ये खाद्य सुरक्षा है या मध्यान्ह कुपोषण योजना? - माकपा
ये खाद्य सुरक्षा है या मध्यान्ह कुपोषण योजना? - माकपा
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राशन प्रणाली युक्तिकरण के नाम पर प्रदेश की जनता को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए खाद्यान्न आबंटन में बड़े पैमाने पर की गई कटौती की निंदा करते हुए पूछा है कि ये खाद्य सुरक्षा है या मध्यान्ह कुपोषण योजना?
आज यहां जारी एक प्रेस बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि होना तो यही चाहिए था कि अधिक सदस्य वाले परिवारों को ज्यादा खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता, लेकिन किया यह गया कि बीपीएल परिवारों के लिए खाद्यान्न आबंटन की कुछ मात्रा को आधा किया गया है तथा एपीएल परिवारों को राशन प्रणाली से ही बाहर कर दिया गया है। प्रदेश की गरीब जनता के मुंह से प्रतिमाह 1.75 लाख टन खाद्यान्न छीनने का अर्थ है कि पहले से ही गंभीर रुप से प्रभावित जनता कुपोषण का और ज्यादा शिकारी होगी।
माकपा सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया है कि भाजपा राज्य सरकार, केन्द्र की नीतियों के अनुसरण में खाद्यान्न सब्सिडी में बड़े पैमाने पर कटौती कर रही है तथा आम जनता को बाजार में धकेल रही है। इससे इसी खाद्य उपार्जन के लिए गरीब जनता की जेब से अब बाजार के व्यापारी 600 करोड़ रुपयों से ज्यादा निचोड़ेंगे। उदारीकरण की नीतियों का वास्तविक अर्थ यही है।
पराते ने राशन प्रणाली को सार्वभौमिक की पार्टी की मांग को दोहराते हुए कहा है कि सरकार के इस जनविरोधी कदम के खिलाफ माकपा पूरी ताकत से अभियान चलाकर आम जनता को लामबंद करेगी।


