ये कौन हैं जो अपनी पहचान छिपा कर दूसरों को गद्दार कह रहे हैं।
ये कौन हैं जो अपनी पहचान छिपा कर दूसरों को गद्दार कह रहे हैं।

किसी को देशद्रोही कहने से पहले अपने देशभक्त होने का प्रमाण तो दे दो
आज कमेंट बाक्स में गाली देने वालों और भक्ति का प्रदर्शन करने वालों को देख रहा था। नाम पता देखते देखते ब्लाक भी कर रहा था।
दो तरह के लोग हैं। एक तो वाकई सजीव हैं जिन्हें आप दुर्गा की तस्वीर भी दीजिए तब भी कुछ न कुछ अवांट बवांट लिख देते हैं। मगर गाली देने वालों में ज्यादातर वो लोग हैं जिनके पेज पर कुछ होता ही नहीं हैं। एक तस्वीर होती है। ज़्यादातर पुरुष की होती है। एकाध पोस्ट से ज़्यादा नहीं होता। कइयों में तो पोस्ट ही नहीं दिखा।
मैं यही सोच रहा हूं कि कौन सी शक्तियां हैं जो गाली देने के पीछे इतना निवेश कर रही हैं। इनका एक मकसद तो समझ आता है। गाली देकर डराओ और यह बता दो कि आपको सिर्फ गाली देने वाले ही मिलते हैं।
किसी को देशद्रोही कहने से पहले अपने देशभक्त होने का प्रमाण तो दे दो। इसका मैं सिम्पल टेस्ट बताता हूं। लड़कों से एक सवाल पूछ दो। शादी की थी तो दहेज लिया था। नब्बे फीसदी भाग जाते हैं। अब इस देश की लड़कियां और औरतें जानें।
क्या एक पोस्ट शेयर कर देने से कोई देशद्रोही हो जाता है। इतना आसान हो गया है कि किसी को देशद्रोही कहना। ये कौन हैं जो अपनी पहचान छिपा कर दूसरों को गद्दार कह रहे हैं। लेकिन आज न कल आपको इस प्रवृत्ति को समझना ही होगा। जिस पार्टी या संगठन की तरफ से यह सब हो रहा है इसे कोई और भी कर सकता है। बोलना या सवाल करना स्वाभाविक नहीं रह जाएगा। एक रास्ता है कि परवाह न किया जाए।
सवाल परवाह करने का नहीं है। सवाल है इस प्रवाह को निरंतर बहते रहने देने का। इतनी मेहनत से मैं बार बार आपको इसलिए बता रहा हूं कि यह सब संगठित रूप से हो रहा है। संगठित होने का एक और मतलब समझ लीजिए। ज़रूरी नहीं कि किसी संगठन के केंद्रीय कार्यालय से ही हो रहा हो। यह एक संस्कृति की तरह पसर गई है। उस पांत में उठने बैठने वाले लोग अपने स्तर पर भी कर रहे हैं। आखिर इन्हें एक पर ही किये गए सवाल से आपत्ति क्यों हैं। क्या इस देश में सवाल करना मना हो गया है। कोई इतना बड़ा हो गया है।
आपको चुप रहना है। रह लीजिए। अभी आएंगे वे इस पोस्ट को पढ़ने के बाद। फिर से गरियाने। गरियाते रहो। जितनी मेहनत ये मीडिया के कुछ लोगों को गरियाने में लगाते हैं उतनी मेहनत उसका हिसाब कर लेते जिसके लिए वोट देकर आए हैं तो आज संसद से लेकर विधायिकों में आपराधिक चरित्र और मामलों वाले लोग न होते।
रवीश कुमार
(रवीश कुमार वरिष्ठ हिंदी पत्रकार हैं, इस समय एनडीटीवी इंडिया में प्राइम टाइम एंकर के रूप में लोकप्रिय हैं। सोशल मीडिया पर सक्रिय और मुखर हैं। उनकी फेसबुक टाइमलाइन से साभार।)


