राष्ट्रवाद की जरूरत उन्हें है, जिन्होंने राष्ट्रपिता की हत्या की
राष्ट्रवाद की जरूरत उन्हें है, जिन्होंने राष्ट्रपिता की हत्या की
देश का वास्तविक मालिक किसान है
बाराबंकी। किसान देश का वास्तविक मालिक है और सच्चा राष्ट्रवादी उसी को कहा जाना चाहिए। जो हुकूमतें किसानों की हित की बात करें वहीं देश भक्त कहलाने के लायक हैं और जो उनके लिए कुचक रचें वो देश द्रोही हैं।
अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा रविवार को गांधी भवन के सभागार में ‘किसान और राष्ट्रवाद’ विषयक गोष्ठी पर अपने सम्बोधन में उक्त विचार सुप्रसिद्ध मजदूर नेता रामकृष्ण ने रखे।
श्री रामकृष्ण ने कहा कि इस देश की विडम्बना यह है कि अल्पसख्यक पूंजीपति बहुसंख्यक जनमानस का शोषण दोहन करके राज कर रहे हैं। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की हो, नीतियां उद्योगपतियों को लाभान्वित करने तथा किसानों का दर्द बढ़ाने के लिए बनायी जाती हैं। उन्होंने कहा कि कम्पनी एक्ट व इन्कम टैक्स एक्ट में बदलाव की जरूरत है क्योंकि इनमें दोहरी कानूनी व्यवस्था है।
मजदूर नेता ने कहा कि एक लाख चौदह हजार रूपये केन्द्र की मौजूदा सरकार अपने मित्र उद्योगपतियों के कर्जों को माफ कर उन्हें तोहफा देने में जरा भी शर्म नहीं करती है जबकि किसान व मेहनतकश लोगों को लोन देने में तरह-तरह की बाधाएं उत्पन्न करती है और ब्याज भी अधिक लेती है इसके साथ-साथ वसूली में भी कोई रियायत भी सरकार नहीं करती है।
उन्होंने कहा कि आज राज्य व राष्ट्र के बीच में केन्द्र सरकार जो भ्रम फैला रही है वो मक्कारी का कार्य है। आज उन लोगों को राष्ट्रवाद की जरूरत है, जिन्होंने राष्ट्रपिता व सिद्धान्तों की हत्या की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र एक अवधारणा है अमूर्त और जन संघर्ष ने इसे मूर्त रूप प्रदान किया है और इस जनसंघर्ष का प्रारम्भ 1857 में मौलवी अहमद उल्ला शाह द्वारा प्रतिपादित एजण्डे से हुआ। इस जनसंघर्ष में लगभग एक करोड़ लोग हताहत हुये, जिसमें 20 लाख मौलवी मुल्ला थे। राष्ट्रवाद के नाम पर देश में दूसरी बार एकजुटता 1942 में गांधी जी के नेतृत्व में देशवासियों को पुनः उत्पन्न हुई।
उ0प्र0 अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व एमएलसी गयासुद्दीन किदवई ने कहा कि आज देश में दो तरह के किसान पाये जाते हैं एक वह जो खेतों में अपना पसीना बहाकर दो वक्त की रोटी अपने परिवार के लिए जुटाते हैं, दूसरे वो सरमाएदार जो अपने काले धन को सफेद करने के उद्देश्य से काश्तकार बन रहे हैं। ऐसे लोगों के विरूद्ध जनता को जनआन्दोलन चलाना चाहिए। उन्होंने देश की वर्तमान राजनीति परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हुये कहा कि चतुर राजनेता जनता को धर्म जाति के मुद्दों पर ले जाकर उनके अंदर राजनीतिक परिपक्वता पनपने नहीं देते।
रिहाई मंच के अध्या मो0 शुऐब एडवोकेट ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज देश में राष्ट्रवाद शब्द का दुरुप्रयोग किया जा रहा है। देश में बसने वाले अल्पसंख्यकों जिनके पूर्वजों ने आजादी की लड़ाई में कुरबानियां दी उनसे राष्ट्रवादिता की सनद वो लोग मांग रहे है जिनकी स्वतन्त्रता संग्राम में कोई भी भूमिका होने की दूर की बात बल्कि अंग्रेज शासकों के साथ सहानुभूति रहीं।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश कुमार दीक्षित ने कहा कि आर0एस0एस0 ने बड़ी होशियारी से पूरे देश में नफरत का माहौल तैयार कर दिया है और तथाकथित देश भक्ति व राष्ट्र प्रेम के नाम पर ऐसे-ऐसे मुद्दे उठाये जा रहे है जो देश की परम्परागत सामाजिक व धार्मिक समरसता व उसकी अखण्डता के वजूद के लिए खतरा है।
गोष्ठी को उपभोक्ता फोरम के पूर्व सदस्य हुमायू नईम खां, बृजमोहन वर्मा, रणधीर सिंह सुमन, मौलाना व डा0 तस्खीर उल हसन, ने सम्बोधित किया तथा संचालन पत्रकार तारिक खान ने किया।
कार्यक्रम में पुष्पेन्द्र कुमार सिंह, नीरज वर्मा, विनय कुमार सिंह, राम नरेश, गिरीश चन्द्र, मो0 कदीर, इमतियाज अली, अमर सिंह आदि उपस्थित थे।


