पीयूष रंजन यादव

धर्मनिरपेक्ष होना, सेक्युलर होना मतलब मुस्लिम समर्थक होना हो गया है। इन शब्दों का इस्तेमाल गाली देने, अपमानित करने और हिन्दू विरोधी घोषित करने के लिए किया जाता है। सेक्युलर होने का एक मतलब राष्ट्रविरोधी हो गया है।

राष्ट्रवादियों के इस शोर में धर्मनिरपेक्षता डर गई है, सहम गई है ऐसा लगता है। राज सत्ता में धर्मनिरपेक्षता का मतलब बिना धर्म को आड़े लाये निरपेक्ष भाव से सभी जन के लिए न्याय के समान अवसर सुनिश्चित करना है। मुसलमानों से ज्यादा इसकी जरूरत इस देश की गैर मुसलमान 80% जनता को है।

पीयूष रंजन यादवअल्पसंख्यकों को छोड़ भी दें तो हजारों सालों से चली आ रही जाति प्रथा ही बहुसंख्यकों को समान न्याय के अवसरों से वंचित कर देने के लिए पर्याप्त है। सनातन काल से इस देश में इंसानों से जाति व्यवस्था के नाम पर जो बदसलूकी की गई है और आधुनिक समय में उन्हीं पिछड़ों, दलितों को उनकी औकात के हिसाब से समान न्याय के अवसर उपलब्ध कराने के औजारों का जो विरोध राष्ट्रवादी करते हैं, वह आँखें खोल देने के लिए पर्याप्त है कि निशाना पुराने ऐश्वर्य को प्राप्त कर फिर से समाज के वंचित तबकों को हाशिये पर धकेलने का है।

आज आप अल्पसंख्यकों को अपमानित होते हुए आनन्दित होईये, यकीन करिये कल आपकी बारी है।

ये राष्ट्रवादी उसी परम्परा के वाहक हैं, जो अम्बेडकर को बौद्ध धर्म स्वीकार करने को विवश कर देते हैं।

इसलिए धर्म निरपेक्ष बने रहिये, समाज को धर्म निरपेक्षता से सहमत करिये।