आरक्षण विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है। बिहार चुनाव से पहले मोहन भागवत ने संघ का आरक्षण पर चेहरा उजागर किया था अब मनमोहन वैद्य ने कर दिया है।

आरएसएस के संचार विभाग के प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा है कि किसी भी आरक्षण को बहुत लंबे समय तक नहीं बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में मुसलमानों की बुरी सामाजिक-आर्थिक स्थिति की वजह यह है कि उनकी अधिकांश संख्या आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों में रहती है।

मीडिया रिपोर्ट्,केमुताबिक जयपुर में चल रहे साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन के समापन सत्र में 'आफ सैफरन एंड द संघ' विषय पर परिचर्चा में मनमोहन वैद्य और आरएसएस के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने हिस्सा लिया। इन्हें सुनने वालों में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी थीं।

वैद्य ने कहा,

"यह व्यापक रूप से माना जाता है कि किसी भी आरक्षण को लंबे समय तक जारी नहीं रखना चाहिए क्योंकि फिर इसका सही मूल्य भुला दिया जाता है। जहां तक बात मुसलमानों की है, तो हम देख सकते हैं कि 68-70 फीसदी मुसलमान बंगाल-बिहार-उत्तर प्रदेश में रहते हैं जो कि खुद ही बहुत पिछड़े हुए राज्य हैं। ऐसे में उनकी (मुसलमानों की) बुरी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझा जा सकता है।"

वैद्य ने कहा,

"इस मामले को समुदाय के अंदर उठाया जाना चाहिए। उन्हें कौन सी बात पीछे रख रही है। यह सभी समुदायों के लिए होना चाहिए, किसी एक के लिए नहीं।"

वैद्य ने कहा,

"आरक्षण का विषय अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए एक बिलकुल अलग संदर्भ में है। किसी भी समुदाय के लिए कोई भी आरक्षण लंबे समय तक नहीं होना चाहिए। अधिक अवसर होने चाहिए, सभी के लिए अधिक शिक्षा होनी चाहिए लेकिन इसके बजाय मुकम्मल तुष्टिकरण है और यही है जो नजर आ रहा है।"

बहरहाल आरएसएस के अच्छे दिन आ गए हैं, यह पहली बार है कि किसी बड़े साहित्य महोत्सव में आरएसएस को खास जगह मिली।