राहुल ने राफेल का भूत मोदी के पीछे लगा दिया

उबैद उल्लाह नासिर

विगत दिनों लोक सभा में अविश्वास प्रस्ताव वैसे तो खुद भाजपा की सहयोगी रही तेलुगुदेशम पार्टी ने पेश किया था, लेकिन सदन में बहस के दौरान यह लड़ाई कांग्रेस बनाम भाजपा बन गयी, क्योंकि भाजपा ने भविष्य की सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तेलुगु देशम पार्टी को अपने निशाने पर नहीं रखा, उसका असल निशाना कांग्रेस ही रही और कांग्रेस को मोदी जी की सदन में मौजूदगी के दौरान ही मोदी सरकार की बखिया उधेड़ने का सुनहरा मौक़ा मिल गयाI कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी कह ही चुके थे कि मोदी जी सिर्फ सदन में पन्द्रह मिनट बैठ के मुझे बोलने का मौक़ा दें तो तूफ़ान आ जाएगा और लगभग सभी ईमानदार विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गाँधी ने वास्तव में तूफ़ान ला के दिखा दियाI

वैसे तो राहुल गांधी ने देश की सभी ज्वलंत समस्याओं किसानों की खुदकुशी, नवजवानों की बेरोज़गारी, छोटे मंझोले कारोबारियों की बर्बादी, बढ़ती मंहगाई, अल्पसंख्यकों में व्याप्त असुरक्षा और अलग-थलग पड़ जाने का एहसास, भीड़ की हिंसा, डोकलाम में चीन की घुसपैठ, डॉलर के मुकाबले रूपये का अवमूल्यन आदि पर सरकार को घेरा, लेकिन राफेल सौदे में हुए कथित घोटाले पर उन्होंने जो हमला किया उस से सत्ता पक्ष चारों खाने चित हो गयाI

राहुल गांधी ने दो टूक कहा कि इस सौदे में मोदी सरकार ने जबर्दस्त घोटाला किया है और उसका बहुत बड़ा आर्थिक लाभ उठाया है। उन्होंने पूछा की सरकार यह क्यों नहीं बता रही है कि इन विमानों को 500 करोड़ रूपये में खरीदने का जो सौदा मनमोहन सरकार ने किया था, उसे मोदी सरकार ने 1600 करोड़ में क्यों खरीदा। मोदी सरकार यह भी क्यों नहीं बता रही है कि तजुर्बे कार सरकारी संस्थान एचएएल के बजाय बिना किसी तजुर्बे वाली और अभी स्थापित भी न हुई अम्बानी की कम्पनी को इन जहाज़ों के रख रखाव का ठेका कैसे दे दिया गयाI उन्होंने कहा कि जहाज़ों की खरीदारी में कीमत का तीन गुना बढ़ जाने और जहाज़ों के रख रखाव का ठेका एक निजी कम्पनी के देने में जबर्दस्त आर्थिक घपला किया गया है, जो कई लाख करोड़ में जाता है और इसका सीधा फायदा मोदी जी को हुआ है। यही नहीं बैंकों में हुए खरबों रूपये के घपले और घपले बाजों का देश छोड़ कर भाग जाने को भी राहुल गाँधी ने मोदी सरकार के भ्रष्टाचार का एक नमूना बताया। उन्होंने यह कह के तो वास्तव में तूफ़ान ला दिया कि “मोदी जी आप खुद को देश का चौकीदार कहते हैं लेकिन दर असल आप भागीदार हैं“ I

इससे पहले आज तक शायद ही कभी सदन में सदन के नेता अर्थात प्रधान मंत्री पर इतने बड़े भ्रष्टाचार का सीधा आरोप लगाया गया होI रक्षा मंत्री निर्मला सीता रमन ने राफेल सौदे में पुराने करारनामे का हवाला दे कर secrecy clause का हवाला देते हुए कहा कि करार के अनुसार भारत सरकार बहुत सी बातें जनता के सामने नहीं ला सकती, लेकिन यदि भक्तों को छोड़ दिया जाय तो सारा देश इस बात पर सहमत है कि सौदे में secrecy clause जहाज़ों की technolgy, specifications आदि के तो हो सकते हैं, लेकिन मूल्य का मामला इस clause के अंतर्गत नहीं आता इस लिए मोदी सरकार को जनता के सामने यह बात अवश्य लाना चाहिए कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार द्वारा किये गए सौदे में मूल्यों में तीन गुना इजाफा कैसे हो गयाI उस से भी बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार में जिस प्रकार BSNL, बैंक, रेलवे, तेल कम्पनियां जो कभी नवरत्न कही जाती थीं आदि सभी पीएसयू मृत प्राय हो चुके हैं, उसी लाइन में अब एचएएल को भी लाया जा रहा है। अगर राफेल जहाज़ों के रख रखाव आदि का ठेका HAL को दिया गया होता तो मुर्दा हो रही इस सरकारी कम्पनी को नया जीवन मिल जाता, लेकिन सरकार ने अपने ही उपक्रम और उस में काम कर रहे हज़ारों लोगों की रोज़ी रोटी की चिंता किये बगैर धन्ना सेठों की उस कंपनी को ठेका दे दिया जो अभी स्थापित ही नहीं हुई है, तजुर्बे कार होना तो दूर की बात हैI

यह बात दुरुस्त है कि राफेल सौदा जबर्दस्त शक के घेरे में है। राहुल ने सदन में यह मामला उठा कर राफेल का भूत मोदी जी के पीछे लगा दिया है। अब तक मोदी जी किसी न किसी तरह भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से बिना जांच पड़ताल और मीडिया के हंगामे से बचते आ रहे थे, मसलन सहारा डायरी में नाम होने के बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट ने जांच से इनकार कर दिया था जबकि CBI के पूर्व डायरेक्टर रणजीत सिन्हा की नौकरी इसी बात पर गयी कि उनके घर पर आने वालों में से कुछ ऐसे लोगों के नाम उनकी visitor diary में मिले थे जिनके खिलाफ जांच चल रही थी और खुद सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए थेI या मडिया विपक्ष ख़ास कर कांग्रेस सरकारों पर लगने वालों के इलज़ाम पर तो जमीन आसमान एक कर देती थी लेकिन राफेल के मामले में बिलकुल खामोश है, लेकिन राहुल गाँधी ने अब राफेल का भूत मोदी जी के पीछे लगा दिया है जो लोक सभा चुनाव तक उनका पीछा करेगा भले ही वह कितनी भी ध्रुवीकरण की राजनीति कर लेंI

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।