ये वक्त घर में बैठने का नहीं, समाज को तोड़ने वाली इस पार्टी का कोई विकल्प नहीं है तो आप ही विकल्प बन जाइये
ये वक्त घर में बैठने का नहीं, समाज को तोड़ने वाली इस पार्टी का कोई विकल्प नहीं है तो आप ही विकल्प बन जाइये
हिमांशु कुमार
भाजपा का चुनाव जीतने का नोटबन्दी का यह हथकण्डा फेल होगा।
चुनाव जीतने के लिये भाजपा के पास दो हथकण्डे बचेंगे...
पाकिस्तान से युद्ध या हिन्दु मुस्लिम दंगा।
लेकिन जो लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को पसंद करने वाले लोग हैं, उनके लिये समाज को बचाने के लिये कुछ करने का सही समय है।
अगर समाज को तोड़ने वाली इस पार्टी का कोई विकल्प नहीं है।
तो अब आप ही विकल्प बन जाइये।
अपने शहर में दो मुद्दों पर जनमत बनाइये।
युद्ध नहीं शान्ति,
सभी लोगों के बीच एकता।
यह सन्देश बच्चों और युवाओं के द्वारा हवा में फैलाने का काम करना है।
स्कूल कालेजों में इन दो विषयों पर निबन्ध लेखन और चित्र बनाने की प्रतियोगितायें आयोजित करिये।
पहले लोकतन्त्र और धर्मनिरपेक्ष लोगों और संगठनों की बैठक बुलाइये।
सामने खड़ी चुनौती और अपनी रणनीति का प्रस्ताव रखिये।
समय देने वाले। दौड़भाग करने वाले।
गाड़ी, पर्चे छपाई, बैनर, पुरस्कार की व्यवस्था करने वाले लोगों को सहमत कीजिये।
बड़े स्कूल। कालेजों में युद्ध के क्या नुकसान होते हैं और एकता के क्या लाभ हैं, विषयों पर निबन्ध और पोस्टर बनाओ प्रतियोगिता करवाइये।
हर स्कूल और कालेज में से 1O सबसे अच्छे निबंध और पोस्टर चुन लीजिये।
शहर के मैदान में सभी प्रतिभागियों को बुलाइये।
सभी धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील, संस्था, संगठनों, राजनैतिक पार्टियों के लोगों को बुलाइये।
बच्चों के बनाये पोस्टरों की प्रदर्शनी लगाइये।
कुछ चुनिंदा निबंधों को मंच पर बच्चों से पढ़वाइये,
युद्ध का शैतानी अर्थशास्त्र समझाइये।
युद्ध विरोधी नारे लगाइये,
साम्प्रदायिक राजनीति के षडयंत्र पर बोलने के लिये वक्ताओं से काहिये।
धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में नारे लगाइये।
कला जत्था। या गीत गाने वाले साथियों से गीत व नाटक करवाइये।
संभव हो तो युद्ध विरोधी और सर्वधर्म समभाव समर्थक जलूस निकालिये।
इस सब की मीडिया कवरेज करवाइये।
सोशल मीडिया पर जम कर फोटो, वीडियो फैलाइये।
माहौल बदल दीजिये।
इतने जोश से काम कीजिये की समाज को तोड़ने वाली ताकतें अकेली पड़ जायें।
आप अगर चाहें तो इस तरह के कार्यक्रमों में बाहर से जाने पहचाने कार्यकर्ताओं को भी बुला सकते हैं।
मैं तो आने के लिये एक पैर पर तैयार हूँ।
ये वक्त घर में बैठने का नहीं है।


