संघी फार्मूला - खंड-खंड होगा, तभी तो 'अखंड भारत' बनेगा
संघी फार्मूला - खंड-खंड होगा, तभी तो 'अखंड भारत' बनेगा
शिवराज फार्मूला - खंड-खंड होगा, तभी तो 'अखंड भारत' बनेगा
महेंद्र मिश्र
खंड-खंड होगा। तभी तो 'अखंड भारत' बनेगा। इसके लिए जरूरी है कि समाज को धर्म, जाति और क्षेत्र समेत हर जाने-अनजाने खानों में बांट दिया जाए। और उनके बीच संघर्ष खड़ा कर दिया जाए। इससे सत्ता को साधना आसान हो जाता है।
बीजेपी-संघ ने इस मन्त्र को अपने अभिन्न मित्र अंग्रेजों से सीखा है। उसकी सरकारें अब उसी राह पर चल पड़ी हैं।
हरियाणा में जैन मुनि से विधान सभा में प्रवचन कराने के बाद अब शिवराज सरकार ने एक तुगलकी फरमान जारी किया है। जिसमें हिंदुओं के
त्योहारों के दिन मुस्लिमों को और मुसलमानों के पर्वों के दिन हिंदुओं को अवकाश नहीं देने की बात की गई है।
त्यौहार और पर्व सबके होते हैं। और इन्हीं मौकों पर समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द्र और भाईचारा बढ़ता है। हर समुदाय के लोग एक दूसरे के साथ मिलजुल कर कोई भी त्यौहार मनाते हैं। लेकिन यही चीज शायद बीजेपी-संघ को खटक रही है। अभी तक जो काम वह संघ के जरिये करती थी। अब उसे सरकार के जरिए करने का मौका मिल गया है।
इस कड़ी में अगर हमारा देश अफ़्रीकी कबीलों में तब्दील हो जाए। तो किसी को ताजुब नहीं होना चाहिए।
जहां हूतू , जूलू, बोका हरम जैसे सैकड़ों कबीले एक दूसरे के साथ खूनी संघर्ष में फंसे हैं।
अफ्रीका का हर तीसरा देश गृहयुद्ध की चपेट में है। हत्या, बलात्कार और नरसंहार आम परिघटनाएं हैं।
भारत को भी धर्म और जाति के नाम पर वहीं खड़ा कर देने की कोशिश है।
इनके आका मोहन भागवत ने भी इसकी पूर्व पीठिका लिख दी है। और उसकी सभी सरकारें उसी रास्ते पर काम कर रही हैं।
कल ही उन्होंने देश में महाभारत छेड़ने का आह्वान किया है।
यह महाभारत किसके लिए और किसके खिलाफ होगा भागवत जी ?
एकबारगी आप गरीबी, बीमारी, भूख, अशिक्षा और बेरोजगारी के खिलाफ महाभारत छेड़ते तो मैं भी आप के साथ होता। लेकिन आप तो अब सरकारों से भी धार्मिक कर्मकांड करवाने लगे हैं। गाय और प्रवचन कराना उनका प्रमुख एजेंडा हो गया है। लेकिन आप शायद गलतफहमी में हैं।
जिस महाभारत के नाम पर आप देश को गृहयुद्ध की आग में धकेलना चाह रहे हैं। उससे आप भी नहीं बच पाएंगे। उसकी लपटें आप के दामन तक भी पहुंचेगी।
देश की जनता इतनी मूर्ख नहीं है कि आप जिस भी अंधी गली का रास्ता पकड़ा देंगे। वो उस पर चलने के लिए तैयार हो जायेगी।
अभी भी वक्त है। सम्भल जाइए। सत्ता का नशा आपके सिर चढ़ कर बोल रहा है। वरना जिस दिन जनता को आप की असलियत समझ में आ गई। वो आप और आप जैसे लोगों का जीना मुहाल कर देगी।
भला सत्ता में रहते कोई महाभारत और गृहयुद्ध की बात करता है। या जरूरत पड़ने पर उद्गारने की जगह आग पर पानी डालता है। लेकिन आप तो बिल्कुल उल्टी ही गंगा बहा रहे हैं।


