राष्ट्रद्रोही मजहबी फासिस्ट राजकाज है, फिर भी नर्क नहीं बनेगा यह देश
राष्ट्रद्रोही मजहबी फासिस्ट राजकाज है, फिर भी नर्क नहीं बनेगा यह देश
वैदिकी हिंसा के बावजूद अब भी हमारी बिरादरी आदिवासी मूलनिवासी भूगोल जिंदा है।
राष्ट्रद्रोही मजहबी फासिस्ट राजकाज है, फिरभी नर्क नहीं बनेगा यह देश!
Garm Hawa, the scorching winds of insecurity inflicts Humanity and Nature yet again!
पलाश विश्वास
Knock! Knock!Knock!. नी करी दी हालो हमरी निलामी, नी करी दी हालो हमरो हलाल।
यह भारत तीर्थ है, संपूर्ण निजीकरण, संपूर्ण विनिवेश, संपूर्ण एफडीआई राज, संपूर्ण विध्वस के नरसंहार कार्निवाल के जरिये हिमालय में एटमी धमाके करके, समुंदरों को आग के हवाले करके इस भारत तीर्थ कोहुंदुत्व और एकाधिकारवादी नस्ली मनुस्मृति नर्क नहीं बना सकते राष्ट्रद्रोही बजरंगी!यह अभी हड़प्पा मोहंजोदोड़ो की सभ्यता है।
वैदिकी हिंसा के बावजूद अब भी हमारी बिरादरी आदिवासी मूलनिवासी भूगोल जिंदा है।
राष्ट्रद्रोही मजहबी फासिस्ट राजकाज है, फिर भी नर्क नहीं बनेगा यह देश।
It is treason all round!It is knock knock knock within!
সব্বে সত্তা আভেরা হোন্তু।
সব্বে সত্তা ওব্বপজ্জা হোন্তু।
সব্বে সত্তা আনিঘা হোন্তু ।
সব্বে সত্তা সুখি আত্তান পরিহরন্তু ।
आज हिमाल तुमन कैं धत्यूंछो, जागो-जागो हो मेरो लाल/नी कर करी दी हालो हमरी निलामी, नी कर करी दी हालो हमरो हलाल। (आज हिमालय तुम्हें पुकार रहा है, जागो-जागो ओ मेरे लाल/नहीं होने दो हमारी नीलामी, नहीं होने दो हमारा हलाल)!
तमसोमाज्योतिर्गमय! तूफां खड़ा करना हमारा मकसद नहीं है, हालात ये कयामत के मंजर बदलने चाहिए!
दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है. आदमी इस दुनिया में सिर्फ़ ख़ुश होने नहीं आया है. वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है. वह पूरी मानवता के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है. वह उदारता प्राप्त करने को आया है. वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है.
(विन्सेन्ट वान गॉग की जीवनी 'लस्ट फ़ॉर लाइफ़' से)
यह हमारा भारत तीर्थ है। धर्म के नाम राष्ट्रद्रोह के बावजूद हिंदुत्व के इस नर्क के खिलाफ आत्मा की आवाजें गूंज रही हैं दसो दिशाओं में। आज से देश के रक्षक, भारत की एकता और अखंडता के रक्षक, मातृभूमि के असल बच्चे, डिफेंस वेटेरन्स देश की ओर से उनके सम्मान में दिये गये मेडेल वापस कर रहे हैं। हमारे गुरुजी तारा चंद्र त्रिपाठी ने फासीवाद हारा नहीं, हस्तक्षेप का यह लिंक शेयर करते हुए फिर साफ साफ चेताया है आगे महाभारत है। गोरक्षा बीफगेट के आयातित अरब वसंत नाकाम हो गया तो फिर नया तूफां रचदिया गया है और अबकी दफा अंग्रेजी फौटों के लोहे के चने चबाने के लिए भारतमाता के असली बेटे टीपू सुल्तान को हिंदू विरोधी राष्ट्रद्रोही कहा जा रहा है।
इस हिंदुस्तान की सरजमीं पर गांधी की फिर फिर हत्या कर रहे , रोज रोज कत्लेआम को अंजाम देने वाले मनुष्यता के युद्ध अपराधी मजहबी सियासत के आतंकवादियों, उग्रवादियों को छुट्टा सांढ़ों और अश्वेमेधी घोडो़ं के साथ बलात्कार सुनामी का सृजन करने वाले कटकटेला अंधियारे के अरबपति सत्तावर्ग के चरमपंथी उग्रवादी बजरंगियों को तो बारत ही शरण दे रहा है और संस्थागत फासिज्म के मुख्यालय से रक्तबीज की फसल है तो कोई मां काली ही उनसे हमारा यह भारत तीर्थ की रक्षा कर सकती है, ऐसी अंध भक्ति हिंदू धर्म का सर्वनाश और भारतवर्ष के विनाश का कारण है।
कुलबर्गी, पानेसर, दाभोलकर तो क्या फिर फिर हत्या से अविराम बहते बापू के खून से जिन हत्यारों की प्यास नहीं बूझी, उनकी नरसंहार संस्कृति हिंदुत्व हरगिज नहीं है।
समता और न्याय का जो संविधान बाबासाहेब ने रचा, उसकी प्रस्तावना में दरअसल हिंदुत्व के साथ साथ समता और न्याय, पंचशील का उद्घोष है और रोज रोज उसकी हत्या सत्तावर्ग का रोजनामचा है।
यही जनादेश है?
गोशाला कहीं नहीं है। खेती तबाह कर दी है। कारोबार खत्म कर दिया गया है। उद्योग धंधे, उत्पादन प्रणाली और अर्थव्यवस्था विदेशी पूंजी के हवाले। अर्थव्यवस्था से दिवाली तक , धर्म कर्म सबकुछ एब एफडीआई है।
जिस गुरुग्रंथ साहिब को हम सर्वोच्च मानते रहे हैं, उस गुरु पर्व का अवसान ही यह अंधियारा है।
मुक्त बाजार में जो चकाचौंध महातिलिस्म हुआ करे हैं।
हमारे गुरुजी हमारे मार्गदर्शक रहे हैं और उनके मार्गदर्शन का सिलसिला थम नहीं है।
सिखों के लिेए गुरुग्रंथ साहिब सर्वोच्च है, जहां ईश्वर, देवताओं अपदेवताओं, देवियों की, अपदेवियों की कोई सत्ता नहीं होती।
सारे संस्कार गुरुग्रंथ साहिब के सामने संपन्न होते हैं।
पंजाब में और पाकिस्तान में छूटे पंजाब में भी न सिर्फ बोली बल्की संस्कृति, रीति रिवाज एक हैं और आपरेसन ब्लू स्टार ध्रूवीकरण से पहले तक पंजाब में हिंदुओं और सिखों के लिए गुरुग्रंथ साहिब सर्वोच्च रहा है।
आपरेशन ब्लू स्टार ने इस गुरुपर्व का अवसान कर दिया है।
आज की पीढ़ी के लिए गुरु दुर्लभ हैं तो हम जैसे बूढ़ों के गुरु अब भी हमें ठोंक ठोंककर सही दिशा बता रहे हैं।
मुझे बाकी किसी चीज की इस दुनिया में परवाह नहीं है सिवाय इसके कि हमारे गुरुजी के सत्य वचन से कहीं हमारा विचलन न हो जाये। नैनीताल में मेरे साथी मुझे वास मैदान लौटने को न कहें।
बिहार के केसरिया बलात्कार सुनामी के खिलाफ जिस अशनिसंकेत का जिक्र हम बार बार कर रहे हैं हमारे गुरुजी तारा चंद्र त्रिपाठी ने उसका खुलासा साफ साफ किया है।
सिंहद्वार पर दस्तक भारी, जाग सकै तो जाग म्हारा देश!


