राजकमल झा ने पढ़ाई पत्रकारिता तो मोदी भी सन्न, वायरल हो रहा भाषण, सुनें
राजकमल झा ने पढ़ाई पत्रकारिता तो मोदी भी सन्न, वायरल हो रहा भाषण, सुनें
राजकमल झा ने पढ़ाई पत्रकारिता तो मोदी भी सन्न, वायरल हो रहा भाषण
रामनाथ गोयनका पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि मोदी का जब इस तरह आभार ज्ञापन किया गया
मोदी के सामने एक पत्रकार का तीखा भाषण वायरल
नवंबर 04, 2016
नई दिल्ली में बुधवार को पत्रकारिता के रामनाथ गोयनका पुरस्कार बांटे गए।
समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे और उन्हें अपने हाथों से कुछ पत्रकारों को उनकी भाजपा सरकार विरोधी रिपोर्टों के लिए पुरस्कार देना पड़ा।
पत्रकार और लेखक अक्षय मुकुल को भी पुरस्कार मिलना था, लेकिन वो नहीं पहुंचे।
अक्षय मुकुल ने इस पुरस्कार वितरण समारोह का बहिष्कार ये कहते हुए पहले ही कर दिया था कि मैं खुद को नरेंद्र मोदी के साथ एक फ्रेम में नहीं देख सकता।
लेकिन पुरस्कार वितरण समारोह के अंत में इंडियन एक्सप्रेस के संपादक राजकमल झा का संक्षिप्त भाषण पूरे समारोह पर भारी पड़ा। उनका यह भाषण सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
यू ट्यूब पर मौजूद रिकॉर्डिंग में देखा जा सकता है कि राजकमल झा पत्रकारिता पढ़ा रहे हैं और प्रधानमंत्री समेत सभी लोग ध्यान से पत्रकारिता पढ़ रहे हैं।
यू ट्यूब पर राजकमल झा के भाषण की रिकॉर्डिंग Kodambakkam Talkies के एकाउंट से अपलोड की गई है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के संपादक राजकमल झा ने प्रधानमंत्री के सामने बड़ी बेबाकी से दो-टूक बातें कहते हुए दिखाई पड़ रहे हैं।
राजकमल झा समारोह के अंत में प्रधानमंत्री के बोलने के ठीक बाद आभार जताने आए थे। उन्होंने अंग्रेजी में अपनी बात कही
राजमकल झा ने कहा…
बहुत बहुत आभार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी।
आपकी ‘स्पीच’ के बाद हम ‘स्पीचलेस’ हैं। लेकिन मुझे आभार के साथ कुछ बातें कहनी हैं।
आपके शब्दों के लिए बहुत आभार। आपका यहां होना एक मज़बूत संदेश है।
हम उम्मीद करते हैं कि अच्छी पत्रकारिता उस काम से तय की जाएगी जिसे आज शाम सम्मानित किया जा रहा है, जिसे रिपोर्टर्स ने किया है, जिसे संपादकों ने किया है।
अच्छी पत्रकारिता ‘सेल्फी पत्रकार’ नहीं तय करेंगे जो आजकल कुछ ज़्यादा ही दिखते हैं और जो अपने विचारों और चेहरे से स्वयं ही अभिभूत रहते हैं और कैमरे का मुंह हमेशा अपनी तरफ रखते हैं। उनके लिए सिर्फ एक ही चीज़ मायने रखती है, उनकी आवाज़ और उनका चेहरा। इसके अलावा सब कुछ पृष्ठभूमि में है, जैसे कोई बेमतलब का शोर।
इस सेल्फी पत्रकारिता में अगर आपके पास तथ्य नहीं हैं तो कोई बात नहीं, फ्रेम में बस झंडा रखिये और उसके पीछे छुप जाइये।
शुक्रिया सर कि आपने विश्वसनीयता की बात कही।
ये बहुत ज़रूरी बात है जो हम पत्रकार आपके भाषण से सीख सकते हैं। आपने पत्रकारों के बारे में कुछ अच्छी-अच्छी बातें कहीं जिससे हम थोड़े नर्वस भी हैं।
आपको ये विकिपीडिया पर नहीं मिलेगा, लेकिन मैं इंडियन एक्सप्रेस के संपादक की हैसियत से कह सकता हूँ कि रामनाथ गोयनका ने एक रिपोर्टर को नौकरी से निकाल दिया था, जब उनसे एक राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा था कि आपका रिपोर्टर बड़ा अच्छा काम कर रहा है।
इस साल मैं 50 का हो रहा हूँ और मैं कह सकता हूँ कि इस वक़्त जब हमारे पास ऐसे पत्रकार हैं जो रिट्वीट और लाइक के ज़माने में जवान हो रहे हैं, जिन्हें पता नहीं है कि सरकार की तरफ से की गई आलोचना हमारे लिए इज़्ज़त की बात है।
हम जब भी किसी पत्रकार की तारीफ सुनें तो हमें फिल्मों में स्मोकिंग सीन्स की तर्ज पर एक पट्टी चला देनी चाहिए कि सरकार की तरफ आई आलोचना पत्रकारिता के लिए शानदार खबर है।
मुझे लगता है कि ये पत्रकारिता के लिए बहुत बहुत जरूरी है।
इस साल हमारे पास इस पुरस्कार के लिए 562 आवेदन आए। ये बीते ग्यारह सालों के इतिहास में सबसे ज़्यादा आवेदन हैं। ये उन लोगों को जवाब है जिन्हें लगता है कि अच्छी पत्रकारिता मर रही है और पत्रकारों को सरकार ने खरीद लिया है।
अच्छी पत्रकारिता मर नहीं रही, ये बेहतर और बड़ी हो रही है।
हां, बस इतना है कि बुरी पत्रकारिता ज़्यादा शोर मचा रही है जो पाँच साल पहले नहीं मचाती थी।
आखिर में आप सबको इस शाम यहाँ आने के लिए शुक्रिया कहता हूँ। यहाँ सरकार की तरफ से लोग हैं, यहाँ विपक्ष की तरफ से लोग हैं।
हम जानते हैं कि कौन-कौन है। लेकिन जब वे पत्रकारिता की तारीफ करते हैं तो इससे फर्क नहीं पड़ता।
आप ये पता नहीं लगा सकते कि कौन सरकार में है और कौन विपक्ष में। ये इसी तरह होना चाहिए।
थैंक्यू वैरी मच।
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