लखनऊ पहुंचीं शीला दीक्षित, बड़ी संख्या में जुटे कांग्रेसी तो सपा घबराई
लखनऊ पहुंचीं शीला दीक्षित, बड़ी संख्या में जुटे कांग्रेसी तो सपा घबराई
लखनऊ में शीला दीक्षित का जबर्दस्त स्वागत
लखनऊ। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद की दावेदार वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित आज लखनऊ पहुंचीं तो लगा कांग्रेस में नई जान आ गई और सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की घबराहट भी सामने आ गई। आनन-फानन में सपा ने विज्ञप्ति जारी कर कह डाला कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का मौसम आने से पहले ही तरह-तरह के करतबबाजों का आना-जाना शुरु हो गया है। इनकी रुचि और समझ उत्तर प्रदेश के विकास में नहीं है। उन्हें इससे कुछ लेना देना भी नहीं है। वस्तुतः वे यहाँ यह देखने आ रहे हैं कि जिस हाल में प्रदेश को वे छोड़ गए थे वह उसी हाल में अभी भी होगा।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री व उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित रविवार को लखनऊ पहुंचीं। हवाईअड्डे से बाहर निकलते ही शीला के स्वागत में पहले से मौजूद हजारों कार्यकर्ताओं ने उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया। इसके बाद वह लखनऊ में रोड-शो पर निकलीं।
इस दौरान भी कई जगहों पर शीला दीक्षित का स्वागत किया गया।
पहली बार लखनऊ में कांग्रेसियों की इतनी भीड़ दिखाई दी। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर, सांसद प्रमोद तिवारी, सांसद संजय सिंह और रीता बहुगुणा जोशी सहित पार्टी के तमाम पदाधिकारी मौजूद थे।
लखनऊ में शीला का रोड शो लखनऊ एयरपोर्ट तिराहा, कृष्णा नगर, अवध अस्पताल, पकरी का पुल, मजार चौराहा, हुसैनगंज चौराहा व बर्लिगटन चौराहा होते हुए हजरतगंज पहुंचा। इस दौरान शीला के साथ गाड़ियों की लंबी कतार दिखाई दी। जगह-जगह कार्यकर्ताओं की तरफ से उनका स्वागत किया गया।
पिछले ढाई दशक में यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग किसी कांग्रेसी नेता (गांधी परिवार के अलावा) के स्वागत में जुटे।
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में घर-वापसी की संभावनाओं से घबराई समाजवादी पार्टी खुद को बोलने से रोक न पाई।
दरअसल सपा की स्थिति प्रदेश में बहुत खराब है। उसके अभी तक परंपरागत मतदाता समझे जाने वाले यादव और मुसलमान उससे छिटक रहे हैं। सपा पर अंदरखाने भाजपा से मिलीभगत करने और प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल बनाने के रोप लगते रहे हैं। इसी कारण मुस्लिम मतदाता सपा से दूर जा चुका है। मुख्तार अंसारी प्रकरण ने इस नाराज़गी ने आग में घी का काम किया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली भी पार्टी के परंपरागत वोट की नाराज़गी का कारण है।
सीतापुर के एक यादव सपा विधायक से मुख्यमंत्री के कथित इशारे पर पुलिस दुर्व्यवहार और बलराम यादव जैसे सम्मानित वरिष्ठ मंत्री के अपमान से यादव मतदाता नाराज़ है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का मौसम आने से पहले ही तरह-तरह के करतबबाजों का आना-जाना शुरु हो गया है। इनकी रुचि और समझ उत्तर प्रदेश के विकास में नहीं है। उन्हें इससे कुछ लेना देना भी नहीं है। वस्तुतः वे यहाँ यह देखने आ रहे हैं कि जिस हाल में प्रदेश को वे छोड़ गए थे वह उसी हाल में अभी भी होगा। गुजरात, बिहार, नागपुर और दिल्ली से वे उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पर्यटन पर आ रहे हैं। ये लोग उत्तर प्रदेश को बर्बाद करने का एजेंडा बना रहे हैं। जनता इनको भाव देने वाली नहीं है।
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि जनता के मनोरंजन के लिए इन दिनों बिहार और दिल्ली के भी कुछ नेता प्रदेश के प्रवास पर आ रहे हैं। बिहार की दो पार्टियों की उत्तर प्रदेश में शाखांए हैं लेकिन उनमें कुर्सियाँ भरने को भी नेता और सदस्य नहीं है। इन पार्टियों की प्रदेश में कहीं जड़ें नहींं है।
सपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस के भी कई चेहरे एक साथ प्रदेश की धरती पर उतर रहे हैं शायद यह देखने के लिए कि जिस प्रदेश को वे बदहाली में छोड़ गए थे, कहीं वह बदल तो नहीं गया है। बड़े कांग्रेसी नेता प्रदेश की धरती पर हवाई यात्रा कर उतरे तो चौड़ी सड़क, मेट्रो की हलचल और आई0टी0हब देखकर भौचक्के रह गए कि ‘‘हम कहां आ गए हैं यहाँ चलते-चलते !’’ कांग्रेस समस्याओं की जनक रही है उसे समस्याओं के हल की समाजवादी राजनीति पसन्द नहीं आती है।


