संघी आतंकवादियों की शरणस्थली व गढ़ के रूप में उभरा है मध्यप्रदेश !
संघी आतंकवादियों की शरणस्थली व गढ़ के रूप में उभरा है मध्यप्रदेश !
भोपाल। शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में मध्य प्रदेश संघी आतंकवादियों की शरणस्थली व गढ़ के रूप में भी उभरा है। यह आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक जाँच दल ने हरदा जिले के खिरकिया तहसील के छीपाबड़ कस्बे में दिनाँक 19 सितंबर 2013 को हुए साम्प्रदायिक हिंसा की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि दंगे में स्थानीय विधायक के पुत्र सुदीप पटेल सहित बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद, गौ सेवा कमाण्डों फोर्स व आर.एस.एस. ने सक्रिय भूमिका अदा की। इसके बावजूद सरकार के दबाव में पुलिस निष्पक्ष कार्यवाही से बच रही है।
फैक्ट फाइंडिंग टीम में लज्जाशंकर हरदेनिया ( राष्ट्रीय सेकूलर मंच), योगेश दीवान (पिपुल्स रिसर्च सोसायटी), सुन्दर खड़से (महाड़), विजय कुमार भा.क.पा.(मा-ले), दीपक विद्रोही (क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा), आजम खान (ऐडवोकेट), उपासना बेहार (एन.एस.आई.भोपाल) व जावेद अनीस शामिल थे।
फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट
हरदा जिले के खिरकिया तहसील के छीपाबड़ कस्बे में दिनाँक 19 सितंबर 2013 को हुए साम्प्रदायिक हिंसा की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट
मध्यप्रदेश के हरदा जिले के खिरकिया ब्लॉक के छोटे से कस्बे छीपाबड़ में रोज की तरह उस दिन भी बच्चे स्कूल और बड़े खेतों में काम करने चले गये थे। अचानक दंगाई बस्ती में आये और मुसलमानों के घरों में घुस कर तोड़ फोड़ करने लगे तथा घरों में आग लगाने लगे। उन्हें घरों के बाहर जो भी वाहन खड़े दिखायी दिये उसे भी जलाने लगे। जिन बच्चों ने अपनी आंखों से इस घटना को देखा है वे रात में जोर जोर से बड़बड़ाते है कि ‘वो आ गये, वो हमें मारेगें’, बच्चों में इस तरह डर व्याप्त है उसे इस एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है कि जब जाँच दल की महिला सदस्य महिलाओं से बात करने के लिए उनके पास गई तो 5 साल का एक बालक उनको देखते ही अपनी दादी के पिछे छिप गया और कहने लगा कि ‘‘क्या ये मुझे मारने आयी है?’’
उपरोक्त घटना दिनाँक 19 सितम्बर 2013 दिन गुरूवार सुबह 9 बजे के बाद की है जिसमें एक मुस्लिम खेतीहर परिवार ताज खान, नियाज खान के यहां काम करने वालें कालू कोरकू आदिवासी ने एक गाय को बार-बार खेत चरने के कारण डंडों से पीटकर भगा दिया बाद में कथित तौर पर उस मवेशी की मौत हो गई। देखते ही देखते छीपाबड़, खिरकिया इलाके में मुस्लिम व्यक्तियों द्वारा गाय को मारकर फेंकने की खबर फैला
दी गई। कुछ समय बाद हिन्दूवादी संगठन बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद, गौ-रक्षा कमांडों फोर्स के सदस्यों ने एक मरी हुई
गाय को ट्रैक्टर पर रखकर होशंगाबाद-खंडवा राजमार्ग पर स्थित छीपाबड़ के महाराणा प्रताप चैराहे पर चक्का जाम कर दिया। देखते ही देखते 4-5 हजार लोगों की भीड़ चौराहे के इर्द-गिर्द इकठ्ठा हो गई। जो पूरी तरह से अनियंत्रित और बेकाबू थी।
हालाँकि बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि गाय की मौत पन्नी खाने से हुई है लेकिन इस पूरी घटना का राजनैतिक लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ संगठनों द्वारा मामले को साम्प्रदायिक रंग दे दिया गया।
भ्रमण दिनाँक - 27 सितंबर 2013
फैक्ट फाइंडिंग टीम
लज्जाशंकर हरदेनिया ( राष्ट्रीय सेकूलर मंच)
योगेश दीवान (पिपुल्स रिसर्च सोसायटी),
सुन्दर खड़से (महाड़)
विजय कुमार भा.क.पा.(मा-ले)
दीपक विद्रोही (क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा)
आजम खान (ऐडवोकेट)
उपासना बेहार (एन.एस.आई.भोपाल)
रिर्पोट लेखन में सहयोग - जावेद अनीस
प्रस्तावना
भारतीय जनता पार्टी पिछले लगभग दस वर्षों से मध्यप्रदेश में शासन कर रही है। प्रदेश में भाजपा और उसके पूर्ववर्ती जनसंघ का लंबे समय से गहरा प्रभाव रहा है। राज्य में शासन कर रही भाजपा, लगातार ऐसे कदम उठा रही है जिनसे अल्पसंख्यकों में भय व्याप्त हो रहा है। इस दौर में भाजपा के सहयोगी संगठन भी अत्यंत मुखर व आक्रामक हो गए हैं। राज्य में संघ परिवार को अपनी मनमानी करने की छूट मिली दिख रही है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों से आव्हान कर दिया है कि वे आर.एस.एस. की सदस्यता लें। मध्यप्रदेश में हिन्दू संस्कृति को पिछले दरवाजे से जनता पर लादने का तरीका अपनाया जा रहा है। हर मौके का इस्तेमाल हिन्दू धार्मिक शब्दावली को शासकीय शब्दावली का भाग बनाने के लिए किया जा रहा है। स्कूल शिक्षकों के लिए ऋषि संबोधन चुना गया। इसी तरह, राज्य की बालिका कल्याण योजना का नाम है लाडली लक्ष्मी, बाल पोषण योजना का अन्नप्राशन, व जल संरक्षण कार्यक्रम का जलाभिषेक। स्कूलों में “सूर्य नमस्कार“ करवाया जाता है।राज्य के स्कूलों में योग अनिवार्य भी कर दिया गया था। बाद में उसे ऐच्छिक विषय बना दिया गया। परंतु चूंकि अधिकांश हिन्दू विद्यार्थी योग सीखते हैं अतः अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं का स्वयं को अलग-थलग महसूस करना स्वभाविक है।
दूसरी तरफ मध्यप्रदेश, संघी आतंकवादियों की शरणस्थली व गढ़ के रूप में भी उभरा है। सुनील जोशी, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कालसांगरा, देवेन्द्र शर्मा, संदीप डांगे व अन्य हिंदुत्ववादी आतंकी, मध्यप्रदेश में बेखौफ अपना काम करते रहे।
मध्यप्रदेश के मुसलमानों को साफ तौर पर बता दिया गया है कि सच्चर समिति की सिफारिषें लागू करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। इन सिफारिषों को गरीब मुसलमानों की बेहतरी की दिशा में एक अपरिहार्य कदम मानने की बजाय, राज्य सरकार इन्हें सांप्रदायिक अलगाव का सबब साबित करने पर तुली हुई है। संघ परिवार के दबाव में प्रदेश के ईसाई समुदाय को निशाना बनाने के लिए धर्म स्वतंत्र विधेयक फिर से लाया जा चूका है जो की राज्यपाल के पास लम्बित है। राज्य तंत्र व संघ परिवार के इस संयुक्त अभियान से अल्पसंख्यक स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे है।
जब तक कोई व्यक्ति या समुदाय, भौतिक रूप से स्वयं को सुरक्षित अनुभव नहीं करता, तब तक उसकी प्रगति या समृद्धि की कोई संभावना नहीं है। भौतिक सुरक्षा, देश के प्रत्येक नागरिक का प्रजातांत्रिक व मानव अधिकार है। इस संदर्भ में देखा जाये तो मध्यप्रदेश में स्थिति अच्छी नहीं है। मध्यप्रदेश में बिना साम्प्रदायिक घटना घटे कोई भी महीना नहीं गुजरता है। खास तौर पर इदौर, रतलाम, देवास, बुरहानपुर, खंडवा, हरदा, बैतूल, सागर, नीमच आदि जिले उन्मादी धार्मिक हिंसा का लगातार शिकार हुऐ है। 2005 से लेकर 2013 के प्रथम तिमाही तक प्रदेश में 965 साम्प्रदायिक घटनाएं घट चुकी है।
सिर्फ 2012 में ही 89 घटनाएं हुई और 92 मौकों पर हालात तनावपूर्ण बने जिसमें 9 व्यक्ति मारे गये व 241 लोग घायल हुए। इस दौरान साम्प्रदायिक हिंसा के मामले में पूरे देश मेें प्रदेश शीर्ष स्थान पर है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा लोक सभा में दी गयी जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में पिछले 2009 से 2013 के बीच कुल 432 साम्प्रदायिक घटनायें हुई है, इस दौरान मध्यप्रदेश, देश में तीसरे स्थान पर रहा है।
19 सितम्बर 2013 को हरदा जिले के खिरकिया नगर पंचायत में हुई साम्प्रदायिक हिंसा प्रदेश भी इसी सिलसिले की एक कड़ी जान पड़ती है।
जांच दल:-
दिनाँक 27 सितम्बर 2013 को भोपाल से एक 6 सदस्यीय स्वतंत्र जांच दल ने दिनाँक 19 सितम्बर 2013 खिरकिया में हुई साम्प्रदायिक घटना की जांच हेतु खिरकिया का दौरा किया। यह छः सदस्यीय टीम खिरकिया में हुए साम्प्रदायिक दंगें के पीड़ितों के अतिरिक्त वहां के पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व पुलिस अधीक्षक आदि से मुलाकात की। जांच दल मंे शामिल लोग इस प्रकार थे:- लज्जाशंकर हरदेनिया (वरिष्ठ पत्रकार व राष्ट्रीय सेकूलर मंच), योगेश दीवान (पिपुल्स रिसर्च सोसायटी), सुन्दर खड़से (महाड़), विजय कुमार भा.क.पा.(मा-ले), दीपक विद्रोही (क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा), उपासना बेहार (एन.एस.आई.भोपाल), आजम खान (ऐडवोकेट)।
खिरकिया (हरदा):-
खिरकिया मध्यप्रदेश के छोटे जिलों में से एक हरदा जिले के भीतर एक नगर पंचायत है जिसकी आबादी लगभग 25,000 है। आबादी का एक तिहाई हिस्सा मुस्लिम सम्प्रदाय से आता है। नगर पंचायत में 15 वार्ड जिसमें वार्ड क्र.-14 जो कि छीपाबड़ कस्बे के भीतर आता है सबसे अधिक साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार हुआ है। छीपाबड़ हरदा जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी. और खिरकिया ब्लाक से 5 किमी. दूर स्थित है। वार्ड क्र.-14 में लगभग 90 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है। अन्य वार्डों में मिली-जुली आबादी है। वार्ड क्र.-12,13,14 के सभी परिवार नर्मदा नदी पर इंदिरा सागर बांध बनने के कारण हरसूद से विस्थापित होकर यहाॅ आ के बसे है इन परिवारों को अभी तक पट्टे प्रदान नहीं
किये गए है। ये मुस्लिम परिवार खेती व मजदूरी करके अपना गुजर-बसर कर रहे थे।
साम्प्रदायिक घटनाक्रम:-
घटना दिनाँक 19 सितम्बर 2013 दिन गुरूवार सुबह 9 बजे की है जिसमें एक मुस्लिम खेतीहर परिवार ताज खान, नियाज खान के यहां काम करने वालें कालू कोरकू आदिवासी ने एक बछड़े को बार-बार खेत चरने के कारण डंडों से पीटकर भगा दिया बाद में कथित तौर पर उस मवेशी की मौत हो गई।
देखते ही देखते छीपाबड़, खिरकिया इलाके में मुस्लिम व्यक्तियों द्वारा गाय को मारकर फेंकने की खबर फैला दी गई। कुछ समय बाद हिन्दूवादी संगठन बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद, गौ-रक्षा कमांडों फोर्स के सदस्यों ने एक कटी हुई गाय को ट्रैक्टर पर रखकर होशंगाबाद-खंडवा राजमार्ग पर स्थित छीपाबड़ के महाराणा प्रताप चैराहे पर चक्का जाम कर दिया। देखते ही देखते 4-5 हजार लोगों की भीड़ चैराहे के इर्द-गिर्द इकठ्ठा हो गई और जोर-जोर से मुस्लिम समुदाय के विरोध में भड़काऊ नारे लगाने लगी। उन्मादी भीड़ 1 बजे के आसपास दो हिस्सों में बंट गई। जिसमें कुछ लोगों ने मस्जिद के इमाम हाफिज शौकत से मारपीट कर मस्जिद में तोड-फोड़ की तो वहीं दूसरी ओर वार्ड क्र.-14 छीपाबड़ में जाकर 20 से 25 घरों को आग के हवाले कर दिया। दंगाइयों ने लगभग 30 दुपहिया वाहन,एक जीप और एक मेटाडोर को जलाकर खाक कर दिया। इस दौरान कुछ प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा बताया गया कि भीड़ के साथ पुलिस की एक गाड़ी थी पर पुलिस वाले लगभग मूक दर्षक की भूमिका में थे।
इस सिलसिले में जाँच दल द्वारा हरदा जिले के पुलिस अधिक्षक दीपक वर्मा से बात की गई तो उन्होनें बताया कि हरदा जिले में अन्य जिलों की अपेक्षा पुलिस बहुत कम है इसके अलावा उस दिन हरदा पुलिस का एक हिस्सा बैतुल गया था जहाॅ मुख्यमंत्री षिवराज सिंह आये हुए थे। इस बीच हरदा कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव व एस.पी. दीपक वर्मा घटना स्थल पर पहुंचे तो उनको भी दंगाईयों ने खदेड़ दिया व उन पर पत्थरों से हमला किया।
हालांकि पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर के घटना स्थल पर पहुंचने के बाद लगभग शाम 4 बजे कफ्र्यू लगा दिया गया। इस बीच हालात को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी जिससे 3 लोग छर्रे लगने से लहुलूहान हो गये थे। लगभग 30-35 लोगों की गिरफ्तारी भी की गई। अंततः स्थिति काबू में आने के बाद 23 सितम्बर को कफ्र्यू हटा लिया गया था।
पीड़ितों की कहानी उन्हीं की जुबानी:-
फैक्ट फाइंडि़ंग टीम सबसे पहले खिरकिया के छीपाबाड़ा के वार्ड नं. -14 में पहुंची जहां लोगों के घर जलाए गये थेे इस मुहल्ले में घरों को जलाया गया था। वहाॅ बैठे व्यक्ति से बात की गई तो उन्होनें हमें बताया कि उनका सारा घर जला दिया गया है उनके घर से करीब 4-5 साल की बच्ची जो कपड़े भी नहीं पहने थी वह अपने पिता की बात सुनकर घर से जली हुई चारपाई के टुकड़े लाकर दिखाती है।बाद में वह व्यक्ति बताता है कि मेरे घर का सारा सामान जल गया है। मेरी लड़की के कपड़े भी जल गये। हम लोग उस दिन जान बचाकर भागे नहीं तो ये लोग हमको भी जलाकर मार देते। इस बीच जाँच टीम के एक साथी ने उससे सवाल किया कि क्या आप मुसलमान है? उस व्यक्ति ने कहा नहीं मैं हिन्दू हूं मेरा नाम गोपाल है मैं लोहार का काम करता हूं। किसी से कोई बैर नहीं है हम तो मजदूरी करके खाने वाले लोग है। टीम के सदस्य ने फिर पूछा कि जिन लोगों ने आपका घर जलाया उन्हे पता नहीं था कि आप हिन्दू है? गोपाल बोला घर जलाने जो आये थे वह सब बाहर के थे। उन्हे नहीं पता था कि यहां हिन्दू के घर कौन से है मुसलमान के कौन से? वे इस पूरे मोहल्ले को ही मुसलमानों का मोहल्ला समझ रहे थे।
गोपाल ने बताया कि उसके घर में आग से सारे कपड़े, बिस्तर और अनाज जल कर खाक हो गया है। उसके समक्ष जीवन मरण का प्रश्न है।
इस दौरान मोहल्ले के लोग बड़ी संख्या में जमा हो जाते हैं। यहाॅ हम शेख रहिम वल्द करीम खान से मिले। उन्होने बताया कि 2002-2003 से हम लोग यहां रह रहे है। हम 85 परिवार हरसूद में इंदिरा सागर बांध बनने के कारण विस्थापित होकर यहां बसे है। हम लोगों के यहां के सभी लोगों से मधुर संबंध है। लेकिन 19 सितम्बर को यहां जो हुआ वह दुखद है। 11ः30 बजे बाहर के करीब 4000-5000 लोगों ने हमारे मुहल्ले पर हमला कर दिया। मस्जिद में तोड़-फोड़ की गई। कुरआन फेंका गया। मस्जिद में इमाम साहब की पिटाई की गई और उनकी पत्नि के साथ भी मारपीट की गई। भीड़ में लोग गाली गलौच कर रहे थे और .खुले आम तलवार, तमंचे लहरा रहे थे।
अगला घर मुलाम बी पति हमीद खां का था। जब ये घटना हुई वह सोयाबीन काटने गई थी। इस घटना में मुलाब बी का घर जला दिया गया। उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे, उन्होनें बताया कि आठ महिने पहले मेरा लड़का खत्म हो गया। परिवार में केवल बहू और उनकी दो बच्चीयां है। अब इनका पालन पोषण कैसे होगा? मुलाब बी बताती है कि उसके पास पहनने के कपड़े भी नहीं है सब जला दिये गये है। अभी मुलाब बी और उसका परिवार रिश्तेदारों के यहां खाना खाकर जीवन यापन कर रहा है।
हमारी टीम शाहिद वल्द हब्बू खान से मिलती है। वह बताते है कि उनके पास 2 हेक्टैयर 21 डेसीमल जमीन है जिस पर उनका परिवार आश्रित है। घर में खेती के लिए एक आयशर 485 टेªक्टर था जिसे दंगाईयों ने जला दिया है। वह बताते है कि दंगें के दिन पेट्रोल पंप पर दंगाईयों का कब्जा था वह वहां से बाटलों में पेट्रोल ला-लाकर घरों में आग लगा रहे थे। जब हमारा घर जलाया गया तब औरते घर के अंदर ही थी जब उन्होने आग लगी देखी तो जैसे तैसे वह यहां से भागी। शाहिद बताते है कि दंगाईयों ने स्कूल में जाकर मुस्लिम समुदाय के बच्चों को मारने का प्रयास भी किया पर स्कूल के शिक्षक की समझदारी से वे सफल नहीं हो पाए। शाहिद और दूसरे लोग अब बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर रहे है वह कहते है कि हमारे बच्चे अब पढ़ाई नहीं करेंगे।
रहिसा बी. ने बताया कि 5 साल पहले उनके पति की मौत हो गई है उनके दो बच्चें है। दंगाईयों ने उनका भी घर जला दिया है और घर में लूटपाट भी की गई है। उनके यहाॅ से सोने की झुमकी और चार हजार रूपयें की लूट हुई है। जब घर जल रहा था तब दंगाईयों ने फायर ब्रिगेेेड तक नहीं आने दी। उसे रोड पर रोक कर रखा और उसका टायर पंचर कर दिया। जब सब जल गया उसके बाद फायद ब्रिगेड आई।
शाहिद वल्द फरीद ने बताया कि जिस दिन की ये घटना है वह गांव गये हुये थे। घर के बाकी लोग खेत में काम कर रहे थे। उनकी दो बैलगाड़ी जला दी गई। वे पूरी तरह खेती पर निर्भर हैं। बैलगाड़ी के बिना काम नहीं चलता है।
इसके बाद हम गांव के शब्बीर खान वल्द शकूर खान से मिलते है। शब्बीर की किराये की दुकान है और वोे मोबाइल में बैलेंस डालने का काम भी करते है। इनकी दुकान पर दंगाईयों ने धावा बोला और बैलेंस के कार्ड और मोबाईल फोन लूट के ले गये। शब्बीर इस दुकान के अतिरिक्त कबाड़ी बेचने का काम करते है। वे बताते है कि जिस दिन की येे घटना है उस दिन वह सामान बेचने गए थे वहां उन्हे कुछ लोगों ने


