रोहित वेमुला आंदोलन - यह चैनलों और अखबारों का मोहताज नहीं
रोहित वेमुला आंदोलन - यह चैनलों और अखबारों का मोहताज नहीं
रोहित वेमुला - यह चैनलों और अखबारों का मोहताज नहीं. इसे न उन्होंने शुरू किया है और न ही वे इसे खत्म कर पाएंगे.
क्या आप अपने घर में अखबार की रद्दी रखते हैं?
सारे न्यूज चैनल, अखबार लगातार निगेटिव रिपोर्टिंग करके या खबरों की अनदेखी करके भी रोहित वेमुला मुद्दे को दबा क्यों नहीं पाए?
.... इसलिए कि यह आंदोलन ब्राह्मणवादी मीडिया का मोहताज नहीं है.
प्राइम टाइम की पहली डिबेट और अखबारों की पहली हेडलाइन बनने से पहले यह मामला हजारों शहरों, कस्बों, गांवों में फैलकर राष्ट्रीय बन चुका था.
अपने घर के पुराने अखबार की रद्दी निकालिए. 17 जनवरी, शाम चार बजे तक सोशल मीडिया पर रोहित की हत्या की खबर आ गई थी. उस दिन और रात देश के एक भी चैनल ने यह खबर नहीं दिखाई. अगले दिन, यानी 18 जनवरी के अखबार का पहला पन्ना देखिए.
टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान टाइम्स में कोई खबर नहीं. दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, अमर उजाला और हिंदुस्तान अखबार में इस जगह कोई खबर नहीं. द हिंदू में पहले पन्ने में एक वाक्य की सूचना. इंडियन एक्सप्रेस में 10वें पेज पर सिंगल कॉलम की खबर.
चैनलों और अखबारों की इस अनदेखी के बावजूद देश के लाखों लोग इस आंदोलन से जुड़ गए... यह सोशल मीडिया युग का भारत का पहला बड़ा जनांदोलन है.
यह चैनलों और अखबारों का मोहताज नहीं. इसे न उन्होंने शुरू किया है और न ही वे इसे खत्म कर पाएंगे.
Why, Oh why can’t they stop provoking Terrorism?
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