लॉर्डशिप ! असाधारण इतिहास पुरुष हो गए हैं आप। बस एक जजमेंट आपको एक और करना है वह है मि.गोगोई द्वारा जस्टिस गोगोई का निर्णय।

क्या हुआ तेरा वादा ! कहा था, हम सम्पत्ति के स्वामित्व और आधिपत्य तक सीमित रहेंगे । जज बदलने पर जजमेंट भी बदलते हैं न !

लॉर्डशिप ! असाधारण इतिहास पुरुष हो गए हैं आप। इतिहास पुरुष तो तभी हो गए थे जब सीजेआई हुए थे। हाँ, असाधारण सिर्फ इस अर्थ में ही नहीं कि आपने मंदिर - मस्जिद विवाद का ऐतिहासिक फैसला दिया है बल्कि इसलिए भी कि आपके दिए कुल फैसलों के अध्ययन को दो भागों में रखकर पढ़ने के लिए कानून के अध्येताओं को आपने बाध्य कर दिया है। पहला भाग,आप पर छेड़छाड़ के आरोप से पहले का और दूसरा, आरोप के बाद का।

छेड़छाड़ के आरोप (Justice Ranjan Gogoi accused of molestation) पर भी आप इतिहास में दर्ज हुए थे। उसकी जांच कमेटी में आपका होना भी ऐतिहासिक था। बाद में आरोप भी सही नहीं पाया गया और आपकी वह चीख भी सही नहीं पाई गई कि कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट को हाइजेक करने की कोशिश (Attempt to hijack Supreme Court) कर रहे हैं। ऐसी जांच भी ऐतिहासिक थी।

खैर, अब आप ससम्मान विदा हो जाएंगे। आपको समय याद रखेगा।

आप और अधिक ऐतिहासिक हो जाएंगे यदि आप अपनी मृत्यु के बाद पढ़ी जाने वाली किसी वसीयत में गोगोई पार्ट- 1 और गोगोई पार्ट-2 के अंतर की मजबूरियां खुद लिख डालें। वरना तो कयास लगते रहेंगे और आप असाधारण से भी असाधारण होने का अवसर गंवा देंगे।

बेशक़ आप सीजेआई के बाद जज न रहें, एक जजमेंट तो आपको अभी करना है और वह होगा मि.गोगोई द्वारा जस्टिस गोगोई का निर्णय।

(वरिष्ठ अधिवक्ता मधुवन दत्त चतुर्वेदी की फेसबुक टिप्पणी)