भूगोल के खिलाफ, प्रकृति और मनुष्यता के खिलाफ है केसरिया कारपोरेट जिहाद
इसीलिए भूकंप के झटके थम नहीं रहे और जख्मी हिमालय ज्वालामुखी की तरह दहकने लगा है और बिहार यूपी वालों की नींद भी हराम कि मंगोलिया से तीरंदाजी के निशाने पर हिमालय।
अबकी दफा उत्तराखंड में भूकंप आया तो न जाने क्या होगा!
भूगोल के खिलाफ, प्रकृति और मनुष्यता के खिलाफ है केसरिया कारपोरेट जिहाद।
इसीलिए भूकंप के झटके थम नहीं रहे और जख्मी हिमालय ज्वालामुखी की तरह दहकने लगा है और बिहार यूपी वालों की नींद भी हराम कि मंगोलिया से तीरंदाजी के निशाने पर हिमालय।
अबकी दफा उत्तराखंड में भूकंप आया तो न जाने क्या होगा?
अपने राजीव लोचन साहज्यू ने मौके की नजाकत समझते हुए अपना प्रोफइल फोटो बदल दिया हैः
1899 में आज के फ्लैट्स (हमारी आमा के अनुसार तब 'किरकिट') में खेले जाने वाला यह टेनिस मैच हमारे आज लगाये प्रोफाइल फोटो के साथ ठीक-ठीक मैच करेगा.
'1899 में आज के फ्लैट्स (हमारी आमा के अनुसार तब 'किरकिट') में खेले जाने वाला यह टेनिस मैच हमारे आज लगाये प्रोफाइल फोटो के साथ ठीक-ठीक मैच करेगा.'
बेहतर हो कि हिमालय के तमाम उत्तुंग शिखरों, खूबसूरत घाटियों, पवित्र अपवित्र नदियों , झरनों, शहरों , कस्बों , गांवों और झीलों की तस्वीरें भी आज के नैनीताल के साथ जहां संभव तहां लगाकर इतिहास में दर्ज करा दी जायें।
भूगर्भ विशेषज्ञ ही विश्लेषण कर सकते हैं कि भूंकप के झटके क्यों नहीं थम रहे हैं और पचास हजार करोड़ सालों के बाद नवउदारवाद की संतानों के राजकाज समय में ही वह सब कुछ उलट पलट कर देने के तेवर में क्यों है।
अर्थशास्त्री और राजनय के विशेषज्ञ बखूब हमें सविस्तार बता सकते हैं कि कैसे रेशम पथ खोलने लगा है संघ परिवार हिमालय के आर पार।
हम विशेषज्ञ नहीं है। हम मूलतः गायपट्टी के ही वाशिंदे हैं और भूकंप, भूस्खल, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलने वाले उत्तराखंड में पले बढ़े हैं।
हम इससे परेशान हैं कि उत्तराखंड, नेपाल, उत्तरी बंगाल, सिक्किम और यूपी बिहार के लोग रात को चैन की नींद नहीं सो सकते कि न जाने कब भूकंप आ जाये।
बहुमंजिली सीमेंट के जंगल की राजधानियों में झटके महसूस किये जाते हैं, लेकिन वहां धनवर्षा इतनी घनघोर है और राजनीतिक हलचले इतनी तेज हैं कि दोनों हाथों से बटोरने की आपाधापी में जड जमीन से कटे लोग बेपवाह हैं। होने भी चाहिए। वे तब तक ऐसा करने को आजाद है जब तक न बार-बार के झटकों से दीवारे दरकने लगें और किरचों की तरह बिखर जाये तमाम ताश के महल।
हमारी चिंता है कि अगली दफा उत्तराखंड में भूकंप आया तो क्या होने वाला है क्योंकि हमारे पास नेपाल से डरावनी तस्वीरें बहुत आ रही हैं। महाभूकंप और लगातार जारी सैकड़ों झटकों से जानमाल के नुकसान की तस्वीरें भयावह है तो सबसे चिंता की बात यह है कि नेपाल में हिमालय के आंतरिक संरचना उथल पुथल हो गयी है।
शनिवार को आये भूकंप की यह तस्वीर देख लेंः
दोलखा केन्द्रविन्दु बनाएर ५.५ को भूकम्प, दुई ठाउँमा ठूलो पहिरो
२९ गतेको भूकम्पपछि दोलखाको सिंगटी बजारको एक छेउ।
काठमाडौं : दोलखा केन्द्रविन्दु बनाएर शनिबार साँझ अर्को ठूलो भुकम्प गएको छ। साँझ करिब ५ बजेर २० मिनेट जाँदा ५.५ रेक्टर स्केलको भुकम्प गएको राष्ट्रिय भुकम्प मापन केन्द्रले जानकारी दिएको छ । भूकम्पको धक्का काठमाडौंमा पनि महसुस भएको छ। भूकम्पका कारण दोलखाको भीरकोट र घ्याङ सुकाठोकरमा पहिरो गएको छ। भीरकोटको माझीगाउँ नजिक भीर र जंगल रहेको क्षेत्रमा ठूलो पहिरो गएको जफे गाविसका सुशील काफ्लेले जानकारी दिएका छन्। त्यस्तै घ्याङ सुकाठोकरमा पनि पहिरो गएको छ। दुबै ठाउँको सुख्खा पहिरोपछि धेरै धुलो उडेको देखिएको उनले बताए। - See more at: http://www.pahilopost.com/content/-4193.html#sthash.dtjeOsa1.dpuf
काठमांडु से यह चेतावनी जारी की है Tej Kumar Karki ने, जो पूरे हिमालयी भूगोल के लिए प्रासंगिक है, जिसे सबसे ज्यादा खतरा संघ परिवार की बिजनेस फ्रेंडली बुलेट पीपीपी राजनीति और राजनय से है, जिससे रिलायंस, अडानी है समेत गुजराती कंपनियों को फायदा ही फायदा है लेकिन इंडिया इंक समेत बाकी भारत, बाकी महादेश के नागरिकों और नागरिकाओं के अस्तित्व पर प्रशनचिह्न लगाते हुए इस कायनात को कयामत का मजर बनाने का चाकचौबंद स्थाई मनुस्मृति बंदोबस्त है यह। कार्की जी की इस चेतावनी पर गौर करेंः
PLEASE INFORM THEM THAT THIS TIME MASSIVE MOUNTAIN EARTH MASS IS SHAKEN BY EARTHQUAKE IN THE AFFECTED DISTRICTS
THOSE MOUNTAIN EARTH MASS MAY BE IN LOOSE FORM
COMING MONSOON AND CONTINUOUS RAIN MIGHT TRIGGER MASSIVE LANDSLIDES
THOSE LIVING IN THE MOUNTAINS IN FRAGILE SOILS MIGHT BE IN EXTREME DANGER
MANY ROADS MIGHT BE BLOCKED BY LANDSLIDES
THE LANDSLIDE MIGHT BLOCK RIVERS AND CREATE FLASH FLOOD
ALREADY EARTHQUAKE DAMAGED HOMES MAY FALL
PEOPLE MIGHT HAVE TO LIVE ROOFLESS
NOW THE GOVERNMENT AND CITIZEN ARE OVERWHELMED WITH RELIEF AND RESETTLEMENT TASKS
THEY MIGHT BE COMPLETELY FOCUSED ON THAT BUT MIGHT NOT BE MINDFUL OF THE NEXT POSSIBLE LAND SLIDE DISASTER AHEAD
WE ARE NOT STRONG TO DEAL ABOUT LANDSLIDE BUT STILL IF WE ARE AWARE WE CAN DO SOMETHING TO MINIMIZE HARM
WE CAN RESETTLE THOSE PEOPLE IN THE FRAGILE HILL TO SAFE FLAT LAND IN GROUP IN TARAI AT LEAST FOR THIS MONSOON SEASON
A TIMELY THOUGHT AND ACTION CAN SAVE MANY LIVES ( A STITCH ON TIME SAVES NINE)
I KNOW WHAT I AM SAYING IS COMMON SENSE—-AND EXPERTS OUT THERE MIGHT
HAVE KNOWN THIS AND GOVERNMENT IS PREPARED
BUT AS A CITIZEN I WANTED TO PUT THIS—WHISTLE BLOWING TASK—JUST IN CASE IF THEY HAD NOT THOUGHT THIS THROUGH
THIS IS ALSO BECAUSE OF LACK OF CONFIDENCE OF THE SNAIL LEADERSHIPS
गूगल और फेसबुक के सौजन्य से अब जन्मदिन सार्वजनिक हो गया है वरना यकीन मानिये हमें भी अमूमन याद नहीं रहता अपना जन्मदिन।
इस बार लेकिन सविताबाबू ने सुबह-सुबह मिठाई तो बांट दी, लेकिन जन्मदिन मुबारक दोपहर बाद कहा क्योंकि उसे मालूम है कि ठीक 365 दिन बाद हमें सड़क पर आ जाना है।
फेसबुक के सौजन्य से बसंतीपुर में मेरे बचपन के सबसे पुरातान मित्र नित्यानंद मंडल, टेक्का जो मुझसे तीन महीने छोटा है, उसका संदेश मिला पहली बार तो चचेरे बाई चंद्रशेखर ने भी इस बार जन्मदिन मुबारक कह डाला।
इससे पहले सविता बाबू और बेटे टुसु के अलावा हमें कभी किसी ने जन्मदिन की बधाई कहा नहीं है।
गांव बसंतीपुर अब वैसा नहीं रहा जैसा हमने उसे छोड़ा है। करीब चार दशकों से मेरा गांव बेहद बदल गया है और लोग भी जाहिर हैं कि बदल गये हैं। वहां अब नई पीढ़ी आनलाइन है, जिसने हमें न देखा है और न पहचाना है।
बसंतीपुर को बसाने वाले तमाम लोग अब स्वर्गीय हैं। बसंतीपुर से कभी किसी जन्मदिन के मौके पर कोई शुभकामना संदेश आता नहीं है।
बहरहाल एक दिन पहले से ही शुभकामनाओं का का तांता लग गया है। हम आभारी हैं इन शुभकामनाओं के लिए। इसी के साथ हमारे सड़क पर आने का काउंट डाउन भी शुरू हो गया है। हमारी सेवा जारी रहने के फिलहाल आसार नहीं है और सेवा बाहर होने में ठीक 365 दिन बाकी रह गये हैं।
इसी बीच सविता ने उस रामकृष्ण मिशन से दीक्षा ले ली है, जिसने न रानी रासमणि के व्यक्तित्व कृतित्व की कभी चर्चा नहीं कि और न ही संघ परिवार के हिंदू प्रधानमंत्री हिंदू ह्रदय सम्राट को दीक्षित किया।
सविता बाबू का परलोक सुधर गया है लेकिन हम तो सिरे से नास्तिक हैं और धर्म-कर्म के पचड़े में मैं पड़ता नहीं। हमें नहीं मालूम कि सैकड़ों जो शुभकामनाएं मिल रही हैं, उनसे हमारा क्या भला होने वाला है।
हमारी मानिये कि दरअसल शुभकामनाओं का यह समय है ही नहीं है।
यह समय चेतावनियों का है।
प्रकृति मनुष्यता और सभ्यता को अपनी भाषा में चेतावनी जारी करती जा रही है और जड़ों से कटे दुःसमय के लिए वह भाषा अबूझ है। तो हिंदुत्व ब्रिगेड की शत प्रतिशत चेतावनियों का रंग ही इंद्रधनुषी है।
हिदू प्रधानमंत्री के गौरव काल में हिंदुत्व के एजेंडे के खिलाफ बोलने लिखने वालों के लिए साधु संतों की जमात लगातार चेतावनियां जारी कर रही है। बजरंगी जो पैदल बहुजन सेना है, जिनमें से तमाम राम हनुमान बना दिये गये हैं और बाकी जो छंटे हुए हैं, वे दलित महादलित कैडर बन जायेंगे बहुत जल्द।
खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का सवाल जिससे 5 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी जाने का संकट है, हमारी राजनीति में एक सामान्य सा सवाल है। भाजपा ने कांग्रेस के इस कदम का विरोध करते हुए राजनीतिक लाभ तो ले लिया और आज वह खुद उसी रास्ते पर बढ़ रही है। http://ow.ly/N1PYZ
आरक्षण के बारे में गोलवरकर का कहना था कि यह हिन्दुओं की सामाजिक एकता पर कुठाराघात है और उसने आपस में सद्भाव पर टिके सदियों पुराने रिश्ते तार-तार होंगे। http://ow.ly/N1Q4o
इस बीच हमारे मित्र आदरणीय आनंद तेलतुंबड़े को धमकियां मिलने लगी हैं तो हम तमाम लोगों को थोक भाव से गालियां मिल रही हैं।
महिला नाम से फर्जी आईडी से यौनगंधी चेतावनियां जो जारी की जा रही हैं, उससे हमारी सेहत पर खास असर नहीं पड़ने वाला और न हम मौके पर लिखने बोलने से चूकने वाले हैं जो मुझे जानते हैं वे बेहद अच्छी तरह जानते हैं। आनंद ने तो लिख ही दिया है कि कोई छू तो लें।
शिखंडियों की यह अजब गजब बारात है तो जो सीधे सामने से आकर वार नहीं कर सकते तो महिला नाम की आड़ से वार करने लगे हैं।
वे सीधे गाली गलौज करें तो हमें कोई ऐतराज नहीं है क्योंकि हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं और अरविंद केजरीवाल की तरह कोई सेंसर नहीं लागू करते और न ही गाली गलौज करने वालों को डीफ्रेंड करते हैं। जिसकी जैसी भाषा, जिसकी जैसी परंपरा, उसका आचरण वहीं होता है।
हम अपने देश की मां बहनों को अच्छी तरह जानते समझते हैं। निजी यंत्रणाओं और निरंतर उत्पीड़न से वे गालीगलौज जरुर करती होंगी, लेकिन मतभेद के चलते वे मर्दवादी धर्माधों की तरह गालियों की यौनता फैलाने से तो रहीं।
कृपया उन्हें बख्श दीजिये और अपने ही आईडी से जो मूसलाधार कर सकते हैं, कीजिये।
दरअसल हिंदुत्व के एजेंडे के लगातार हो रहे पर्दाफाश से बजरंगी सेना में खलबली है और अंबेडकर या गौतम बुद्ध या गांधी का अपहरण असंभव है।
उनके पास कोई तर्क है ही नहीं। इतिहास कोई भी लिख दें, कोई भी इतिहास बदल दें, जैसा कि हिटलर ने भी किया है और तानाशाह हर देश में हर काल में करते रहते हैं, मनुष्यता के इतिहास में युद्ध अपराधियों के लिए अंततः कोई जगह बचती नहीं है।
इसलिए इतिहास से छेड़छाड़ को हम कोई गंभीर मसला नहीं मानते क्योंकि वक्त बदलते देर नहीं लगती और वक्त इतिहास का हिसाब-किताब बराबर कर देता है।
संघ परिवार जो भूगोल के साथ छेड़छाड़ कर रहा है, वह मनुष्यता और सभ्यता के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है और दरअसल हिंदू साम्राज्यवादी एजेंडा इतिहास बदलने के बहाने भूगोल बदलने में लगा है।
रविवारी जनसत्ता में आनंद पटवर्धन का भाषण छपा है और मूल अंग्रेजी में पूरा भाषण हमने अपने ब्लागों पर लगाया है। जहां सुविधा हो इसे पढ़ जरुर लें। आनंद की फिल्में लगातार हिंदू साम्राज्यवाद के फासीवादी चेहरे को बेनकाब करती रही हैं। राम के नाम हो या जयभीम कामरेड, उनकी सारी फिल्में संघ परिवार के केसरियाकरण के खिलाफ है। आनंद ने कहा है कि योजनाबद्ध तरीके से भारत राष्ट्र का नामोनिशान मिटाने लगा है संघ परिवार।
दरअसल विधर्मियों के खिलाफ नहीं, संघ परिवार का यह केसरिया कारपोरेट जिहाद भारत राष्ट्र के खिलाफ है, इस महादेश के खिलाफ है, प्रकृति पर्यावरण और मनुष्यता के खिलाफ है।
कल तक हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल ने दोबारा हिंदू राष्ट्र बनने से इंकार करते हुए राजतंत्र को फिर गले लगाने से भी इंकार कर दिया है और नेपाल की जनता ने हिंदुत्व ब्रिगेड को धकिया कर बाहर निकाला है। हम लागातार लगातार हस्तक्षेप पर नेपाल के कोने कोने से अपडेट इसीलिए दे रहे हैं कि हिंदुत्व एजंडा का अंजाम देख लें कि आज नेपाल भारत का दुश्मन नजर आने लगा है।
पलाश विश्वास