'संवाद रंग हबीब' : एक सफा खत्म होने का मतलब होता है, नया सफा शुरू करना
'संवाद रंग हबीब' : एक सफा खत्म होने का मतलब होता है, नया सफा शुरू करना
इलाहाबाद, 18 सितम्बर। हबीब साहब इतने सहज व्यक्ति थे कि उनसे कोई भी मिल सकता था। उनके नाटकों पर खुल कर बात करना, आलोचना करना सुझाव देना सम्भव था, वह सबको इतना स्पेस देते थे। जब कोई रचना को साहस के साथ रंगमंच पर प्रस्तुत करता है तो यह मंच की विशेषता है कि रचना का आवेग दो गुना बढ़ जाता है। हबीब साहब के नाटकों में यह आवेग कई गुना बढ़ जाता है। मंच पर नाटक जीवंत हो उठता है।
ग्वालियर से आए प्रसिद्ध कथाकार महेश कटारे 'सुगम' ने प्रगतिशील लेखक संघ (Progressive writers association) प्रलेस द्वारा वर्धा केंद्र में आयोजित 'रंग हबीब' कार्यक्रम में हबीब तनवीर से जुड़े तमाम संस्मरण साझा किए। उन्होंने मिट्टी की गाड़ी, आगरा बाज़ार, जमादारिन जिसे बाद में पोंगा पन्डित नाम से किया जाने लगा, जैसे महत्वपूर्ण और चर्चित नाटक उन्होंने किये।
कटारे ने कहा सबसे महत्वपूर्ण यह कि उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों के साथ 'नया थियेटर' बनाया और लोक नाटक को विश्व पटल पर स्थापित किया।
कार्यक्रम में बोलते हुए इंदौर से आए मध्यप्रदेश प्रलेस के निवर्तमान महासचिव और इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विनीत तिवारी ने हबीब तनवीर के साथ की बहुत आत्मीय स्मृतियाँ साझा की।
उन्होंने कहा कि एक बार वह हबीब साहब से मिलने गए, तो उन्होंने कहा कि थोड़ा रुको मैं एक सफा लिख लूँ।
विनीत ने एक पेज पूरा होने का इंतज़ार किया। काफी देर में जब पेज पूरा हुआ तो दूसरा पेज शुरू कर दिया। वह कुछ ज़रूरी तफसील लिख रहे थे। जब विनीत से नहीं रहा गया तो बोल पड़े कि आपने एक पेज कहा था और यह तो दूसरा भी शुरू हो गया। हबीब साहब ने तसल्ली से वह पैरा पूरा किया। फिर आराम से विनीत से मुखातिब हुए और कहा कि एक सफा खत्म करने का मतलब होता है नया शफा शुरू करना।
विनीत ने एक और रोचक संस्मरण सुनाया जब इंदौर में पांच हजार फैक्ट्री मजदूर उनका नाटक देखने आए। हबीब तनवीर नाटक के तुरंत बाद टीम के साथ रिव्यू करने बैठ जाते थे, चाहे कितनी ही भीड़ क्यों न हो। वह कहते थे कि लोककला को कारपोरेटीकरण से बचाना होगा इसलिए उन्होंने कभी कारपोरेट से कोई सहयोग नहीं लिया।
इससे पहले प्रो संतोष भदौरिया ने बाहर से आए दोनों वक्ताओं का विस्तार से परिचय दिया। प्रो अशफाक हुसैन और फखरुल करीम ने वक्ताओं का फूल देकर स्वागत किया। आभार ज्ञापन नीलम शंकर ने किया। और कार्यक्रम का संचालन प्रलेस की सचिव संध्या नवोदिता ने किया।


