रिहाई मंच ने पूछा सरकार से- संगीत सिंह सोम जेल से कैसे कर रहे थे फेसबुक पर सांप्रदायिक अपडेट्स
रिहाई मंच ने पूछा सरकार से- संगीत सिंह सोम जेल से कैसे कर रहे थे फेसबुक पर सांप्रदायिक अपडेट्स
सरकार क्यों छिपा रही है सांप्रदायिक हिंसा पीड़ित राहत
कैंपों की वास्तविक स्थिति- असद हयात
संगीत सिंह सोम व अन्य के विरुद्ध अमीनाबाद कोतवाली में
16 नवंबर को एफआईआर के लिए दिया गया प्रार्थना पत्र
जारी की मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों व राहत शिविरों की दशा पर
उत्तर प्रदेश सरकार के दावों को खारिज करती एक रिपोर्ट
लखनऊ 17 नवंबर 2013। मुजफ्फरनगर व आस-पास के जिलों में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले भाजपा विधायक संगीत सिंह सोम पर रासुका में निरुद्ध होने के दौरान जेल में से ही फेसबुक चलाने और उस पर आपत्तिजनक भड़काऊ व राष्ट्र विरोधी पोस्ट लिखने, शेयर करने पर उनके व इस तरह के अन्य फेसबुक एकाउंट और पेज के संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है। रिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 शुऐब और सामाजिक संगठन अवामी काउंसिल के महासचिव एडवोकेट असद हयात ने आज एक पत्रकार वार्ता में कहा कि जिस तरीके से भाजपा विधायक संगीत सिंह सोम व भाजपा विधायक सुरेश राणा जेल के भीतर से अपने फेसबुक से समाज व राष्ट्र के खिलाफ सांप्रदायिक अफवाहें फैला रहे थे, उसने साफ कर दिया है कि सपा सरकार इनको दंड दिलाने के बजाए इनको अफवाह फैलाने के लिए खुला छोड़ रखा था। इस घटना से उरई, मुजफ्फरनगर जेल प्रशासन व जिला प्रशासन भी कटघरे में खड़ा हो जाता है कि जो व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में बंद हो उसको वे वो सब सुविधाएं उपलब्ध करा रहे थे जो की प्रदेश को सांप्रदायिक तनाव में झोंक रही थी।
पत्रकार वार्ता के दौरान मुजफ्फरनगर व आसपास के जनपदों में सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के लिए चल रहे राहत शिविरों पर के रिपोर्ट भी जारी की गई। मंच का कहना है कि सरकार जिस तरीके से सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों को इंसाफ देने के बजाय अपने सर का दर्द समझकर उनका गलत मूल्यांकन व राहत कैंपों को जबरन हटाने पर जोर दे रही है, इस तरह सरकार सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों का दुबारा उत्पीड़न कर रही है।
अमीनाबाद कोतवाली, लखनऊ में प्रार्थनापत्र देने वाले रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि संगीत सिंह सोम ने जिन्हें 21 सितंबर 2013 को गिरफ्तार किया गया था, ने 12 अक्टूबर 2013 को अपडेट किया कि ‘मुजफ्फनगर जेल में आकर बढ़िया हालांकि उरई के लोगों से मिला प्यार भी कम नहीं था जय श्री राम वंदेमातरम’। इसी तरह 15 अक्टूबर को सोम ने अपने फेसबुक पेज से अपील की कि ‘आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर मुजफ्फरनगर दंगों में एक तरफा कार्यवाई के विरोध में क्षत्रिय महसभा द्वारा धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम है दिल्ली व उसके आस पास के राष्ट्रवादी भाईयों से निवेदन है कि अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं’ वहीं 13 अक्टूबर को अपने पेज से जुड़े सभी साथियों को विजय दशमी की बधाई दी और दिनांक 16 अक्टूबर को मुसलमानों के त्योहार बकरीद पर सांप्रदायिक टिप्पड़ी करते हुए कुरान से गलत हवाले दिए’। उन्होंने कहा कि जिस तरह सोम उनके अच्छा लगने, आह्वान करने, बधाई देने व मुसलमानों के खिलाफ टिप्पणी करना और ऐसी पोस्टों को शेयर करना जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है यह साबित करता है कि यह एक सोच समझी साजिश के साथ चल रहा था। मैं हूं देश भक्त, धर्म योद्धा जैसे पेजों से जो साप्रदायिक उन्माद फैलाया जा रहा है तथा उनकी पहचानें भी पुष्ट नहीं होती हैं और भाजपा विधायक संगीत सिंह सोम व अन्य हिन्दुत्ववादी जेहनियत के लोगों द्वारा जिस तरह इन पेजों को प्रमोट किया जा रहा है वह साबित करता है कि यह सारे फेसबुक पेज राष्ट्रविरोधियों के एक संगठित गिरोह द्वारा संचालित हैं। जिसकी पुष्टि इससे भी होती है कि ‘मैं हूं देशभक्त’ प्रोफाइल पिक्चर के बतौर 14 नंवबर 2013 को अशोक स्तंभ जो कि भारत का सरकारी चिन्ह है का चित्र लगया गया है जो राष्ट्र के विरुद्ध अपराध है। भारतीय जनता पार्टी से इस पेज का संबन्ध इससे भी साबित होता है कि एक दिन पहले तक इस पर प्रोफाइल पिक्चर के बतौर अटल बिहारी बाजपेई की तस्वीर थी।
सामाजिक संगठन अवामी काउंसिल के महासचिव असद हयात ने कहा कि मुजफ्फरनगर में 30 अक्टूबर को हुई चार हत्याओं (जिसको माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी 31 अक्टूबर को स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को निष्पक्ष विवेचना की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है) के संबन्ध में, भाजपा विधायक संगीत सिंह सोम के पेज पर देखे गए एक पोस्ट में यह दिखा कि मुजफ्फरनगर ग्राम लिसाढ़ की रीना की हत्या से संबन्धित तथ्यों को तोड़-मरोड़कर और बढ़ा-चढ़ाकर हत्या के साथ बलात्कार किए जाने को भी जोड़ा है जबकि घटना के संबन्ध में रीना के पति राजेन्द्र ने जो रिपोर्ट दर्ज कराई है उसमें बलात्कार जैसी किसी घटना का उल्लेख नहीं हैं। इतना की नहीं दूसरे स्थल पर हुए तीन मुसलमानों की हत्याओं को भी इसी घटना के साथ जोड़ दिया गया है।
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि राज्य सरकार सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए बिल्कुल भी प्रतिबद्ध नहीं थी, जिसका प्रमाण संगीत सिंह सोम का यह पोस्ट है क्योंकि भाजपा और संघ परिवार से जुड़े सांप्रदायिक तत्वों ने इसी तरह कवाल प्रकरण जिसमें शाहनवाज और गौरव व सचिन की हत्याएं हुई थीं, को भी छेड़खानी का परिणाम बताकर पूरे मुजफ्फरनगर व शामली व आस-पास के जिलों को सांप्रदायिकता की आग में झोंक दिया था जबकि कवाल कांड में दोनों पक्षों की तरफ से दर्ज कराए गए एफआईआर नंबर 403 और 404 थाना जानसठ में कहीं पर भी छेड़खानी की घटना का जिक्र नहीं है बल्कि झगड़े की वजह मोटर साइकिल टकराना बतया गया है। फिर इसी तरह की सांप्रदायिक अफवाह फैलाने की छूट जेल में बंद भाजपा विधायक संगीत सिंह सोम व सुरेश राणा को देकर अखिलेश सरकार पूरे सबे को 2014 के चुनावों के लिए सांप्रदायिक हिंसा में झोंकना चाहती है।
सामाजिक संगठन अवामी काउंसिल के महासचिव असद हयात, रिहाई मंच के हरे राम मिश्र, शाहनवाज आलम और राजीव द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के हवाले से कहा कि जिस तरीके से राज्य सरकार के सांप्रदायिकता नियंत्रण प्रकोष्ठ गृह विभाग ने सिर्फ 9 गांवों के लोगों को यह कहते हुए कि जो लोग घर नहीं जाएंगे उनके पुर्नवास की नीति बनाई वो प्रदेश सरकार के द्वारा सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों को इंसाफ न देने की मंशा जाहिर करती है। क्योंकि मुजफ्फरनगर व आस-पास के जनपदों में हुई सांप्रदायिक हिंसा में तकरीबन 162 गांव प्रभावित हुए हैं। ऐसे में राज्य सरकार तत्काल इस जीओ को निरस्त करते हुए सभी सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों के लिए मुआवजे व पुर्नवास की व्यवस्था सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि शासनादेश में राज्य सरकार ने यह शर्त नहीं लगाई है कि पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता पाने वाला व्यक्ति आंइदा मुआवजा नहीं मांगेगा, परन्तु शपथ पत्र की धारा 8 में यह शर्त जोड़ी गई है जो कि मुजफ्फरनगर व शामली के जिलाधिकारियों द्वारा सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों पर थोपी गई मनमानी शर्त है, ऐसे में इन दोनों जिलों के प्राशानिक अधिकारियों पर भी कार्यवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पीड़ितों को उनके गांव, उनके धार्मिक स्थल छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है वह उनके मूलअधिकारों का हनन है।
पत्रकार वार्ता के दौरान मुजफ्फरनगर, शामली व आस पास की गांवों में लगे राहत शिविर कैंपों की वास्तविकता को बताने वाली रिपोर्ट जारी की जो शिवपाल यादव के नेतृत्व में गठित दस मंत्रियों की सद्भावना कमेटी की रिपोर्ट के दावों को खारिज करती है।


