शासकों को लगता है कि सिर्फ़ अमीर और मध्यम वर्गों को ही कोरोना से बचाना है
शासकों को लगता है कि सिर्फ़ अमीर और मध्यम वर्गों को ही कोरोना से बचाना है

शासको! आप भी कुछ परोपकार करें!
Provide shelter, food & medical care to homeless, jobless poor in CoronaPandemic times.
नई दिल्ली, 29 मार्च, 2020. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के उपाय (Measures to avoid corona virus infection) के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की है। लेकिन इस लॉकडाउन के गरीब तबके पर प्रतिकूल असर पड़े हैं। लाखों-लाख बेघर लोगों, गांव से रोज़ी-रोटी की तलाश में आए मज़दूरोँ और ग़रीबों को सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है। इन में बड़ी संख्या बच्चों और महिलाओं की है। हम रोज़ इस के दिल-दहलाने वाले शर्मनाक नज़ारे देख रहे हैं। इसके मद्दे नजर निशात नाट्य मंच से जुड़े दिल्ली विस्वविद्यालय के अवकाशप्राप्त प्रेफसर शम्सुल इस्लाम ने हुक्मरानों से अपने घर से ही परोपकार करने की अपील करते हुए एक ऑनलाइन पिटीशन प्रारंभ की है।
प्रो. शम्सुल इस्म ने कहा कि,
“हमारा देश कोरोना की महमारी की चपेट में है, लेकिन शासकों को यह लगता है कि सिर्फ़ अमीर और मध्यम वर्गों को ही इस से बचाना है।
हमारे देश के प्रधान मंत्री ने आह्वान किया है कि हम में से हर एक 9 ग़रीब परिवारों को गोद ले। उन के इस सुझाव से प्रेरित होकर मैंने एक ऑन-लाइन सार्वजनिक याचिका देश के शासकों के समक्ष प्रस्तुत की है कि हमारे हुक्मरान भी कुछ 'परोपकार घर से आरंभ' करें।“
याचिका में मांग की गयी है कि वे जिन आलीशान महलों में रहते हैं जिन में 50 से लेकर 300 से भी ज़्यादा कमरे हैं (राज्यपालों के सरकारी निवास और राष्ट्रपति भवन) इन में से हर एक में एक ठीक-ठाक हिस्से को सड़कों पर मारे फिर रहे बदनसीब हिन्दुस्तानियों को ठहरने दें ताकि उनको भूख, बीमारियों और कोरोना से बचाया जा सके।
इस सार्वजनिक याचिका में यह भी मांग की गयी है कि तमाम सरकारी गेस्ट/रेस्ट भवनों को पीड़ित जनता के लिए खोल दिया जाए और शिक्षा संस्थाओं के तमाम हॉस्टिलों और मेस जिन्हें बंद कर दिया गया है, फ़ौरन खोले जाएँ।
उन्होंने अपील की है कि इस याचिका को समर्थन दें, दोस्तों और परिवार के सदस्यों से भी हस्ताक्षर कराएं । याचिका का लिंक निम्न है -


