शेक्सपीअर ट्वेल्थ नाइट के कथापात्र अब भारत में निर्णायक भूमिका में हैं
शेक्सपीअर ट्वेल्थ नाइट के कथापात्र अब भारत में निर्णायक भूमिका में हैं
Twelfth Night! शुद्धतावादियों के प्रतिरोध में शेक्सपीअर ने भी अभिव्यक्ति का जोखिम उठाया था!
पलाश विश्वास
विलियम शेक्सपीअर का अद्भुत नाटक ट्वेल्थ नाइट हमारे मौजूदा समय के सत्ता के निरंकुश रंगभेदी शुद्धतावादी सत्ता विमर्श और तदनुसार उत्पन्न परिस्थितियों के मद्देनजर बेहद प्रासंगिक हैं।
इसके शुद्धतावादी पात्र हमारे राष्ट्रवादी चरित्रों के जैसे हैं। उनके भी तौर तरीके वहीं हैं। हमें इस नाटक में अपने आसपास के तमाम चेहरे नजर आ सकते हैं।
शुद्धतावादियों के प्रतिरोध में शेक्सपीअर ने भी अभिव्यक्ति का जोखिम उठाया था। उनके इस नाटक का प्रदर्शन रोक दिया गया था।
महारानी एलिजाबेथ के स्वर्णकाल में शुद्धतावादियों के रणहुंकार से लंदन के सारे थिएटर बंद कर दिये गये थे। उसी परिदृश्य में पिउरिटन आंदोलन पर करारा व्यंग्य किया शेक्सपीअर ने।
शेक्सपीअर के कथापात्र अब भारत में निर्णायक भूमिका में हैं, जिन्हें समझने के लिए यह नाटक मददगार हो सकता है।


