रिहाई मंच का आरोप अमित शाह को पीएमओ के इशारे पर मिली क्लीन चिट, जेटली बोले ‘स्वतंत्र न्याय प्रणाली’ की जीत
रिहाई मंच का आरोप अमित शाह को पीएमओ के इशारे पर मिली क्लीन चिट, जेटली बोले ‘स्वतंत्र न्याय प्रणाली’ की जीत
नई दिल्ली। सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा गांधीनगर के पास हुए सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने पर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं हुई हैं।
आमआदमी पार्टी नेता योगेंद्र यादव ने सीबीआई पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बचाने का आरोप लगाया है तो वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ‘स्वतंत्र’ न्याय प्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि शाह के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे और यह चिंता का विषय था कि सीबीआई ने अपना दुरूपयोग होने दिया जबकि रिहाई मंच ने आरोप लगाया है कि पीएमओ के इशारे पर अमित शाह को क्लीन चिट मिली है।
जेटली ने फेसबुक पर लिखा, ‘ सबूतों का विस्तार से विश्लेषण किए बिना, मीडिया ने सीबीआई द्वारा दी गयी जानकारी को ही रिपोर्ट किया। सीबीआई की फाइल की वह एक महत्वपूर्ण नोटिंग मीडिया के लिए खबर नहीं थी, जिसमें कहा गया था कि अमित शाह को फंसाना इसलिए जरूरी था ताकि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को फंसाया जा सके।’ उन्होंने इस बात पर राहत की सांस ली कि भारत में ‘स्वतंत्र न्याय प्रणाली’ ने सीबीआई के वकीलों और सोहराबुद्दीन के भाई की बात सुनने के बाद शाह को दोषमुक्त किया, जहां दोनों ने बरी करने संबंधी याचिका का विरोध किया था।
उन्होंने लिखा, ‘आरोप बिना किसी आधार के था। यह तथ्य कि सीबीआई ने अपना दुरूपयोग होने दिया, यह चिंता की बात है। चूंकि मैंने कथित सबूत का विश्लेषण किया था... जांच के दौरान और आरोपपत्र दाखिल होने के बाद ... मैं उन कुछ लोगों में शामिल था जो पिछले तीन साल से लगातार कहते आ रहे थे कि अमित शाह पर मुकदमा चलाना ‘‘कोई सबूत नहीं’ का मामला है।’ राज्यसभा में बतौर नेता विपक्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 27 सितंबर 2013 कोलिखे पत्र का ब्यौरा देते हुए जेटली ने कहा कि शाह के खिलाफ आरोप तत्कालीन सरकार के कहने पर दायर किए गए।
रिहाई मंच ने सीबीआई अदालत द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट देने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीएमओ द्वारा सीबीआई को नियंत्रित करने का आरोप लगाया है। जिस पीएमओ में अजित डोभाल और नृपेन्द्र मिश्रा जैसे अधिकारी है जो इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ जैसे मामलों में लगातार मोदी और उनके कुनबे को बचाने की हर संभव कोशिश करते रहे हैं उस पीएमओ के सहारे सरकार इंसाफ का गला घोट रही है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सीबीआई ने सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह को मुख्य अभियुक्त बनाया था, साथ ही साथ गुजरात में हो रही तमाम फिरौतियों की वसूली के गिरोहों का अमित शाह को सरगना बताया है। इसके बावजूद अमित शाह को क्लीन चिट देने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीबीआई इस मामले में कितनी गंभीर थी। उन्होंने आगे कहा कि जहां अमित शाह के वकील ने उनके पक्ष में तीन दिन बहस की वहीं सीबीआई के वकील ने मात्र पन्द्रह मिनट में अपना पक्ष रख दिया। इशरत जहां मामले में भी जो पुलिस वाले अभियुक्त हैं उन्होंने भी स्वीकारा है कि काली दाढ़ी और सफेद दाढ़ी के कहने पर वे काम कर रहे थे। पूरा देश जानता है काली दाढ़ी व सफेद दाढ़ी का मतलब क्या है। बंजारा ने भी अपने पत्र में यह लिखा है कि गुजरात में हो रहे तमाम फर्जी मुठभेड़ों में राजनीतिक नेतृत्व की संलिप्तता रही है। गुजरात में मंत्री रहे हरेन पांड्या की हत्या में भी गुजरात का राजनीतिक नेतृत्व शामिल था उनकी पत्नी जागृति पांड्या इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करती रही हैं परन्तु कोई सीबीआई जांच नहीं हो रही है। सत्ता में आते ही अमित शाह के वकील रहे यू ललित को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की भी अनुशंसा की गई थी जबकि वरीयता क्रम में वह गोपाल सुब्रमणियम से नीचे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्र में भाजपा सरकार आने के बाद जिस तरीके से शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया उसने यह साफ कर दिया था कि भाजपा शाह जैसे सांप्रदायिक और अपराधिक प्रवृत्ति वाले व्यक्ति की अगुवाई में राजनीति को आगे बढ़ाएगी। ऐसे में सोहराबुद्दीन मामले में क्लीन चिट ने साफ कर दिया कि वह इंसाफ के कत्ल के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती है।


