विद्युत क्षेत्र की लूट के लिए ही निजीकरण - माकपा
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पब्लिक लिमिटेड विद्युत कंपनियों को प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों में बदलने के भाजपा सरकार के निर्णय को विद्युत् क्षेत्र का निजीकरण करार दिया है.
पार्टी ने कहा है कि यह केवल शब्दों की हेरा-फेरी नहीं है, जैसा कि सरकार का दावा है, बल्कि अब इन कंपनियों से सरकार का नियंत्रण ही पूरी तरह से ख़त्म हो जायेगा. इससे अब ये कम्पनियां नियामक आयोग के अधीन होने को भी चुनौती दे सकती है और बिजली की दरें मनमाफिक रख सकती हैं.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि विद्युत मंडल के विखंडन से ही यह स्पष्ट हो गया था कि भाजपा सरकार का वास्तविक इरादा इसके निजीकरण का है. इस दिशा में पहले तो इसे साजिशन घाटे में लाया गया और अब इसे प्राइवेट लिमिटेड बनाकर इसे अडानी-अंबानी जैसे कारपोरेटों के हाथों सौंपने का षडयंत्र किया जा रहा है. अब वे इन कंपनियों के घाटे की आड़ में आम जनता को लूटने का खेल खेलेंगे.

इससे बिजली और महँगी होगी और आम जनता की पहुंच से दूर.
माकपा ने कहा है कि विद्युत क्षेत्र के इस निजीकरण के बाद अन्य संसाधनों की तरह ऊर्जा क्षेत्र के दरवाजे भी निजी उद्योगपतियों की लूट-खसोट के लिए खोल दिए गए हैं. लेकिन ऐसे निजीकरण को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और आम जनता को इसके खिलाफ लामबंद किया जाएगा.