रेल बजट में सिर्फ मन की बात है, जन की बात कहीं नहीं दिखी
रेल बजट में सिर्फ मन की बात है, जन की बात कहीं नहीं दिखी
रेल बजट रेलवे के निजीकरण की दिशा में प्रयास : वाम दल
नई दिल्ली, 25 फरवरी। वाम दलों ने रेल बजट को रेलवे के निजीकरण की दिशा में प्रयास बताते हुए इसकी आलोचना की है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इस रेल बजट में कुछ भी नया नहीं है और यह लोक हितकारी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि रेल बजट से लोगों को काफी आशाएं थीं, लेकिन यह तो दिशाहीन है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी. राजा ने कहा कि रेल बजट में आशानुरूप कुछ भी नहीं है और इसमें यात्रियों की सुविधाओं और उनकी सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं किया गया है।
माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा,
"हम लोग बजट से निराश हैं, क्योंकि इसमें जन साधारण के लिए कुछ भी नहीं है।"
उन्होंने सरकार पर यह आरोप लगाया कि वह रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की नीति का अनुसरण कर रही है। उनका मानना है कि सरकार रेलवे का उपयोग निजी क्षेत्र की 'फंडिंग' के लिए कर रही है। पूरा ध्यान मार्केटिंग एवं विज्ञापन पर ही है।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा,
"रेल बजट में सिर्फ मन की बात है, जन की बात कहीं नहीं दिखी।"


