अंबरीश कुमार


अलीगढ ,जुलाई । उत्तर प्रदेश में किसानो के सवाल पर आगे बढ़ते राहुल गाँधी चुनाव का एजंडा भी तय कर रहे है । इस लंबी पदयात्रा के साथ राहुल गांधी की भाषा और तेवर भी बदल रहे है । मायावती सरकार को सीधी चुनौती देते हुए राहुल गाँधी ने आज कहा - इस प्रदेश को दलाल चला रहे है । राहुल गांधी की बाबा वाली छवि के साथ यह भाषा मेल नहीं खाती है । पर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर जिस तरह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के आक्रामक टकराव का असर पड़ा है उसमे जगह बनाने के लिए कांग्रेस को जिस आक्रामकता की जरुरत है उसे अब राहुल गांधी अपनाते नजर आ रहे है ।
कांग्रेस को इसका कितना नफा नुकसान होगा यह अभी नही कहा जा सकता पर सभी दलों की प्राथमिकता पर फिलहाल किसान है । दूसरे जिस तरह उमस भारी गर्मी में राहुल गाँधी जिस तरह लोगों से सीधा संवाद करने के साथ उनके साथ उठ बैठ रहे है और उन्ही का खाना खा रहे है वह राजनीती का नया मुहावरा जरुर गढ़ रहा है । आज तीसरे दिन भी उनका कार्यक्रम सुबह साढ़े छह शुरू हुआ और नौ किलोमीटर की पदयात्रा के बाद वे कृपालपुर गाँव पहुंचे और नौ बजे चौपाल भी लगाई । राहुल गाँधी गाँव में बिना बिस्तर के खटिया पर सो रहे है और हैडपंप पर नहा कर गाँव को देख समझ रहे है । खाना भी दल रोटी और छाछ तक सीमित रहता है । पर राजनीति में राहुल गांधी अब पहले जैसे अपरिपक्व नही दिख रहे है । गाँव के लोगों से संवाद और अपनी बात समझाने में कामयाब भी दिख रहे है । दरअसल उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस तरह की मेहनत और मस्स्कत बहुत कम नेताओं ने की है । कांग्रेस में तो पिछले तीन चार दशक में कोई ऐसा नेता नजर नही आया जो गाँव में इस तरह लोगों के साथ रहा हो । नब्बे के दशक में इस संवाददाता ने कांशीराम को इसी तरह बसपा का आधार बनाते अमेठी के गांवों में में देखा था । तब कांशीराम के पास कुल एक टुटही जीप हुआ करती थी । आज के बसपाई तो वाहनों के मामले में पूरी तरह मनुवादी हो चुके है । बसपा मुख्यालय में जब कभी विधायको सांसदों की बैठक होती है तो बाहर खडी बड़ी बड़ी शानदार लक्जरी गाड़ियों को देख कोई यह नहीं कह सकता कि यह कांशीराम की बनाई पार्टी है । इसी तरह मुलायम सिंह यादव भी लंबे समय तक जीप पर चलते रहे है और खांटी समाजवादी माने जाते रहे है । चंद्रशेखर का कद भी भारत यात्रा के बाद काफी बढ़ गया था । इसी तरह देवीलाल ने हरियाणा में समूचे राज्य का दौरा कर माहौल बनाया था । ऐसे ही दक्षिण के राज्यों में कई नेताओं ने परिवर्तन रथ निकालकर पदयात्रा कर सत्ता बदलने का काम किया है । ये सभी नेता गाँव से जुड़े रहे है । पर अब कोई बड़ा नेता अपने को गाँव से नहीं जोड़ पा रहा है । ऐसे में राहुल गाँधी का गाँव गाँव पैदल यात्रा करना लोगो को भीतर तक छू रहा है ।
कंसेरा गाँव के एक बुजुर्ग रामसजीवन ने कहा - कौन नेता अब गाँव आता है । नेता तो चुनाव के समय वोट मांगने आते है और कुछ देर में ही बड़ी बड़ी गाड़ियों में जाकर बैठ जाते है । कौन हमारे साथ रोटी खाता है । कौन गाँव में हमारी तरह सोता है । राहुल गांधी कम से कम हम लोगों की हालत तो देख कर जा रहे है । राहुल गांधी जिन इलाकों से गुजर रहे है वहा उनकी एक छाप छूट रही है और चर्चा भी उन्ही की हो रही है । कांग्रेस की इस रणनीति से राहुल गाँधी उत्तर प्रदेश के इस अंचल में तो अपना आधार तैयार करने का प्रयास कर ही रहे है साथ ही दूसरे अंचल को भी प्रभावित कर रहे है । बीते लोकसभा चुनाव में राहुल गाँधी का असर उत्तर प्रदेश में रंग लाया था पर बाद में कांग्रेस फिर पिछड़ गई । कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व इतना बौना है कि उससे किसी तरह की उम्मीद नहीं की जा सकती है । पर राहुल गांधी ने अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरह इसी तरह पूर्वांचल का दौरा किया तो कांग्रेस के लिए वे अनुकूल माहौल तो बना ही देंगे ।
कांग्रेस की कई नीतियों का चौतरफा विरोध हो रहा है जिसने भूमि अधिग्रहण कानून १८९४ भी है । भ्रष्टाचार और महंगाई का मुद्दा भी कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बना हुआ है । बावजूद इसके राहुल गाँधी का गाँव गाँव जाना और सीधे किसानो मजदूरों से संवाद करना असर डाल रहा है । इससे पहले राहुल गाँधी नौजवानों के बीच जा चुके है और तब भी उन्हें कालेज विश्विद्यालय में छात्रों ने हाथो हाथ लिया था । क्योकि वह नेताओं की भीड़ में एक अलग चेहरे के रूप में नजर आते थे । कुछ गांवों में राहुल गाँधी के बारे में बात हुई तो उन्हें यह नेता काफी प्रभावित करता दिखा क्योकि वे उनके बीच बिना किसी संकोच के जा रहे है । इस बार फिर जब केंद्र में कांग्रेस सांसत में फंसी हुई है राहुल गाँधी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानो के बीच उम्मीद की किरण नजर आ रहे है । अब सभी की नजर किसान पंचायत पर है जिसके जरिये राहुल गाँधी आगे का कार्यक्रम दे सकते है ।

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