खेती किसानी से लेकर महंगाई पानी जैसे मुद्दे हाशिए पर गए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लाल किले से जो भाषण दिया वह जोरदार था। आम लोगों से उन्होंने जोड़ा भी पर बहुत कुछ छूट भी गया। लड़कियों की चिंता से लेकर शौचालय का मुद्दा हिट रहा। इस तरह का भाषण हाल के वर्षों में पहले किसी प्रधानमंत्री ने नहीं दिया। यह रूटीन भाषण से अलग लोगों को छूने वाला भाषण था। मनमोहन सिंह से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है जिनका भाषण नई पीढ़ी एक दशक से सुन रही है। इसलिए मोदी के भाषण की तारीफ़ हुई।

पर जो मुद्दा मोदी ने छोड़ दिया वह ज्यादा महत्वपूर्ण था। वे एक नारा देते थे 'हम वादा नहीं इरादा लेकर आएं हैं। आज उनका वादा तो दिखा पर इरादा नहीं दिखा। कई मुद्दे नदारद थे। इसमें समूचे देश के सामने पीने के पानी का सवाल हो, नदियों की बदहाली का सवाल हो या फिर खेती किसानी का सवाल हो, हाशिए पर नजर आया। वे गंगा के नाम पर चुनाव लड़ रहे थे पर खुद उनके राज्य की दमन गंगा दम तोड़ चुकी है तो पड़ोस की पाताल गंगा अब अभिशाप बन चुकी है। उन्होंने जंगल में लाल झंडा लेकर चलने वाले माओवादियों को तो नसीहत दी पर पर्यावरण को लेकर कारपोरेट घरानों की लूट पर वे खामोश थे।

चाहे विदर्भ को रेगिस्तान बनाने वाले हो या मध्य प्रदेश में किसानों की जमीन छीनने वाले अडानी हो या फिर अंबानी। यह एक बड़ा मुद्दा है। वे योजना आयोग को ख़त्म करने जा रहे हैं, पर नया क्या करने जा रहे हैं, यह सभी के लिए चिंता का विषय है। महंगाई पर सत्ता में आए मोदी ने इससे निपटने का भी कोई प्लान नहीं दिया।

अंतिम मुद्दा मजहबी हिंसा का है।

मोदी ने चिंता तो जताई है पर हर मुद्दे पर एक फार्मूला देने वाले मोदी ने यह नहीं बताया कि मजहबी हिंसा करने वालों से वे कैसे निपटे और आगे कैसे निपटेंगे। यही वह मुद्दा था जिस पर लोगों की ज्यादा नजर थी। मोदी सरकार के सत्ता के आने बाद दंगे बढ़े हैं, एक नहीं कई राज्यों में। इसलिए दंगाइयों से वे किस फार्मूले से निपटेंगे, यही ज्यादा महत्वपूर्ण था। आगे भी वे इन्ही सवालों पर घिरेंगे भी। इसलिए शौचालय या लड़कियों की सुरक्षा के सवाल पर जो मोदी को घेरने का कोई अर्थ नहीं है। जमीनी मुद्दों का सवाल उठना चाहिए।

अंबरीश कुमार

अम्बरीश कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं। छात्र आन्दोलन से पत्रकारिता तक के सफ़र में जनता के सवालों पर लड़ते रहे हैं। जनसत्ता के उत्तर प्रदेश ब्यूरो चीफ रह हैं और इस समय जनादेश न्यूज़ नेटवर्क समाचार एजेंसी के कार्यकारी संपादक हैं।