नई दिल्ली (डेस्क)। दुनिया के स्वयंभू दरोगा और मानवाधिकारों के गोल्ड मेडलिस्ट चैंपियन अमरीका के बेहद करीबी सऊदी अरब के किंग (ताना)शाह अबदुल्ला की मौत हो गई है। उनके स्थान पर उनके सौतेले भाई सलमान को विश्व के शीर्ष तेल निर्यातक और इस्लाम के आध्यात्मिक केंद्र यानी सऊदी अरब का नया शासक बनाया गया है।
सऊदी मीडिया की खबरों के मुताबिक रॉयल कोर्ट ने 'गहरा दुख और शोक' जताते हुए एक बयान में कहा कि अब्दुल्ला का निधन स्थानीय समयानुसार रात एक बजे हुआ। उनकी उम्र लगभग 90 वर्ष थी। उनके सौतेले भाई सलमान को सउदी अरब का नया शासक बनाया गया है। 79-वर्षीय सलमान रक्षामंत्री रहे हैं। इसके अलावा वह राजधानी रियाद के पूर्व गवर्नर भी रह चुके हैं।
पाक राष्ट्रपति नवाज शरीफ, सऊदी शाह अब्दुल्ला Abdullah Bin Abdul Aziz के अंतिम संस्कार में शामिल होने रवाना हो चुके हैं।
चंद सालों पहले सऊदी अरब कि विख्यात नारीवादी लेखिका वाजेहा अल-हैदर ने अमेरिकी के मिस्टर प्रसीडेंट बाराक ओबामा के नाम एक खुला पत्र लिखा था जिसे प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अनीस ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर पोस्ट किया है-

माननीय राष्ट्रपति जी,
मेरा परिचय: मैं वाज़ेहा अल-हैदर हूँ, सऊदी लेखिका और सऊदी अरब राज्य में महिला अधिकारों की सक्रिय कार्यकर्त्ता।
आनेवाले सप्ताह में आप जब बादशाह अब्दुल्ला बिन अब्दुल-अज़ीज़ से मिलें तो हमारी प्रार्थना है कि आप बादशाह का ध्यान सऊदी पुरषों के अभिभावकत्व की व्यवस्था के सुधार के मुद्दे की ओर दिलाएँ।
मैं मेक्सिको की खाड़ी के पक्षियों को देख रही हूँ जो काले तेल के छीटों से पूरी तरह ढ़ँक गए हैं। इनके दुख के साथ मैं सऊदी औरतों की पीड़ा की समानता देख पा रही हूँ। ये पंछी मुश्किल से हिलडुल पाते हैं, अपने जीवन पर इनका कोई नियंत्रण नहीं होता, वे स्वाधीन रूप से उड़कर ऐसी जगह नहीं जा सकते जहाँ शांति से रह सकें। यही हाल सऊदी औरतों का हैं। मैं उनकी पीड़ा से परिचित हूँ। मैंने पूरे जीवन इसे झेला है।
दशकों से सऊदी अरब की महिलाएँ सऊदी मर्दों के अभिभावकत्व के वर्चस्व में इन्हीं बदनसीब पक्षियों की भाँति रह रहीं हैं। जो आपकी अनवरत चिंता का कारण हो सकता है। सऊदी औरतें पूर्ण नागरिक होने के अधिकार को भी खो चुकी हैं। यह अराजक व्यवस्था परिपक्व स्त्रियों को सामान्य जीवन भी जीने नही देती। यह औरतों तक स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ भी नही पहुँचने देती और न ही किसी पुरुष संरक्षक (फिर चाहे वह उसका 16 साल का पुत्र हो) के बिना यात्रा करने की सहमति। सऊदी स्त्रियाँ को व्यक्तिगत कार्यों के संदर्भ में निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं होता। यह भी उनके लिए पुरुष ही करते हैं।
मेक्सिको की खाड़ी की चिड़ियाँ और सऊदी अरब की महिलाएँ समान त्रासद परिस्थितियों से गुजर रहीं हैं; उन्हें अत्यंत ही दुरूह स्थितियों में अपने ही प्राकृतिक, सहज परिवेश में कैद कर दिया गया है। उन्हें मदद की ज़रूरत है ताकि वे पुन: बच सकें, जी सकें।जब आप बादशाह अब्दुल्ला बिन अब्दुल-अज़ीज़ से मिलें कृपया उनकी सहायता करें जिससे कि वे देख सकें, सऊदी मर्दों के संरक्षण की व्यवस्था का सऊदी महिलाओं पर क्या प्रभाव पड़ा है। बच्चों को अभिभावक चाहिए, परिपक्व स्त्रियों को नहीं।
धन्यवाद.
आपकी आभारी,
वाजेहा अल-हैदर.

King Abdullah of Saudi Arabia dies aged 90 http://t.co/Tq6Aea3HoP pic.twitter.com/jU49veiqSe

— Telegraph News (@TelegraphNews) January 22, 2015