रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की धमकी को ग्रीनपीस इंडिया देगा कोर्ट में चुनौती
रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की धमकी को ग्रीनपीस इंडिया देगा कोर्ट में चुनौती
नई दिल्ली। 23 जूलाई 2015। ग्रीनपीस इंडिया जल्द ही सरकार के उन सारे आरोपों को कोर्ट में चुनौती देगा जिसमें सोसाइटी के पंजीकरण खारिज करने का कानूनी नोटिस जारी किया गया है।
ग्रीनपीस इंडिया को 18 जून को तमिलनाडु सरकार ने एक नोटिस जारी किया जिसमें उसके ऊपर सोसाइटी पंजीकरण के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, जबकि ग्रीनपीस ने सरकार के उस आरोप को पूरी तरह निराधार बताया।
ग्रीनपीस इंडिया ने कहा है कि नोटिस में बहुत ही भद्दे और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाए गए हैं जो पूरी तरह आधारहीन और मनमाना है। ग्रीनपीस का कहना है कि राज्य सरकार ने यह कार्यवाई केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर किया है।
एनजीओ ने कहा कि रजिस्ट्रार ने जांच से पहले ही यह निष्कर्ष निकाल लिया था कि संस्था पर आरोप लगाने के लिए पर्याप्त कारण हैं और उसी आधार पर उसने सोसाइटी के पंजीकरण को रद्द करने के लिये नोटिस जारी करने का निर्णय ले लिया। चूंकि रजिस्ट्रार ने इस मामले में पहले से निर्णय ले लिया था, इसलिए उनकी किसी भी तरह के स्पष्टीकरण में कोई दिलचस्पी नहीं रह गई थी। दरअसल ग्रीनपीस पर शत्रुतापूर्ण भेदभाव के साथ निशाना साधा जा रहा है।
ग्रीनपीस इंडिया के अंतरिम सह-कार्यकारी निदेशक विनुता गोपाल ने कहा, “हम एक वैध संस्था हैं जो भारत में पिछले 14 सालों से काम कर रहे हैं। इस बेतुके नोटिस का कोई कानूनी आधार नहीं है और स्पष्ट है कि इसे गृह मंत्रालय के अनुरोध पर भेजा गया है जो पिछले एक साल से लगातार हमें दबाने की कोशिश कर रहा है”।
विनुता ने आगे कहा, “हमें गृह मंत्रालय द्वारा लगातार निशाना बनाया जा रहा है और हम पर तरह-तरह के दंड भी लगाए गए, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने पलट दिया था। अब गृह मंत्रालय हमें दूसरे माध्यमों से बंद करने की साजिश में लगा है। हम रजिस्ट्रार से अनुरोध कर रहे हैं कि वो हमें आगे की जानकारी मुहैया कराए जिससे कि हम अपने उपर लगाए गए इन आरोपों को खारिज करने में सक्षम हो सकें”।
नोटिस में आरोप लगाया गया है कि ग्रीनपीस इंडिया, ग्रीनपीस काउंसिल, नीदरलैंड के अधीन काम कर रही है। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि संस्था के एफसीआरए और विदेशी धन के खुलासे के बीच गृह मंत्रालय और रजिस्ट्रार सोसाइटी को दिए अपने वार्षिक खातों में विसंगतियां हैं।
ग्रीनपीस इंडिया ने अपने आरोपों को लेकर एक मीडिया ब्रीफिंग जारी किया है जिसमें सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया गया है।
इसमें कहा गया है कि
• कथित रूप से तमिलनाडु रजिस्टर्ड सोसाइटी अधिनियम 1975 का किया गया उल्लंघन पहले ही रजिस्ट्रार द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है और अब अचानक इसे गैर कानूनी बताया जा रहा है।
• कथित रूप से हमारे खातों में गलत विवरण देने का आरोप लगाया गया है जबकि यह स्थिति दरअसल रजिस्ट्रार द्वारा कागजातों को ठीक से न पढ़ने की वजह से उत्पन्न हुई है।
विनुता गोपाल ने कहा, “हमने सोसाइटी के दफ्तर में किये गए जाँच में पूरी तरह सहयोग किया था क्योंकि हमारे पास छिपाने के लिये कुछ भी नहीं है। हम इस नोटिस को चुनौती देंगे, जिससे हम अपने स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी और बेहतर ऊर्जा के लिये जारी महत्वपूर्ण अभियान को जारी रख सकें”।
18 जून को ग्रीनपीस इंडिया को तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा रजिस्टर्ड सोसाइटी में किए गए कथित उल्लंघन से संबंधित नोटिस दी गयी है। लेकिन हमें जवाब देने और अपने सोसाइटी पंजीकरण को बचाने के लिये सिर्फ सात दिन का वक्त दिया गया।
एनजीओ ने तभी रजिस्ट्रार को कई बार पत्र लिखकर अधिक स्पष्टीकरण और समय की मांग की ताकि वो पूरे आरोपों का जवाब दे पाये, लेकिन रजिस्ट्रार ने उन पत्रों का जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा।
विनुता गोपाल ने आगे जोड़ा, “हमारे द्वारा रजिस्ट्रार से स्पष्टीकरण और अधिक सूचना मांगे जाने संबंधित मांगों को उपलब्ध न करवाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है क्योंकि हमें खुद को सही साबित करने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए”।


