शहीद भगतसिंह पुस्तकालय बन्द कराने को RSS का पुलिस पर दबाव, विरोध में प्रदर्शन
शहीद भगतसिंह पुस्तकालय बन्द कराने को RSS का पुलिस पर दबाव, विरोध में प्रदर्शन
दोमुंहे लोग एक ओर अंबेडकर को भुनाने की कोशिश करते हैं और दूसरी ओर संविधान की भी धज्जियां उड़ाते हैं
छात्रों-युवाओं के दमन और विरोधी विचारों को कुचलने के प्रयासों के विरोध में साझा प्रदर्शन
लखनऊ, 26 मार्च। हैदराबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के दमन और मुम्बई में आर.एस.एस. विरोधी पर्चे बाँटने पर नौजवान भारत सभा कार्यालय पर आतंकवाद निरोधक दस्ते के छापे के विरोध में आज यहां जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर विभिन्न जनसंगठनों के कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने प्रदर्शन किया और पर्चे बाँटे। प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति को संबोधित भेजा गया जिसमें देशभर में छात्रों-युवाओं पर बढ़ते दमन-उत्पीड़न को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की माँग की गयी।
इस मौके पर राहुल फाउंडेशन की अध्यक्ष और कवयित्री कात्यायनी ने कहा कि पिछले चार दिनों से हैदराबाद विश्वविद्यालय में छात्रों पर जैसा दमन ढाया जा रहा है वैसा स्वतंत्रता के बाद से कभी नहीं हुआ है। दलित छात्र रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के एक प्रमुख आरोपी, कुलपति अप्पा राव की पद पर वापसी का शान्तिपूर्ण विरोध कर रहे छात्रों और उन्हें बचाने गये शिक्षकों की बर्बर पिटाई तथा छात्राओं और महिला शिक्षकों के साथ घटिया बदसलूकी की गयी। 34 छात्रों और दो शिक्षकों और एक मीडियाकर्मी को पुलिस उठा ले गयी जिनका अगले 48 घंटों तक पता ही नहीं चला। कुलपति के आदेश पर हॉस्टलों का बिजली-पानी काटकर, मेस बन्द करवा कर, कैम्पस में एटीएम और इंटरनेट सेवाएं बन्द करके उसे एक जेल में बदल दिया गया है और मीडिया तथा वकीलों तक को अन्दर नहीं जाने दिया जा रहा है। पुलिस की पिटाई से अनेक छात्र घायल हुए हैं और एक छात्र आईसीयू में भरती हैं। तमाम तरह के झूठे वायदे करके सत्ता में आयी भाजपा सरकार की नाकामियाँ और संघी एजेंडे की असलियत जैसे-जैसे उजागर हो रही है, वैसे-वैसे पूरे देश में इसका विरोध बढ़ता जा रहा है। हमारे समाज के बहादुर बेटे-बेटियाँ – छात्र और नौजवान इस विरोध की अगली कतारों में हैं और इसीलिए उनका मुंह बन्द करने की कोशिश की जा रही है।
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सन्दीप पांडेय ने कहा कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री से लेकर मानव संसाधन मंत्री तक सन्दिग्ध शैक्षणिक योग्यता वाले लोग भरे हैं और वे शिक्षा संस्थानों को भी ऐसे ही अयोग्य लोगों से भर देना चाहते हैं जिनकी सबसे बड़ी योग्यता यही है कि वे आँख मूँदकर आर.एस.एस. के इशारों पर काम करने को तैयार हैं।
ऐपवा की ताहिरा हसन ने कहा कि जिन लोगों ने आज़ादी की लड़ाई में कोई हिस्सेदारी नहीं की वे ही आज देशभक्ति के सर्टिफिकेट बाँट रहे हैं। ये दोमुंहे लोग हैं, एक ओर अंबेडकर को भुनाने की कोशिश करते हैं और दूसरी ओर संविधान की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें समाजवादी पार्टी जैसे नकली सेक्युलरों से भी सावधान रहने की ज़रूरत है।
जागरूक नागरिक मंच के सत्यम ने बताया कि पिछली 21 मार्च को मुम्बई में नौजवान भारत सभा के कार्यालय और वहाँ संचालित शहीद भगतसिंह पुस्तकालय पर आतंकवाद निरोधक दस्ते (ए.टी.एस.) के लोगों ने केवल इसलिए छापा मारा क्योंकि नौ.भा.स. ने आर.एस.एस. और भाजपा की नकली देशभक्ति और उनकी जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश करते हुए मुम्बई के कई इलाकों में पर्चे बाँटे थे। नौ.भा.स. कार्यकर्ताओं को डराने-धमकाने की कोशिश में नाकाम रहने के बाद अब ए.टी.एस. के लोग मकान मालिक पर दबाव डालकर नौजवान सभा का कार्यालय और शहीद भगतसिंह पुस्तकालय बन्द कराने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस कर्मियों ने खुद कहा कि आर.एस.एस. के लोग उच्चाधिकारियों पर दबाव डाल रहे हैं।
स्त्री मुक्ति लीग की मीनाक्षी ने कहा कि जो सत्ता अपनी आलोचना और स्वतंत्र विचारों को बरदाश्त न कर पाये उसका पतन लाज़िमी होता है। तमाम झूठे प्रचार और मीडिया मैनेजमेंट के बावजूद आम लोगों की नज़रों में मोदी सरकार की कलई उतरने लगी है। अब जनता के बीच जाकर इनका और भी ज़ोर-शोर से भण्डाफोड़ किया जायेगा।
प्रदर्शन को रिहाई मंच के शकील कुरैशी, शिक्षक आशीष सिंह और जानकी प्रसाद गौड़ ने भी संबोधित किया।
प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति को भेजे गये ज्ञापन में हैदराबाद विश्वविद्यालय में जारी दमनचक्र तत्काल बन्द करने और छात्रों की सभी बुनियादी सुविधाएं तुरन्त बहाल करने, कुलपति अप्पाराव को बर्खास्त करने, रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या के जिम्मेदार केन्द्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी और बंडारू दत्तात्रेय से इस्तीफ़ा लेने और मुंबई में नौजवान भारत सभा कार्यालय पर ए.टी.एस. के छापे का आदेश देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई किये जाने की मांग की गयी।
प्रदर्शन में रिहाई मंच के मोहम्मद शोएब, शाहनवाज़ आलम, पत्रकार रामबाबू, संजय श्रीवास्तव, तहरीके निसवां की रफ़त फ़ातिमा, डा. वीरेंद्र त्रिपाठी, संजय, स्त्री मुक्ति लीग की शाकम्भरी, शिप्रा, रूपा, शिवा, नौजवान भारत सभा के लालचन्द्र, शिवानन्द, सृजन, विजय कुमार, चन्दन कुमार, सन्दीप, दीनदयाल सिंह, हरिकिशन सहित विभिन्न जनसंगठनों के कार्यकर्ता, छात्र और युवा शामिल हुए।
सधन्यवाद


