“दीन सभन को लखत है, दीनहिं लखै न कोय। जो रहीम दीनहिं लखै, दीनबंधु सम होय”

अर्थात…

"गरीब सभी की ओर देखते हैं (अर्थात मदद मांगते हैं), लेकिन गरीबों की ओर कोई नहीं देखता (अर्थात उनकी कोई परवाह नहीं करता है)

जो गरीबों की परवाह करता है वह भगवान के समान हो जाता है”

मेरे विचार से हिन्दी के महान कवि रहीम का उपरोक्त दोहा, विश्व के सभी साहित्यों में लिखा गया अब तक का सबसे महान दोहा है। समझिए कैसे।

मानव स्वभाव में मूलतः दो प्रेरक शक्तियाँ हैं, तर्कशक्ति और भावना।

फ्रांसीसी विचारकों वोल्टेयर, डाइडरोट, होलबैक, हेल्वेटियस, आदि द्वारा तर्क पर जोर दिया गया था। उन्होंने कहा कि लोगों को अंधविश्वास छोड़ देना चाहिए और तर्कसंगत बनना चाहिए। वे धार्मिक आस्था को अंधविश्वास मानते थे और विज्ञान और वैज्ञानिक सोच पर जोर देते थे।

दूसरी ओर, महान फ्रांसीसी विचारक रूसो द्वारा भावना पर जोर दिया गया था (देखें विल ड्यूरेंट की 'सभ्यता की कहानी : रूसो और क्रांति')।

https://timesofindia.indiatimes.com/blogs/satyam-bruyat/voltaire-and-rousseau/

रूसो ने कहा कि तर्क पर बहुत अधिक जोर देने से मनुष्य गणना करने वाला और स्वार्थी प्राणी, अमानवीय मशीन बन जाता है, जो केवल अपने हित के बारे में सोचता है, और दूसरों के कष्टों की परवाह नहीं करता है।

रूसो ने कहा कि हमें केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि दूसरों की भी परवाह करनी चाहिए, और यह तभी संभव है जब हमारे पास एक मजबूत विकसित अंतर्आत्मा तथा संवेदना हो, और संकट में पड़े लोगों की मदद करने की तीव्र इच्छा हो।

'दीनबंधु' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'गरीबों का मित्र'। लेकिन हिंदी साहित्य में इसका प्रयोग अक्सर भगवान के लिए किया जाता है। रहीम ने इस अर्थ में दोहे में 'दीनबंधु' शब्द का प्रयोग किया है।

रहीम कहते हैं कि हर किसी को सिर्फ अपनी भलाई की परवाह होती है, लेकिन दुनिया में कुछ ही लोग ऐसे होते हैं, जो दूसरों की भलाई की परवाह करते हैं। ऐसे लोग भगवान के समान होते हैं।

इस प्रकार मेरे विचार से रहीम ने केवल दो पंक्तियों में महान रूसो के संपूर्ण दर्शन को प्रतिपादित किया है।

जस्टिस मार्कंडेय काटजू

(मार्कंडेय काटजू एक भारतीय विधिवेत्ता और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, जिन्होंने भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह भारतीय पुनर्मिलन संघ (Indian Reunification Associationआईआरए) के संस्थापक और संरक्षक हैं।)

भारत क्या है ? जस्टिस काटजू का एक महत्वपूर्ण भाषण | hastakshep | हस्तक्षेप