शिक्षा मंत्री खुद ही बिगाड़ रहे हैं राज्य का शैक्षणिक माहौल – पीयूसीएल
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज राजस्थान (People's Union for Civil Liberties Rajasthan) ने राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा दलित शिक्षिक हेमलता बैरवा, मिर्जा मुजाहिद, फिरोज खान तथा शबाना और अकलीमा परवीन के मामले में दमनकारी रवैया अपनाये जाने की कड़ी आलोचना की है।

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राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री तत्काल हस्तक्षेप कर शिक्षा मंत्री के संविधान विरोधी व शिक्षा विरोधी आचरण पर रोक लगायें
निलम्बित किये गये शिक्षकों को तुरंत बहाल किया जाये
जयपुर, 05 मार्च 2024. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज राजस्थान (People's Union for Civil Liberties Rajasthan) ने राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा दलित शिक्षिक हेमलता बैरवा, मिर्जा मुजाहिद, फिरोज खान तथा शबाना और अकलीमा परवीन के मामले में दमनकारी रवैया अपनाये जाने की कड़ी आलोचना की है।
पीयूसीएल के राजस्थान के अध्यक्ष भंवर मेघवंशी और महासचिव अनंत भटनागर ने आज यहां जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर शैक्षणिक स्थलों को अवैज्ञानिक बातों और धार्मिक ध्रुवीवकरण की जगह बनाने को आमादा है और दलित तथा अल्पसंख्यक शिक्षक शिक्षिकाओं को लक्षित करके उनका बेवजह उत्पीड़न कर रहे है। शिक्षा मंत्री के इस आचरण से राज्य का शैक्षणिक माहौल बिगड़ रहा है तथा सामाजिक भाईचारे को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।
पीयूसीएल ने कहा कि इन शिक्षक शिक्षिकाओं ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिसकी इनको सजा मिले। हेमलता बैरवा ने 26 जनवरी की उत्सव प्रभारी के नाते गणतंत्र दिवस समारोह में सावित्री बाई फुले, डॉक्टर अंबेडकर और महात्मा गांधी की तस्वीरें रखी थीं, जब उन पर जबरन सरस्वती की तस्वीर रखने का दबाव डाला गया तो उनके द्वारा यह पूछने पर कि सरस्वती का शिक्षा में क्या योगदान है, भड़के हुए लोगों ने शिक्षिका के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा दिया। एक लोकतांत्रिक सरकार के निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में शिक्षिका को संवैधानिक मूल्य की रक्षा के लिए सम्मानित करने की बजाय शिक्षा मंत्री ने सार्वजनिक मंच से शिक्षिका को निलंबित करने के आदेश प्रदान कर उसे माध्यमिक शिक्षा के मुख्यालय बीकानेर भेजने का ऐलान किया, जो कि सरासर प्रताड़ना की कार्यवाही है।
इसी प्रकार कोटा के संगोद इलाके के तीन मुस्लिम शिक्षकों मिर्जा मुजाहिद, फिरोज खान, शबाना के मामले में भी उन पर धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे झूठे आरोप लगाये गए, उन्हें बेवजह निलंबित कर दिया गया जब कि इन शिक्षकों ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया। ये शिक्षक लोकप्रिय शिक्षक रहे हैं, स्कूल के छात्र-छात्राओं व अभिभावक आज भी उनके समर्थन में हैं तथा धरना प्रदर्शन तक कर चुके हैं और वे उन्हें वापस अपने विद्यालय मे लाना चाहते हैं। लेकिन कतिपय संगठनों के दबाव में शिक्षा मंत्री सांप्रदायिक मनोवृति का परिचय देते हुये मुस्लिम समुदाय से आने वाले शिक्षकों को प्रताड़ित करने पर तुले हुये हैं। इसी तरह राजकीय विद्यालय किशनगंज, बारां की 38 वर्षीया मुस्लिम शिक्षिका अकलीमा परवीन को भी निलम्बित करके बीकानेर मुख्यालय भेज दिया गया है, उन पर आरोप लगाया गया है कि वह हिजाब पहनती हैं और स्कूल के कोने में नमाज़ पढ़ती हैं।
पीयूसीएल ने कहा कि ऐसा ही एक और मामला जोधपुर जिले में भी सामने आया है, जहां पीपाड़ शहर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हिजाब पहनकर आने के बाद उपजे विवाद के मद्देनजर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर विद्यालय के प्रिंसिपल राम किशोर सांखला, उर्दू व्याख्याता चमन नूर और अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी समर सिंह को एपीओ कर दिया गया जबकि इन शिक्षकों का विवाद से कोई लेना देना नहीं था।
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल का कहना है कि शिक्षामंत्री की शह पर पूरे राज्य की स्कूलों में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है ताकि दलित व अल्पसंख्यक व सेकुलर विचार में भरोसा करने वाले शिक्षकों, शिक्षिकाओं में भय का वातावरण उत्पन्न हो जाए तथा सांप्रदायिक संगठनों को भेदभाव की राजनीति करने का अवसर मिल जाए। शिक्षकों का स्थानांतरण, निलंबन, जांचों तथा मुकदमों में उलझाकर षड़यंत्रपूर्वक दबाव बनाने की मुहिम चिंताजनक है। राजस्थान में मुस्लिम व दलित शिक्षक शिक्षिकाओं के विरुद्ध इस तरह की एकतरफ़ा और दुर्भाग्यपूर्ण कार्यवाही ध्रुवीकरण के ज़रिए वोट लेने की नफ़रती राजनीति की बेहूदी कोशिश है।
पीयूसीएल ने राज्य के शिक्षा मंत्री द्वारा बिगाड़े जा रहे शैक्षणिक माहौल पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए आग्रह किया है कि शिक्षा के स्थलों को पढ़ने लिखने की जगह रहने दिया जाये, न कि नफरती सांप्रदयिक राजनीति का उन्हें अखाड़ा बनाया जाये।
पीयूसीएल ने राज्य के विभिन्न इलाकों में दलित व अल्पसंख्यक टीचर्स के उत्पीड़न पर कडा रोष प्रकट किया है तथा कहा है कि राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप कर शिक्षामंत्री के संविधान विरोधी, शिक्षा विरोधी तथा नियम विरुद्ध आचरण पर रोक लगानी चाहिए तथा तत्काल सभी उपरोक्त उल्लेखित निलम्बित शिक्षकों को पुन: स्थापित करना चाहिए।


