जगदीश्वर चतुर्वेदी

गृहमंत्री राजनाथ सिंह और पीएम नरेन्द्र मोदी ने अभी तक तीन साहित्यकारों की हत्या करने वाले संगठनों के खिलाफ एक भी बयान नहीं दिया है। ऊपर से तुर्रा यह कि साहित्यकारों को ही राजनाथ सिंह उपदेश दे रहे हैं।

राजनाथ सिंह आप देश के गृहमंत्री हैं, सवाल उठता है कि आपने अभी तक जिम्मेदारी भरा और तथ्यपूर्ण बयान क्यों नहीं दिया ?

देश की आम जनता और लेखक समुदाय जानना चाहता है कि तीन लेखकों के हत्यारे कौन हैं और किस संगठन के हैं और उनके बारे में केन्द्र सरकार की राय क्या है। हर बार गोलमोल बयान दिया है पीएम ने और आपने। पिछली मनमोहन सरकार ने भी इस मसले की उपेक्षा की और नई मोदी सरकार ने भी तीन लेखकों की हत्या के मसले को हलके ढँग से लिया। उसे कानून-व्यवस्था की आम समस्या के रूप में देखा।
तीन लेखकों की हत्या सामान्य घटना नहीं है। यदि यह असामान्य घटना है मोदीजी ने और आपने इस मसले पर आरंभ में ही निंदा क्यों नहीं की ? हत्यारों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने का आश्वासन क्यों नहीं दिया? भाजपा ने इन हत्याओं के खिलाफ आंदोलन क्यों नहीं किया? यदि ऐसा होता तो कम से कम लेखक एवार्ड वापस नहीं करते।
आश्चर्य की बात है कि तीन लेखकों की हत्या हुई और आपने संसद में शोक प्रस्ताव तक पास नहीं कराया,आपके पहले वाली सरकार भी इस मसले पर गूंगी-बहरी बनी रही। आज देश का लेखक समुदाय मांग कर रहा है कि असहिष्णुता पैदा करने वाले संगठनों के खिलाफ आरएसएस-भाजपा खुलकर सड़कों पर आए, लेखकों के सम्मान-इज्जत-जानोमाल की रक्षा करे।

यह सब करने की बजाय संघ-भाजपा का मूकदर्शक बने रहना क्या संदेश दे रहा है, ऊपर से आप अनुपम खेर आदि के जरिए लेखकों पर हमले करा रहे हैं, आप स्वयं धमकी दे रहे हैं। जरा अपने दिल पर हाथ धरकर सोचें कि आपने अभी तक लेखकों से पहल करके जानने की कोशिश क्यों नहीं की कि वे प्रतिवाद क्यों कर रहे हैं, आप उनको बुलाते तो क्या छोटे हो जाते !!

राजनाथजी यदि थोड़ी बहुत राजनीतिक शर्म और नैतिकता बची है तो आप तुरंत निंदा करें और कातिलों के खिलाफ और असहिष्णुता फैलाने वाले संगठनों के बारे में श्वेतपत्र जारी करें, संसद में तीन लेखकों की हत्या और देश में बढ़ती हुई असहिष्णुता पर खुले मन से बहस कराएं और लेखकों का अपमान करने वाले मंत्रियों को मंत्रीमंडल से बाहर निकालें। वरना यही समझा जाएगा कि आप असहिष्णुता और हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त होने को तैयार नहीं हैं।