राजनाथ और टंडन को बचा रही है सपा- रिहाई मंच
राजनाथ और टंडन को बचा रही है सपा- रिहाई मंच
टांडा कांड पर डीजीपी का बयान सफेद झूठ - मोहम्मद शुऐब
शाहिद आजमी के चौथे शहादत दिवस पर मंगलवार को रिहाई मंच आयोजित करेगा सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवाद का हौव्वा विषय पर सम्मेलन
लखनऊ 10 फरवरी। टांडा के हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े राम बाबू गुप्ता और उनके भतीजे राम मोहन की हत्या के पीछे डीजीपी रिजवान अहमद द्वारा कथित जेहादी मानसिकता वाले मुस्लिम नौजवान का हाथ होने के आरोप पर सूबे का माहौल गरमा गया है। अपने कार्यकाल की अंतिम बेला में डीजीपी साहब भी प्रदेश सरकार के लिये नयी मुसीबत खड़ी कर गये। डीजीपी के बयान को रिहाई मंच ने सफेद झूठ करार देते हुये प्रदेश सरकार से तत्काल प्रभाव से उन्हें डीजीपी पद से हटाने की माँग की है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि यह बात शुरू से ही स्थापित हो गयी थी कि यह हत्याएं व्यक्तिगत रंजिश में हुयी थीं। जिस पर पहले तो भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ द्वारा सांप्रदायिक माहौल बनाने के लिये इस्तेमाल करने की कोशिश की गयी और पुलिस की मौजूदगी में मुसलमानों के घर जला दिये गये। तो वहीं अब डीजीपी से इस तरह का बयान दिलाकर सपा सरकार सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों के इंसाफ के सवाल को जिस तरह मुजफ्फरनगर में आतंक का हौव्वा खड़ाकर राहत कैंपों पर बुल्डोजर चलवाकर पीछे करने की कोशिश की थी वही कोशिश अब टांडा में करना चाहती है। मोहम्मद शुऐब ने कहा कि मुलायम को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि कोसी कलां, अस्थान, फैजाबाद से लेकर मुजफ्फरनगर तक जो सौ से ज्यादा मुस्लिम विरोधी दंगे हुये हैं या आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने के वादे से वादा खिलाफी व मौलाना खालिद की हत्या से नाराज हुये मुसलमानों को वह किसी मुस्लिम को डीजीपी बनाकर लोकसभा चुनाव में वोट पा लेंगे।
रिहाई मंच के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य लक्ष्मण प्रसाद और अनिल आजमी ने कहा कि 2007 के विधान सभा चुनावों से पहले भाजपा द्वारा जारी भड़काऊ सीडी मामले में राजनाथ और लाल जी टंडन को लखनऊ पुलिस द्वारा क्लीन चिट देने को चुनाव से पहले भाजपा और सपा में गठजोड़ का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि लखनऊ पुलिस का यह कहना कि सीडी जारी करते समय लालजी टंडन को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसमें क्या है, इसलिये वे बेगुनाह हैं, को हास्यास्पद और हद दर्जे की सांप्रदायिक और आपराधिक धूर्तता है। जबकि पुलिस द्वारा गढ़े फर्जी आतंकवाद के ऐसे तमाम आरोपों के चलते मुस्लिम नौजवान सालों-साल से जेल में सड़ रहे हैं। जिसकी तस्दीक निमेष आयोग रिपोर्ट करती है जिसे सरकार ने आन्दोलनों के दबाव में सार्वजनिक करने के बावजूद उस पर अमल नहीं किया और न ही खालिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों को नामजद मुकदमा होने के बावजूद गिरफ्तार किया। जबकि यही लखनऊ पुलिस अतार्किक तथ्यों के जरिए लालजी टंडन को बचाने की बेशर्म कोशिश कर रही है। नेताओं ने कहा कि इसी तरह एक गवाह के कहने के बावजूद कि राजनाथ सिहं के कहने पर उसने यह सीडी बनाई थी, सपा सरकार उन्हें क्लीन चिट दे रही है। उन्होंने पूछा कि मुलायाम सिंह को यह जरुर बताना चाहिए कि ठीक लोकसभा चुनाव से पहले राजनाथ सिंह के प्रति यह प्रेम क्यों दिखा रहे हैं। क्या इस बार भी पिछले लोकसभा चुनाव की तरह वह राजनाथ सिंह के खिलाफ प्रत्याशी न उतारने का उनसे गुप्त समझौता कर चुके हैं।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि अधिवक्ता शाहिद आजमी जिन्हें बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई के लिये संघर्ष करते हुये चार साल पहले आईबी और हिंदुत्ववादी ताकतों ने मुंबई में कत्ल कर दिया था। शाहिद आजमी के चौथे शहादत दिवस पर रिहाई मंच सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवाद का हौव्वा सन्दर्भ गुजरात के बाद अब मुजफ्फरनगर विषय पर यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में 11 बजे से सम्मेलन करेगा। मंच ने इंसाफ पसंद अवाम से सम्मेलन में शिरकत करने की अपील की है।


