#रामधुन #मध्य मोदियापा स्थाई भाव, बांग्ला विजय अश्वमेध ममता संग
#रामधुन #मध्य मोदियापा स्थाई भाव, बांग्ला विजय अश्वमेध ममता संग
हिंदुस्थान में मुकम्मल सैन्य शासन का हिंदुत्व एजेंडा सलवा जुड़ुम
सामना लिहिलाःस्वातंत्र्योत्तर काळातील पूर्वीच्या राज्यकर्त्यांनी मणिपूर, नागालॅण्डसह ईशान्य हिंदुस्थानकडे, तेथील सांस्कृतिक वारशाकडे, जनतेच्या प्रश्नांकडे, तेथील फुटीरतावादी शक्ती आणि मिशनरी कारवाया यांच्याकडे दुर्लक्ष केले. लष्कराकडून केल्या जाणार्या कारवायांनाही स्थानिक राजकीय हस्तक्षेपांनी वारंवार अडथळे आणले. त्यामुळे ईशान्य हिंदुस्थान कायम अशांतच राहिला.
अब लीजिये, पीएम नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय बांग्लादेश दौरे के तहत शनिवार सुबह पौने दस बजे के करीब ढाका पहुंच गए। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना उन्हें रिसीव करने पहुंचीं। मोदी को यहां गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।
इससे पहले, रवाना होने से पहले मोदी ने ट्वीट करके कहा कि इस दौरे से दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होंगे।
मोदी से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुक्रवार रात बांग्लादेश पहुंच गईं।
बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री शहरयार आलम ने हजरत शाहजालाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ममता की अगवानी की। वह शनिवार दोपहर पीएम मोदी के साथ कोलकाता-ढाका-अगरतला के बीच बस सर्विस को हरी झंडी दिखाएंगी। साथ ही, लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करेंगी। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता में जमीन संबंधी समझौते होंगे और जमीन की अदला-बदली की जाएगी। शनिवार सुबह ढाका पहुंचने के बाद मोदी का पहला कार्यक्रम शहीद स्मारक जाने का है। उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी का यह दौरा भारत-बांग्लादेश के बीच बिगड़ते रिश्तों में फिर से गर्माहट लाएगा।
राजधानी ढाका में सड़कों पर मोदी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के विशाल पोस्टर आज भारतीय मीडिया के अनंत चेहरे में तब्दील हैं और जारी है रामधुन मध्ये मोदियापा का स्थाई भाव।
मोदी की यात्रा का विरोध
1974 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के बीच हुए सीमा समझौते की तस्वीर से बने होर्डिंग भी कई जगह लगाए गए हैं। लेकिन बांग्लादेश दौरे से पहले मोदी की यात्रा का विरोध भी शुरू हो गया है। लेबर पार्टी एंड डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार शाम ढाका में मोदी के खिलाफ नारे लगाए।
हम बांग्लादेश से निरंतर अपडेट दे रहे हैं। देखते रहें हस्तक्षेप।
बांग्लादेश में मोदी और ममता के कट्टरपंथियों के साथ रिश्ते के खुलासे को लेकर जितना गुस्सा है, उतना गुस्सा शायद तीस्ता के पानी से वंचित कर दिये जाने पर भी नहीं है।
दीदी यथासंभव जिहादी तेवर बनाये रखकर नदी में उतरबो, नहाबो, पण वैणी ना भिजाइबो के मिजाज में हैं और मोदी के होटल से दूर हैं। इस टच मी नाट आंख-मिचौनी से भारतीय राजनय का मैगी मसाला तैयार है जो बांग्लादेश को कितना हजम होता है, हम आपको यह भी सिलसिलेवार बतायेंगे।
बांग्लादेश के हिंदुत्ववादियों ने बहरहाल भारत के हिंदू ह्रदय सम्राट को चेतावनी दे रखी है कि वे अपने साथ बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले करने वाली मुस्लिम कट्टरपंथी ताकतों के साथ चोली दामन का रिश्ता रखने वाली ममता बनर्जी को न लें, वरना वे काले झंडे दिखायेंगे।
बांग्लादेश में तीस्ता विवाद से ज्यादा दिलचस्पी यह है कि मोदी और ममता की युगलबंदी में संगत कैसे करेंगी तख्ता पलट की अखंड तपस्या कर रही बेगम खालिदा जिया जो बांग्लादेश में युद्ध अपराधियों की हिमायत खुल्लम खुल्ला कर रही हैं और भारत में युद्ध अपराध के गुजरात नरसंहार मामले में अमेरिकी क्लीन चिट के वारिस हिंदुस्तान के चक्रवर्ती सम्राट से उनकी मुलाकात में क्या-क्या गुल खिलने वाले हैं।
वहां बांग्ला राष्ट्रीयता के विरोधी और इस्लामी राष्ट्र के हिमायती मध्यपूर्व के वसंत के इंतजार में बेसब्र हैं, जाहिर हैं और पलक पांवड़े बिछाकर वे तमाम लोग मोदी ममता की अगवानी में हैं। मोदी ममता के गठजोड़ से अगर खालिदा जिया और उनकी जमायत ने तख्तापलट कर लिया तो इसका अंजाम हिंदुस्तान की सेहत के लिए मैगी मसाला के अलावा और कुछ होगा नहीं।
बहरहाल इतिहास बनाने के इस सफर से भारत बांग्लादेश रिश्ते की चीरफाड़ शुरु हो गयी है और मोदीयापा मध्ये अखंड रामधुन की संगत में है तीस्ता संगीत।
बांग्लादेशी अखबारों में मोदी ममता की यात्रा के मौके पर तीस्ता वंचना पर जो लिखा जा रहा है, सो तो लिखा ही जा रहा है, नेहरु के विस्तारवाद की भी जमकर आलोचना के साथ भारत में बांग्लादेश के विलय के हिंदुत्व अशवमेध के खिलाफ बाकायदा जनजागरण शुरु हो चुका है।
सबसे खराब बात जो है, उस पर शायद भारतीय मीडिया के मोदियापे का ध्यान बंटे और न अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान समारोह के आयोजन से फारिग होकर संघ परिवार को इसकी परवाह हो।
भारत से बांग्लादेश को लाख शिकायतें हों, अब तक हर बांग्लादेशी बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम में भारत की निर्णायक भूमिका को मानता है दल मत निर्विशष। इसीलिए भारत में संघी भी अगर अटल बिहारी वाजपेयी की उस युद्द में अटल की निर्णायक राजनयिक भूमिका को भूल जाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, बांग्लादेश लेकिन भूला नहीं है हाशिये पर धकेले गये अटल को।
अब हालात बदलने लगे हैं और बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारतीय सेना की भूमिका का नये सिरे से मूल्यांकन होने लगा है।
जाहिर सी बात है कि किसी भी दो पड़ोसी देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ जाए तो इतिहास बनता है। कुछ ऐसा ही इतिहास शनिवार को ढाका में तब बनेगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ भूमि सीमा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इस समझौते पर भारतीय संसद पहले ही मुहर लगा चुकी है। इसके साथ ही दोनों पड़ोसी देशों के बीच 41 वर्षों से चल रहा सीमा विवाद पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। दोनों सामुद्रिक सीमा विवाद का पहले ही निपटारा कर चुके हैं।
गलियारा विवाद सुलझाने से इतिहास जो बनेगा सो बनेगा, नेहरू के पाप का कलंक धोना भी संघ परिवार का एक बड़ा मकसद है, जो सिर्फ भारत ही नहीं, अफगानिस्तान, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश का अखंड हिंदू नक्शा बनाने का योगाभ्यास कर रहा है और इस तरह हिंदू साम्राज्यवाद की विरासत से गांधी नेहरु के वंशजों को सत्ता के हाशिये से हमेशा हमेशा बेदखल करना उसका मकसद है।
मोदियापा उत्सव का यह अंतर्महल है।
उधर खबर है कि अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस पावर और अडाणी समूह बांग्लादेश में दो बिजली संयंत्र लगाने में करीब पांच अरब डालर का निवेश करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर करने को तैयार हैं।
पलाश विश्वास


