संपत्ति कर में वृद्धि का विरोध, नगर निकायों की स्वायत्तता पर बताया हमला माकपा ने
रायपुर। नगर निगम एक्ट के प्रावधानों तथा एमआइसी के प्रस्तावों के खिलाफ जाकर संपत्ति कर में 50% वृद्धि करके आम जनता पर भरी बोझ लादने के भाजपा सरकार के निर्णय की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने तीखी निंदा की है तथा इसे नगर निकायों की स्वायत्तता पर हमला करार दिया है.
पार्टी ने कहा है कि भाजपा संविधान में निहित संघवाद की अवधारणा को ही चोट पहुंचा रही है और यदि केन्द्र सरकार राज्य सरकारों के अधिकारों को हड़प रही है, तो भाजपाई राज्य सरकार स्थानीय निकायों के अधिकारों पर डाका दाल रही है.

इससे शक्तियों का केन्द्रीकरण बढ़ रहा है देश की संघीय व्यवस्था खतरे में है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि संपत्ति कर से प्राप्त आय नगर निकायों के कुल बजट का केवल 4-6 प्रतिशत होती है. ऐसे में संपत्ति कर में भारी वृद्धि से नगर निकायों की आर्थिक सेहत में तो कोई सुधार नहीं होने वाला, लेकिन आम जनता की सेहत और खराब होने वाली है. इसलिए नगर निकायों की आय बढाने के दूसरे वैकल्पिक रास्तों को खोजना जरूरी था और यह भी जरूरी है कि नगर निकायों द्वारा अर्जित आय का उचित हिस्सा राज्य सरकार उन्हें हस्तांतरित करे.

माकपा नेता ने कहा कि संपत्ति कर में 50% वृद्धि का अर्थ है, आम जनता द्वारा देय कर में 100% वृद्धि होना.
उन्होंने आकलन करके बताया कि वर्त्तमान में यदि 1000 वर्ग फुट का मकान मालिक यदि 1100 रूपये संपत्ति कर अदा करता है,तो करों में 50% वृद्धि होने और स्लैब में बदलाव के कारण उसे 2100 रूपये संपत्ति कर जमा करना होगा, जबकि एमआइसी प्रस्ताव के अनुरूप उसे 1200 रूपये ही देने पड़ते.
माकपा ने भाजपा राज्य सरकार से मांग की है कि संपत्ति कर वृद्धि का तानाशाहीपूर्ण आदेश वापस ले और करारोपण का मामला नगर की जनता और उसके प्रतिनिधियों पर छोड़ दे.