लोकतंत्र की रक्षा के लिए चलेगा देशव्यापी आंदोलन
लोकतंत्र की रक्षा के लिए चलेगा देशव्यापी आंदोलन
जन संघर्ष मोर्चा गठबंधन की दिल्ली बैठक का प्रेस नोट
नई दिल्ली 3 फरवरी 2011, जन संघर्ष मोर्चा गठबंधन की राष्ट्रीय अभियान समिति की दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू युवा केन्द्र में बैठक हुई। बैठक में देश में यूपीए सरकार द्वारा अघोषित आपातकाल जैसी परिस्थिति पैदा करने, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों, भ्रष्टाचार, मंहगाई, कश्मीर प्रश्न, किसानों व सामाजिक न्याय के मुद्दों पर चर्चा हुई और इन सवालों पर पूरे देश में आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय अभियान समिति के अध्यक्ष व योजना आयोग के पूर्व सदस्य एस0 पी0 शुक्ला और संचालन जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने किया।
बैठक में देश में अघोषित आपातकाल की पैदा हो रही स्थिति पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गयी और यह नोट किया गया कि यूपीए सरकार लगातार संवैधानिक संस्थाओं पर बराबर हमला करने में लगी हुई है, सुप्रीम कोर्ट तक को धेरने की कोशिश कर रही है। सरकारें चाहे जिसकी हो देश में न्यूनतम लोकतांत्रिक गतिविधियों पर भी रोक लगायी जा रही है। धरना, प्रदर्शन, रैली व आमसभाएं जैसी लोकतांत्रिक विरोध की कार्यवाहियों के लिए शहरों में जगह तक नही दी जा रही है, शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलनों पर बर्बर दमन ढ़ाया जा रहा है, लोकतांत्रिक आंदोलन के कार्यकर्त्ताओं पर फर्जी मुकदमें कायम किए जा रहे है। बैठक में लोकतंत्र पर आए इस संकट के खिलाफ एक बड़े जनांदोलन के लिए देश की सभी जनवाद पसंद ताकतों को गोलबंद करने का फैसला लिया गया। बैठक में महाराष्ट्र के जैतापुर में न्यूक्लियर पार्क के निर्माण के खिलाफ जारी संघर्ष का समर्थन करते हुए वहां सरकार द्वारा आंदोलनकारियों पर किए जा रहे बर्बर दमन की कड़ी आलोचना की गयी है।
बैठक में भ्रष्टाचार के सवाल पर लिए प्रस्ताव में कहा गया कि आज दिख रहा चौतरफा भ्रष्टाचार नई अर्थनीति की देन है। सरकार द्वारा पेश किए जा रहे लोकपाल बिल के नागरिक समाज द्वारा किए जा रहे विरोध का पुरजोर समर्थन किया और सरकार से मांग की कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रस्तावित इस आधे अधूरे लोकपाल बिल की जगह नागरिक समाज द्वारा दिए जा रहे सुझावों के अनुरूप नया बिल निर्मित कर उसे संसद द्वारा पारित कराए। बैठक में पूरे देश में महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलन चलाने और इन मुद्दों पर देश में चल रहे आंदोलनों के साथ एकताबद्ध होने का फैसला लिया गया।
अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर लिए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि 2006 से लेकर 2008 के बीच हुई बम विस्फोटों की घटनाओं में असीमानंद की स्वीकारोक्ति के बाद अब यह साफ हो गया है कि इन घटनाओं में आरएसएस से जुडे़ लोगों की भूमिका रही है। इसलिए इन मामलों में की गयी गिरफ्तारियां गैरवाजिब है और अब केन्द्र सरकार को चाहिए कि इन घटनाओं के लिए जेलों में बंद नौजवानों को बिना शर्त रिहा करें और इन्हे गिरफ्तार करने वाले पुलिस अफसरों को दण्ड़ित करें। जेलों में बंद नौजवानों की रिहाई के लिए अदालत में आयी जमानत याचिकाओं की सीबीआई द्वारा विरोध करने की कार्यवाही की आलोचना करते हुए आतंकवाद विरोध के नाम पर पाकिस्तान विरोध की अंधनीति को भी सही नही ठहराया गया। बैठक में आई0 बी0 की कार्यप्रणाली की निन्दा करते हुए कहा गया कि उसकी संदेहास्पद कार्यप्रणाली यह दिखाती है कि खुफिया एजेन्सियों को राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
बैठक में किसान मुद्दों पर हुई चर्चा के बाद 1894 के कानून और सेज कानून समेत ऐसे सभी कानूनों को रद्द करने और जब तक राष्ट्रीय बहस के बाद नया भूमि अधिग्रहण कानून न बन जाए तब तक किसानों से जमीन न लेने और किसानों के लिए बने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को वैधानिक दर्जा देने समेत किसान हितों के सवालों पर पूरे देश में राजनीतिक आंदोलन चलाने का फैसला लिया गया। बैठक में उडीसा में पास्को परियोजना को भारत सरकार के वन व पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुमति प्रदान करने को विश्वासघात माना गया और वहां संघर्षरत पास्को प्रतिरोध संग्राम समिति और उ0 प्र0 के इलाहाबाद के कचरी में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलनों का समर्थन किया गया।
बैठक में कश्मीर में तिरंगा फहराने के लिए भाजपा द्वारा की गयी यात्रा की कड़ी आलोचना करते हुए इसे विभाजनकारी, उकसावामूलक और जनता के बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने वाली कार्यवाही माना गया और कश्मीर के सवाल पर यूपीए व एनडीए द्वारा अपनायी जा रही कश्मीर विरोधी नीतियों के खिलाफ कश्मीर की जनता के विश्वास को पुर्नबहाल करने के लिए देश में नागरिक समाज और वाम -जनवादी ताकतों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का पुरजोर समर्थन किया गया।
बैठक में केन्द्र सरकार से अतिपिछड़ों की राष्ट्रीय स्तर पर शिनाख्त करने के लिए तत्काल राष्ट्रीय आयोग के गठन करने और एक तय समय सीमा में अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिषत आरक्षण में से हिन्दू अति पिछड़ी जातियों तथा मुस्लिम पिछड़ों को अलग आरक्षण कोटा देने की और रंगनाथ मिश्र आयोग की संस्तुति के अनुसार दलित अल्पसंख्यकों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की गयी। बैठक में मिस्र में चल रहे जनता के आंदोलन का समर्थन किया गया। बैठक में उ0 प्र0 की मायावती सरकार द्वारा लखनऊ और अन्य जगहों के सुदरीकरण के नाम पर सोनभद्र और मिर्जापुर जनपदों की पहाडियों को नष्ट करके पर्यावरण और जल का गहरा संकट पैदा करने पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गयी। इसके खिलाफ सोनभद्र में जन संघर्ष मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया गया।
बैठक में पूर्व सासंद इलियास आजमी, पूर्व सासंद अखिलेश सिंह, क्रांतिकारी समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश सिंह कुशवाहा, मार्क्सवादी विचारक प्रबीर पुरकायस्था, पूर्व सचिव भारत सरकार के0 बी0 सक्सेना, सीपीआई( एमएल मासलिबरेषन) तमिलनाडू जे0 चिदम्बरनाथन, अर्थशास्त्री जया मेहता, राजकीय जनांदोलन कर्नाटक के एस0 आर0 हिरेमथ, महाराष्ट्र के किसान नेता रूनवाल, हरियाणा के किसान नेता राधेश्याम, वैज्ञानिक दिनेश ओबराल, मध्य प्रदेश से विनीत तिवारी, जसमों के लाल बहादुर सिंह, यशवंत सिंह चौहान, दिनकर कपूर, अजीत सिंह यादव आदि लोग उपस्थित रहे।
(दिनकर कपूर)
राष्ट्रीय प्रवक्ता
जन संघर्ष मोर्चा


