वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी आपदा
वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी आपदा
वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी आपदा
एमिटी में भारतीय वन सेवा अधिकारियों हेतु ‘‘ इकोटूरिस्म, आजीविका एवं वन संरक्षण’’ पर एक सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
Training Course for Indian Forest Services Officers at Amity University
देश के 12 राज्यों से 18 आईएफएस अधिकारियों ने की शिरकत
नोएडा, 27 नवंबर। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेष सचिव एवं महानिदेशक - वन डॉ. सिद्धांत दास ने कहा है कि विपत्ति एवं भेद्यता के सहयोग से आपदा का निर्माण होता है। तूफान, भूकंप, साइक्लोन एवं बारिश आदि के कारण विपत्ति आती है पर उनकी अनदेखी कर समस्याओं के निवारण हेतु तैयार ना रहना भेद्यता को बढ़ावा देता है। आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए कमजोर या भेद्य पूर्ण क्षेत्रों का प्रबंधन आवश्यक है।
डॉ. सिद्धांत दास कल यहां एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिसोर्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट एवं एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ ग्लोबल वार्मिंग एंड इकोलॉजिकल स्टडीज द्वारा भारत सरकार के “पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” के सहयोग से भारतीय वन सेवा Indian forest service अधिकारियों हेतु ‘‘इकोटूरिस्म, आजीविका एवं वन संरक्षण’’ (Ecotourism, livelihood and forest conservation) विषय पर एक सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्रतिभागियों से मुखातिब थे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन एमिटी विश्वविद्यालय के एफ ब्लाक सभागार में किया गया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेष सचिव एवं महानिदेशक - वन डा सिद्धांत दास, कर्नाटक के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कंसरवेटर डा विनय लूथरा, रितनंद बलवेद एजुकेशन फाउंडेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. नितिन बत्रा, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती एवं एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिसोर्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने पांरपरिक दीप जलाकर किया।
Current time global warming and climate change are the biggest disaster
डॉ. सिद्धांत दास ने कहा कि वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) और जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी आपदा है जिसका विश्व सामना कर रहा है। उन्होंने लक्षित करते हुए कहा कि विकास की प्रक्रिया में मानवों ने जीवाश्म ईंधन fossil fuel को जलाना प्रारंभ किया गया जिससे कार्बन डाइऑक्साइड carbon dioxide निकली और पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैस (Greenhouse gas in the environment) की मात्रा का विकास हुआ।
डा दास ने कहा कि सन् 1999 से 2000 के मध्य 1.05 डिग्री सेलसियस तापमान की औसत वृद्धि हुई थी और पिछले 15 सालों में तापमान की औसत वृद्धि 1.06 डिग्री सेलसियस रिकॉर्ड की गई है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए सभी को मिलकर साझा प्रयास करना होगा।
डा दास ने कहा कि अब भारत, पर्यावरण को बचाने में विश्व का नेतृत्व कर रहा है जिसके तहत हमारे भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सन 2030 तक अतिरिक्त वनों को बढ़ाकर विश्व का 2.5 से 3 बिलियन टन ऑफ कार्बन डाइऑक्साइड इक्वीवैलेंट को कार्बन सिंक कर दिया जायेगा।
उन्होंने इकोटूरिस्म पर अपने विचार रखते हुए कहा डा दास ने कहा कि इसके तीन प्रमुख भाग है जिसमें प्रथम इकोटूरिस्म को शिक्षण एवं शिक्षा से जोड़ा जाये ना कि घूमने फिरने एवं आनंद लेने की गतिविधि से, इकोटूरिस्म को स्थानीय समुदायों के सहयोग से बढ़ावा दिया जाये और क्षेत्र की क्षमता के अनुसार विकसित किया जाये।
उन्होंने कहा सतत विकास एवं संरक्षण के लिए शीघ्र ही इकोटूरिस्म पॉलिसी को कैबिनेट में पेश किया जायेगा।
What is the purpose of ecotourism
कर्नाटक के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कंसरवेटर डा विनय लूथरा ने आईएफएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वन एवं उससे जुड़े क्षेत्र में ‘‘इकोटूरिस्म, संरक्षण को बढ़ावा देगा या नहीं’’ यह एक चर्चा का विषय है। इकोटूरिस्म का उदेदश्य पर्यावरण को बढ़ावा देने के साथ वनजीवों के लिए उपयुक्त स्थान को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए। इकोटूरिस्म केवल टाइगर एवं अन्य बड़े जानवरों तक सीमित ना रहे बल्कि इसमें वनस्पति और छोटे जीवों को शामिल किया जाये।
तकनीकी सत्र में दिये अपने व्याख्यान में संबोधित करते हुए उन्होंने भूटान, सेंट्रल अमेरिका, अफ्रीका आदि देशों में चल रहे इकोटूरिस्म एवं उसके संरक्षण सहित स्थानीय समुदायों के सहयोग के बारे में भी बताया।
रितनंद बलवेद एजुकेशन फाउंडेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा नितिन बत्रा ने अतिथियों एवं प्रशिक्षण लेने आये अभ्यर्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण एवं वन संरक्षण एवं इकोटूरिस्म पर आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण है। वनों के संरक्षण में आपकी भूमिका बेहद जरूरी होती है क्योंकि आप इस कार्य में स्थानीय समुदायों से मिलने से लेकर संरक्षण एवं नीति निर्माण का कार्य करते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पांच दिन अहम होंगे जहां पर मुख्य मुद्दों पर चर्चा होगी और विचारों का आदान प्रदान होगा।
We have to promote the balance between nature and human beings.
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर (Vice Chancellor of Amity University) डा. (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने कहा कि इकोटूरिस्म से एक ओर हम अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं वही दूसरी ओर वन एवं वनजीवों के संरक्षण में सहायक होगा। हमें प्रकृति एवं मानव के मध्य संतुलन को बढ़ावा देना होगा।
उन्होंने कहा कि हर कार्य केवल सरकार नहीं कर सकती इसलिए निजी संस्थानों को भागीदारी करनी होगी।
डा. (श्रीमती) शुक्ला ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आप हमसे तो हमें भी आपसे काफी कुछ सीखने के लिए प्राप्त होगा। एमिटी में हम शिक्षण को सदैव दोहरी प्रक्रिया मानते हैं जिससे दोनों को कुछ नया सीखने हेतु प्राप्त होता है।
तकनीकी सत्र के अंर्तगत कई विशेषज्ञों ने सतत स्थानीय आधारित इकोटूरिस्म, इको पर्यटन सिद्धांत (Echoturism principals) पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ ग्लोबल वार्मिंग एंड इकोलॉजिकल स्टडीज के सलाहकार जे सी काला, एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिसोर्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के सलाहकार प्रो बी के पी सिन्हा एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डा लोलिता प्रधान भी उपस्थित थीं।
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