राहुल गांधी और जेपी
राहुल गांधी और जेपी

मोहन प्रकाश जी राहुल गांधी की चरण वंदना करें, उन्हें पं नेहरू से भी ज्यादा विद्वान, बड़ा नेता और दूरदर्शी साबित करें तो कोई हर्ज नहीं क्योंकि यह उनके नए सियासी घर का अंदरूनी मसला है और वैसे भी समय समय पर कांग्रेसियों के नायक बदलते रहते हैं। लेकिन कहां जयप्रकाश और कहां राहुल गांधी?
राजनीति में चाटुकारिता का बहुत महत्व है, लेकिन इतना भी नहीं कि आदमी सारे सिद्धान्त और कायदे कानून की तिलांजलि दे दे।
कांग्रेस के प्रवक्ता मोहन प्रकाश, वामपंथी नेताओं को छोड़कर उन गिने चुने नेताओं में हैं, जिनका भाषण सुनकर युवााओं की बाजुएं फड़कने लगती हैं और समाज बदलने का एक जज्बा पैदा होता है। मोहन प्रकाश समाजवादी आंदोलन से तपकर छात्र आंदोलन के रास्ते मुख्यधारा की राजनीति में आए हैं और लम्बे समय तक लोकनायक जयप्रकाश नारायण की नीतियों को युवाओं को समझाते रहे हैं। एक समय था जब मोहन प्रकाश की एक आवाज़ पर उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक युवा आंदोलन उठ खड़ा होता था। वही मोहन प्रकाश आजकल नेहरू गांधी खानदान के चश्म-औ-चराग राहुल गांधी की वंदना कर रहे हैं।
मामला सिर्फ राहुल बाबा की चरण वंदना का ही होता तो काफी था, लेकिन हद तो तब हो गई जब उन्होंने राहुल गांधी को लोकनायक जयप्रकाश नारायण (Loknayak Jayaprakash Narayan) के बराबर ठहरा दिया। राहुल गांधी के बलबूते बिहार में कांग्रेस की नैया को पार लगाने की उम्मीद लगाए प्रकाश ने उनकी तुलना आपतकाल विरोधी अभियान (Anti-emergency campaign) के नायक जयप्रकाश नारायण से करते हुए कहा कि युवा नेता देश के युवा की जरूरतों, चिंताओं को समझते हैं।
मोहन प्रकाश इतने पर ही रुक जाते तो भी गनीमत थी, उन्होंने कह डाला कि पंडित नेहरू के बाद जिस प्रकार पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने बच्चों के बारे में चिंता की, उसी प्रकार से जयप्रकाश नारायण के बाद राहुल गांधी युवाओं के भविष्य की जरूरतों और चिंताओं को समझते हैं।
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राहुल गांधी के बिहार दौरे के बाद विभिन्न दलों की ओर से उन्हें निशाना बनाने के प्रयासों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विरोध करने वाली सभी पार्टियां राहुल को निशान बना रही हैं, जबकि वह विकास और युवाओं के भविष्य के बारे में बात कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि इस बार राज्य में कांग्रेस की लहर है और यह अन्य चरण के चुनाव में उभर कर सामने आयेंगे।
मोहन प्रकाश जी राहुल गांधी की वंदना करें, उन्हें पं नेहरू से भी ज्यादा विद्वान, बड़ा नेता और दूरदर्शी साबित करें तो कोई हर्ज नहीं क्योंकि यह उनके नए सियासी घर का अंदरूनी मसला है और वैसे भी समय-समय पर कांग्रेसजनों के नायक बदलते रहते हैं। लेकिन कहां जयप्रकाश और कहां राहुल ?
मोहन प्रकाश जी जयप्रकाश के अरमानों और सपनों का कुछ तो ख्याल करते। राहुल गांधी की प्रशस्ति गाएं, आपका वर्तमान रोज़गार है कम से कम जेपी के साथ तो अत्याचार तो न करें।
अमलेन्दु उपाध्याय


