पिछले रेल बजट प्रस्तावों का 8700 करोड़ रुपयों से ज्यादा का खर्च न हो पाना सरकार की विफलता को ही दर्शाता है
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज संसद में पेश बजट पर गहरी निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि आम जनता को इस बात की कोई आश्वस्ति नहीं है कि पिछले वर्ष की तरह इस बार भी बजट के बाद उस पर भाड़ा वृद्धि का बोझ नहीं डाला जायेगा.
पार्टी ने पीपीपी मॉडल के जरिये रेलवे के निजीकरण की ओर बढ़ने के प्रयासों की भी तीखी निंदा की है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा के राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि रेलवे के विस्तार में छत्तीसगढ़ को कोई जगह ही नहीं मिली है और इससे आम जनता की आशा-आकांक्षाओं पर तुषारापात ही हुआ है. प्रदेश में बरसों से लंबित रेल परियोजनाएं अब भी क्रियान्वयन की बाट जोह रही है. उन्होंने कहा कि रेल मंत्री ने रेल सुविधाओं में विस्तार के जो वादे किये हैं, ऐसे ही वादे उन्होंने पिछले वर्ष भी किये थे, लेकिन उन वादों का हश्र जनता जानती है. उन्होंने आम जनता पर किश्तों में माल और यात्री भाड़ा बढ़ाकर बोझ डालने का ही काम किया है. इस कारण बजट में भाड़ा न बढाने का श्रेय भी उन्हें नहीं जाता.
माकपा ने कहा है कि पिछले बजट प्रस्तावों का 8700 करोड़ रुपयों से ज्यादा का खर्च न हो पाना सरकार की विफलता को ही दर्शाता है, क्योंकि रेलवे में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करने की कीमत पर ही ये पैसे बचाए गए हैं.
पार्टी ने कहा है कि रेलवे के राजस्व में 17000 करोड़ रूपये की गिरावट आने तथा सांतवे वेतन आयोग के लिए 32000 करोड़ रूपये जुटाने के चलते इस वित्तीय वर्ष की शुरूआत ही 50000 करोड़ रूपये की तंगी से होने जा रही है, जिससे आने वाले दिनों में आज किये गए वादे, केवल वादे ही रहने जा रहे हैं.