संघ का राष्ट्रवाद नकली राष्ट्रवाद है- संस्कृतिकर्मी
संघ का राष्ट्रवाद नकली राष्ट्रवाद है- संस्कृतिकर्मी
राष्ट्रवाद के नाम पर भय व खैफ का माहौल बनाया जा रहा है इमरजेंसी जैसे हालात देश में कायम किए जा रहे हैं।
जे.एन.यू जैसे उच्च शिक्षा के विश्वप्रसिद्ध केंद्र को बदनाम कर नष्ट किया जा रहा है।
पटना, 18 फरवरी। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित अन्य छात्रों पर राष्ट्रदोह का आरोप लगाकर गिरफ्तारी, ए.आई.एस.एफ के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत सहित छात्रों, प्राध्यापकों एवं पत्रकारों से मारपीट एवं विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक अधिकारों केा कुचलने की केाशिश के खिलाफ प्रेमचंद रंगशाला परिसर में प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया।
“हिंसा के विरूद्ध संस्कृतिकर्मी ;रंगकर्मियों-कलाकारों का साझा मंच” के बैनर तले आयोजित इस बड़ी प्रतिरोध सभा में पटना के रंगकर्मियों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न छात्र संगठनों एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
वक्ताओं ने कहा पूरे देश भर में कन्हैया और उनके साथियों की गिरफ्तारी के विरूद्ध आवाज़ उठ रही है।
सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री एम.एन.कर्ण ने कहा ‘‘कन्हैया बेगूसराय के क्रांतिकारियों की भूमि कहे जाने वाल बीहट गॉंव का रहने वाला है। कन्हैया के बहाने भारत सरकार असहमति के मौलिक लोकतांत्रिक अधिकार को कुचलना चाहती है ताकि राष्ट्रवाद की अपनी परिभाषा के अनुसार देश बनाए। उनका राष्ट्रवाद नकली राष्ट्रवाद है। विश्वविद्यालय नये विचारों की जन्मभूमि होती है वहॉं यदि असहमति के स्वर नहीं उठेंगे तो कहॉं उठेंगे? सरकार विचारों पर पहरा लगाना चाहती है। ’’
प्रसिद्ध इतिहासविद ओ.पी जायसवाल ने बताया ‘‘ आज कन्हैया पर राष्ट्रद्रोह का इल्जाम लगाया वो लोग लगा रहे हैं जिन्होंने हमेशा अॅंग्रेजों का साथ दिया, महात्मा गॉंधी जैसे राष्ट्रवादी नेता की हत्या की’’
पटना विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर भारती एस कुमार ने कहा ‘‘ पाकिस्तान के नाम पर आम लोगों में झूठा उन्माद फैलाया जा रहा है। हमें लोगों के बीच धैर्यपूर्वक बात कर उन्हें असली बात बतानी चाहिए’’
सी.आईटी.यू के अरूण मिश्रा ने कहा ‘‘ हमारा राष्ट्रवाद साम्राज्यवाद विरोधी राष्ट्रवाद है भाजपा का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है जो विभाजनकारी है। उनका राष्ट्रवाद तभी जागता है जब पाकिस्तान का मामला आता है अमेरिकी साम्राज्यवाद के समक्ष ये आर.एस.एस वाले तलवे सहलाते हैं’’
जे.एन.यू के पूर्व छात्र इमरान खान ने बताया ‘‘ जे.एन.यू हमेशा से वामविचारों का गढ़ रहा है। वहॉं डायरेक्ट डेमोक्रेसी है। वहॉं यदि एक भी आदमी असहमत है तो उसे अपनी बात रखने की स्वतंत्रता रहती है। दुर्भाग्य से आज उसे नष्ट किया जा रहा है’’
पटना विश्वविद्यालय में विज्ञान के प्रोफेसर रहे देवेंद्र प्रसाद सिन्हा ने कहा ‘‘आपत्तिजनक नारों का बहाना लेकर भारत सरकार द्वारा एक विश्वस्तरीय शैक्षिक संस्थान केा बदनाम करने की केाशिश कर रही है। साथ-साथ राष्ट्रवादी उन्माद पैदा करने का कुत्सित अभियान भी चलाया जा रहा है।’’
सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद सिन्हा ने कहा ‘‘ ऑपनिवेशिक काल के राष्ट्रदोह के वैसे मुकदमे लादे जा रहे हैं जो स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों पर लादे जाते थे। देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लोगों ने कन्हैया की रिहाई की माँग की है। विश्वप्रसिद्ध विद्वान नॉम चॉम्सकी, नोबल पुरस्कार विजेता ओरहान पामुक सहित दुनिया के 450 विद्वानों, कोलंबिया, हावर्ड, कैंब्रिज , येल विश्वविद्यालों ने भी जे.एन.यू में अकादमिक माहौल समाप्त कर स्वतंत्र विचारों का गला घोंटने की निंदा की है।’’
केदार दास श्रम अध्ययन संस्थानके महासचिव नवीनचंद ने इस अभियान के पीछे नवउदारवादी अर्थशास्त्र केा बताया जिसके अनुसार ‘‘ पूंजीपतियों के हित नीतियों को चुनौती पेश करने वाली हर चीज को निर्ममतापूर्वक ध्वंस कर दिया जाता है। जे.एन.यू ने चॅुंकि हमेशा सत्ता के प्रतिपक्ष में वैकल्पिक सोच केा अभिव्यक्त दी है उसे आज बर्बाद करने का प्रयास कर रही है।’’
सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय जी ने कहा ‘‘ कन्हैया की गिरफतारी और विश्वजीत पर हमला बतात है कि सरकार गरीब घरों के लड़कों को पब्लिक विश्वविद्यालय पहुँचने के सपने को नष्ट कर उसे निजी विश्वविद्यालों में तब्दील करना चाहती है जहाँ सिर्फ स्किल डेवलपमेंट की पढ़ाई हो’’
ए.आईएस.एफ के आकाश गौरव, दिशा की वर्षा, न्यू एज यूथ ऐसासिएशन के राधेश्याम ने बताया ‘‘ सरकार कन्हैया केा बिना सबूत के देशद्रोही कह रही है लेकिन केार्ट परिसर में , मीडिया के सामने वकीलों की गुंडागर्दी देशद्रोह है कि नहीं?। 9 फरवरी के वीडियो पर कार्रवाई लेकिन 15 फरवरी की घटना के वीडियो पर चुप्पी बताती है कि केंद्र सरकार इकतरफा काम कर रही है।’’
सी.पी.आई के पटना जिला सचिव बैंक कर्मचारियों के प्रतिनिधि रामलला जी ने कहा ‘‘ तीन-चार महीनों के बाद वामपंथियों की ताकतवर उपस्थिति वाली बंगाल और केरल में चुनाव है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उसे ध्यान में रखते हुए चुनाव को सांप्रदायिक आधार पर बाँटना चाहती है अन्यथा पिछले वर्ष जब ये घटनाएं जे.एन.ये में हुई उस वक्त सरकार कहॉं सोयी थी?’’
सभा में सभी वक्ताओंने राजद्रोह की बारीकियों, वर्तमान संदर्भ में उसके बेजा इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त करते हुए आपातकाल के दिनों से भी बुरा बताया। कन्हैया की गिरफ्तारी फासीवादी का खूंख्वार चेहरा अब प्रकट होने के लक्षण हैं।
सभा केा संबांधित करने वाले अन्य लोगों में थे मजूदर पत्रिका के सतीश कुमार, पैगाम कल्चरल सोसायटी के राजेश, उपन्यासकार नरेंद्र कुमार, बलदेव झा, वेब पोर्टल नौकशाही डॉट कॉम के इर्शादंल हक, जदयू के नवल शर्मा, नरेंद्र पाठक, जसवा के प्रियदर्शी, कार्यकर्ता रूपेश ।
सभा में मौजूद महत्वपूर्ण लोगों में थे कथांतर पत्रिका के संपादक राणा प्रताप, प्राच्य प्रभा के संपादक विजय कुमार सिंह, कवि सुमंत, रंगकर्मी हसन इमाम, अमरेंद्र कुमार, सुरेश कुमार हज्जू, जयप्रकाश , विनीत, गौतम, रघु, मृत्युंजय शर्मा, समीर, नंद किशोर सिंह, पार्थ सरकार, सुनील कुमार, वामपंथी नेता मोहन जी, मनोज चंद्र वंशी, कुशवाहा नंदन, ट्रेड यूनियन नेता आर.बी भास्कर, जयप्रकाश,
सभा का संचालन संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने किया।


